दारौंदा प्रखंड क्षेत्र में चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्‍न

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श्रीनारद मीडिया, उतम पाठक, दारौंदा, सीवान (बिहार):

लोक आस्था का चार दिवसीय महानुष्ठान छठ पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि शुक्रवार को व्रतियों ने प्रातः कालीन उदीयमान यानि उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर सम्पन्न किया।

छठ पूजा के अंतिम दिन मेला में सुबह से ही काफी भीड़ थी।
मेले में तरह तरह के झूले आए थे। बच्चें झूले पर बैठकर खुश नजर आ रहे थे तो कहीं गोलगप्पे की दुकानों पर तो कहीं मिठाई की दुकानों पर लोगों की भीड़ थी।
मेले में दारौंदा प्रशाशन भी मेले के अन्त तक मौजूद रही।

छठ पूजा के चौथे दिन व्रती सूर्योदय से पहले नदी,तालाब, जलाशय के घाट पर पहुंचकर सिरसोप्ता के पास बैठकर भगवान सूर्य और छठी मईया का पूजन किया।

उसके बाद उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद सूर्य भगवान और छठी मईया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख शांति और समृद्धि की कामना की। इसके बाद छठ व्रत का पारण किया।

सूर्य देव को अर्घ्य देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। सूर्य देव को जीवन का कारक माना जाता हैं जो सभी प्राणियों को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

देवी षष्ठी ब्रह्मा जी के मानस पुत्री के रूप में जानी जाती हैं। जो संसार के सभी बालकों की रक्षा करती हैं और जो लोंग निःसंतान हैं उन्हें संतान सुख प्रदान करती हैं।

यह महापर्व शुचिता, पवित्रता और पूरी निष्ठा के साथ समर्पण और तप व्रत हैं।
छठ व्रत भक्ति का ऐसा उत्कर्ष है कि इसमें भगवान के साथ- साथ भक्त भी पूज्य हो जाता हैं।
जिनमें अधिकांशतः महिलाएं ही व्रतधारी होती हैं। जिनके चरण छूकर, उनकी सेवा करके और उनसे प्रसाद लेकर लोंग स्वयं को धन्य समझते हैं।

संभवतः छठ महापर्व संसार का अकेला ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्य और डूबते सूर्य की पूजा की जाती है।

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