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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का देर रात गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। वह पिछले कुछ समय से बीमार थे। मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। नटवर सिंह ने मई 2004 से दिसंबर 2005 तक डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया था।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने नटवर सिंह के निधन पर शोक जताया है। वर्ष 1929 में राजस्थान के भरतपुर जिले में जन्मे नटवर सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कालेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

1953 में आइएफएस चुने गए,1984 में आइएफएस से इस्तीफा दे दिया

वह 1953 में भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) में चुने गए। उन्होंने चीन, न्यूयार्क, पोलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान, जमैका और जांबिया सहित विभिन्न देशों में सेवाएं दीं।

तीन दशकों की सेवा के बाद नटवर सिंह ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए 1984 में आइएफएस से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। उसी वर्ष, उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता। उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया।

नटवर सिंह के निधन पर पीएम मोदी और एस जयशंकर ने भी शोक व्यक्त किया। मोदी ने नटवर सिंह के कूटनीति और विदेश नीति की प्रशंसा की तो वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2005 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में उनके योगदान को याद किया। वे 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे थे.

राष्ट्रपति ने जताया दुख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री के. नटवर सिंह के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। अपने लंबे करियर में, उन्होंने एक प्रतिष्ठित राजनयिक से लेकर एक उत्कृष्ट सांसद तक कई उपलब्धियां हासिल कीं। पद्म भूषण से सम्मानित सिंह लिखने के लिए जाने जाते थे। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।

अद्वितीय योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा: जगदीप धनखड़ 
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘के. नटवर सिंह के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने विदेश मंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की सेवा की। वह एक विपुल लेखक और प्रतिष्ठित इतिहासकार थे, उन्होंने हमेशा जीने और योगदान देने का उत्साह दिखाया। हमारे साहित्य जगत और सार्वजनिक जीवन में नटवर सिंह जी के अद्वितीय योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’

 

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