ससुर -देवर से लेकर पिता -पतियों की राजनीतिक साख बचाने को लेकर महिला आरक्षित पदों की प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत
मतदाता बगुले की भांति नजर गड़ाये चुनाव तारीख का कर रहे इंतज़ार
श्रीनारद मीडिया, सागर कुमार, रसूलपुर, सारण (बिहार):
आगामी 29 नवम्बर को होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर एकमा रसूलपुर में प्रत्याशियों ने पुरी ताकत झोंक दी है।महिला आरक्षित पद की सीटों से राजनीतिक महत्वाकांक्षा पुरी करने के लिए कई नामी गिरामी हस्तियों ने बहन बेटी से लेकर पत्नी और भौजाई तक को चुनाव मैदान में उतारा है। इन महिला आरक्षित पदों की प्रत्याशियों ने भी अपने ससुर, देवर,पिता ,पति आदि की राजनीतिक साख दांव पर देख चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी हैं।
उदाहरण के तौर पर एकमा प्रखंड के रसूलपुर पंचायत है जहां महिला आरक्षित मुखिया और एकमा भाग एक के जिला परिषद पद महिला प्रत्याशियों के भाई ,बाप,देवर पति का राजनीतिक साख दाव पर लगा है जिसमें पूर्व विधायक से लेकर पूर्व मुखिया ,पूर्व उप मुखिया सहित फिल्म कलाकार आदि माननीय शामिल हैंं।
सीवान जिले के महाराजगंज के पूर्व जदयू विधायक हेमनारायण साह की बहन और जाने माने आलू व्यावसायी मिथिलेश प्रसाद की पत्नी रीता देवी पहली बार मुखिया उम्मीदवार के रूप में भाग्य आजमा रही हैं तो दूसरी तरफ पूर्व मुखिया वेद प्रकाश सिंह भोला ने निवर्तमान मुखिया व भौजाई विभा देवी के बदले बहु सुषमा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है।
यहां के पूर्व उप मुखिया संतोष कुशवाहा भी पत्नी के स्वर्गवासी होने के बाद अपनी बहु सीमा कुमारी को मैदान में खड़ा किया है।
पंचायत के जानेमाने समाजसेवी स्व सीपी सिंह की बहु श्वेता सिंह इस बार स्व ससुर के सपनों को पुरा करने की नीमित चुनाव मैदान में डट चुकी हैं।दूसरी बार सोनामती देवी अपने पति उमाकान्त कुशवाहा की तो चंदा देवी अपने पूर्व दूर संचार कर्मी पति अनिल श्रीवास्तव तो संध्या देवी अपने फिल्मी गीतकार पति कृष्णा बेदर्दी , सितारा बेगम पति मुन्ना सिद्दीकी, अजमेरी बेगम अपने देवर हैदर आलम तो रिमझिम कुमारी अपने पिता भुवनेश्वर सिंह के राजनीतिक भाग्य मुखिया का चुनाव जीत कर तय करेंगी
क्षेत्र के एकमा भाग एक से भी महिला आरक्षित जिला परिषद प्रत्याशियों के पति,ससुर आदि का राजनीतिक भाग्य दांव पर लग चुका है। पिछले चुनाव में भोजपुरी के जाने माने फिल्म स्टार खेसारी लाल यादव भी अपने भाई की पत्नी को मुखिया पद से चुनाव मैदान में उतार अपने राजनीतिक भाग्य आजमा चुके हैं पर असफल रहे हैं।सभी उम्मीदवार अपनी अपनी जीत का दावा कर चुनाव मैदान में युद्ध स्तर पर प्रचार प्रसार कर रहे हैं और मतदाता बगुले की भांति नजर भिड़ाये चुनाव की तारिख का इंतजार कर रहे हैं।
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