झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा,क्यों?

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन के वकील से कहा कि उन्हें पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए था। हाई कोर्ट भी संवैधानिक अदालत है और वह भी मामले पर विचार करने को उतनी ही सक्षम है।

सुप्रीम कोर्ट का नकारात्मक रुख देखते हुए हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट जाने की छूट लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली। प्रवतर्न निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी की रात दस बजे मनी लॉड्रिंग केस में गिरफ्तार कर लिया था।

नयी अर्जी दाखिल कर गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी

हेमंत सोरेने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पहले तो ईडी के सम्मन को चुनौती दी थी लेकिन जब ईडी ने 31 जनवरी को लंबी पूछताछ के बाद रात करीब 10 बजे हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया तो सोरेन की ओर से आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट में नयी अर्जी दाखिल कर गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी।

मामले में जल्दी सुनवाई भी मांग गई थी

इतना ही नहीं सोरेन की ओर से एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले का जिक्र कर जल्दी सुनवाई भी मांग गई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी को मामले पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय विशेष पीठ का गठन किया था, जिसने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई की।

कोर्ट क्यों आये हैं पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गए- पीठ

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, एमएम सुंद्रेश और बेला एम त्रिवेदी के समक्ष जैसे ही मामला सुनवाई पर आया और कपिल सिब्बल ने दलीलें रखनी चाही, पीठ ने उनसे सीधा सवाल किया कि वह सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आये हैं पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गए। आपको हाई कोर्ट जाना चाहिए।

यह मामला बहुत महत्वपूर्ण और अर्जेन्ट है- सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण और अर्जेन्ट है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी चाहिए। कोर्ट को देखना चाहिए कि कैसे एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया जबकि कोई साक्ष्य नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के केस में सुनवाई नहीं करेगा तो क्या संदेश जाएगा। तभी ईडी की ओर से पेश एएसजी ने कोर्ट को बताया कि सोरेन ने ऐसी ही याचिका हाई कोर्ट में भी दाखिल कर रखी है।

कोर्ट सभी के लिए समान रूप से खुली है- पीठ

पीठ ने सिब्बल की दलीलों पर कहा कि यह कोर्ट सभी के लिए समान रूप से खुली है। लेकिन हाई कोर्ट भी संवैधानिक अदालत है और वह इस केस को सुन सकती है। पहले भी एक आदेश हमारी साथी न्यायाधीश ने दिया था जिसमें ऐसे ही केस को हाई कोर्ट जाने को कहा था। लेकिन जब सिब्बल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में ही सुनवाई करने पर जोर देते रहे तो पीठ ने कहा कि आप अपनी याचिका देखिए जो मांग की गई है उसकी स्थिति बदल चुकी है।

SC विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर फैसला कर सकता है

याचिका में ईडी के सम्मन को चुनौती दी गई है इसके बाद अर्जी दाखिल कर मांग में संशोधन कर गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। हेमंत सोरेने की ओर से ही पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार करने की कोशिश करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के अलावा सुप्रीम कोर्ट के पास भी सीधे रिट याचिका पर सुनवाई करने का सामान्तर अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऐसा कर सकता है।

पीठ मामले में विचार करने की इच्छुक नहीं

पीठ ने कहा कि वह इससे अवगत है, लेकिन वे इस मामले में विचार करने के इच्छुक नहीं है। याचिकाकर्ता राहत मांगने के लिए हाई कोर्ट जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की अर्जी पर जल्दी सुनवाई कर निपटाया जाए।

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