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लड़कियों को अपने जीवन का अधिकार लेने की स्वतंत्रता:जिप सदस्य उमेश पासवान - श्रीनारद मीडिया

लड़कियों को अपने जीवन का अधिकार लेने की स्वतंत्रता:जिप सदस्य उमेश पासवान

 

लड़कियों को अपने जीवन का अधिकार लेने की स्वतंत्रता:जिप सदस्य उमेश पासवान

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एक नारी शिक्षित होती है तो एक परिवार शिक्षित होता है और जब एक परिवार शिक्षित होता है तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है:डॉ•अमन

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं:श्रीनारद मीडिया

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)

महिलाओं का आभार प्रकट करने के लिए हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य कारण है महिलाओं का सम्मान एक कहावत है। कि एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं लेकिन एक महिला को शिक्षित करके हम पूरे देश को शिक्षित कर सकते हैं किसी देश और समाज की तो छोड़िए हम अपने परिवार के उन्नति की कल्पना भी स्त्री शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं .

किसी भी लोकतंत्र की यह नींव है कि स्त्री और पुरुष को बराबर शिक्षा प्राप्त करने का हक हो एक पढ़ी लिखी स्त्री ही समाज में खुशी और शांति ला सकती है कहते हैं कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और एक स्त्री मां के रूप में उसकी शुरुआती शिक्षा का स्रोत है।

जिला परिषद सदस्य उमेश पासवान कहते है कि एक स्त्री का शिक्षित होना बहुत जरूरी है एक शिक्षित नारी न केवल अपने घर परिवार को बल्कि पूरे समाज को सही दिशा प्रदान करती है हर एक स्त्री को अपनी इच्छानुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक है और यह भी कि व उस क्षेत्र में कार्य कर सकें जिनमें वे कुशल हैं मगर यह कहते हुए भी बहुत दुख होता है कि आज भी लड़कियों को अपने जीवन का अधिकार लेने की स्वतंत्रता नही है.

मध्यमवर्गीय परिवार में तो उनके उनके जीवन के सारे फैसले उनके पिता या भाई द्वारा लिए जाते हैं लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है कि उनकी शादी में कोई दिक्कत न आए पढ़ाई को लेकर उन्हें कोई आर्थिक सुविधा नहीं मिलती अगर व सरकारी विभागों में नौकरी करने की तैयारी करने की चाह रखती हैं तो कोचिंग आदि की व्यवस्था बेटी के लिए नहीं होती क्योंकि मां बाप उनको पढ़ाने के बजाय उनकी शादी के लिए रुपए इकट्ठा करते हैं .

इसके विपरीत लड़कों को सारी सुविधाएं मिलती हैं! हमारे समाज की लड़कियां अगर आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होंगी तब तक व प्रगति के शिखर पर नहीं पहुंच पाएंगी और तब तक हमारा समाज एक न्यायपूर्ण समाज नहीं कहा सकेगा।

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