G20 घोषणा पत्र: 300 बैठकों और15 ड्राफ्ट के बाद बनी सहमति,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
G20 समिट के पहले ही दिन शनिवार (9 सितंबर) को दोपहर करीब 3:24 बजे PM नरेंद्र मोदी दूसरे सेशन को संबोधित कर रहे थे। इस बीच उन्होंने एक घोषणा की। PM मोदी बोले- अभी-अभी एक खुशखबरी मिली है। हमारी टीम और सभी के हार्ड वर्क से नई दिल्ली डिक्लेरेशन पर सहमति बन गई है।
जिस टीम का PM मोदी ने जिक्र किया, उसमें G20 के शेरपा अमिताभ कांत ने अहम भूमिका निभाई। इसके लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने उनकी तारीफ भी की।
यूक्रेन जंग था घोषणा पत्र का सबसे मुश्किल हिस्सा
शेरपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर लिखा- 200 घंटे तक बिना रुके चली बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकें, 15 ड्राफ्ट के बाद सबसे मुश्किल हिस्सा रहे यूक्रेन जंग के मुद्दे पर सहमति बन सकी। इसके बाद G20 समिट का घोषणा पत्र पारित हुआ। अमिताभ कांत ने कहा कि इस दौरान दो अधिकारी नागराज नायडू और ईनम गंभीर ने उनका पूरा साथ दिया।
सभी 83 पैराग्राफ सर्वसम्मति से हुए पास
अमिताभ कांत ने बताया- जब हमने G20 की अध्यक्षता की शुरुआत की थी तब PM मोदी ने कहा था कि भारत की प्रेसिडेंसी सबको साथ लाने वाली हो जो कुछ निर्णायक नतीजा दे सके। नई दिल्ली घोषणा पत्र में कुल 83 पैराग्राफ हैं और इन सब पर 100% सहमति बनी है।
इसके अलावा प्लेनेट, पीपुल, पीस और प्रॉस्पेरिटी के टाइटल के साथ 8 पैराग्राफ जियोपॉलिटिकल मुद्दों पर केंद्रित हैं। इन पर भी सभी सदस्यों ने सहमति जताई है। सभी देशों ने सर्वसम्मति से नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन का समर्थन किया है। इस पत्र में न कोई फुटनोट है और न ही कोई चेयर समरी। यह 100 प्रतिशत सर्वसम्मति वाला संपूर्ण वक्तव्य है।
हालांकि इस डिक्लेरेशन पर यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा- इसमें कुछ गर्व की बात नहीं है। अगर हम समिट में शामिल होते तो लोगों को हालात के बारे में सही जानकारी मिल पाती।
रूस-यूक्रेन जंग के बाद G20 का पहला साझा घोषणा पत्र
साझा घोषणा पत्र पर सभी देशों की सहमति इसलिए खास है, क्योंकि नवंबर 2022 में इंडोनेशिया समिट में जारी घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। तब रूस और चीन ने अपने आप काे युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था। तब घोषणा पत्र के साथ ही इन देशों की लिखित असहमति शामिल की गई थी।
डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- सभी देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र मंजूर किया। उन्होंने माना कि G20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। लिहाजा अर्थव्यवस्था से जुड़े अहम मुद्दों को डिस्कस किया गया। इस घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है।
37 पेज का घोषणा पत्र, इसमें 83 पैराग्राफ
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- हमें चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता मिली। G20 का साझा घोषणा पत्र 37 पेज का है। इसमें 83 पैराग्राफ हैं।
- सभी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर काम करेंगे। भारत की पहल पर वन फ्यूचर अलायंस बनाया जाएगा।
- सभी देशों को UN चार्टर के नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए।
- बायो फ्यूल अलायंस बनाया जाएगा। इसके फाउंडिंग मेंबर भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे।
- एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर जोर दिया जाएगा।
- मल्टीलेट्रल डेवलपमेंट बैंकिंग को मजबूती दी जाएगी।
- ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर फोकस किया जाएगा।
- क्रिप्टोकरेंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाई जाएगी।
- कर्ज को लेकर बेहतर व्यवस्था बनाने पर भारत ने कॉमन फ्रेमवर्क बनवाने की बात पर जोर दिया है।
- ग्रीन और लो कार्बन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा।
- सभी देशों ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की है।
शशि थरूर बोले- बहुत खूब अमिताभ कांत, भारत के लिए गर्व का पल
वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इसके लिए शेरपा कांत की तारीफ की। थरूर ने कहा- बहुत खूब अमिताभ कांत। ऐसा लगता है कि जब आपने IAS का ऑप्शन चुना, तब IFS एक बेहतरीन डिप्लोमैट को दिया। रूस-चीन के साथ नेगोसिएशन के बाद एक रात पहले ही आपने फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया। ये भारत के लिए गर्व का पल है।
G20 शेरपा कौन होते हैं?
सभी सदस्य देशों के शेरपा G20 सम्मेलन के दौरान अपने-अपने देश को रिप्रेजेंट करते हैं। जैसे हिलेरी को एवरेस्ट चढ़ने में शेरपा ने मदद की थी, ठीक उसी तरह G20 के दौरान भी अपने देश के नेताओं की मदद शेरपा करते हैं। शेरपा अपने देश के नीतिगत फैसले से सभी सदस्य देशों को वाकिफ कराते हैं। शेरपा का पद किसी राजदूत के बराबर होता है। शेरपा की नियुक्ति सदस्य देशों की सरकार करती हैं।
G20 का शिखर सम्मेलन हो या फिर इसके अन्य वर्किंग ग्रुप्स की बैठकें, इन सभी की प्लानिंग सदस्य देशों के शेरपा ही करते हैं। कार्यक्रम के दौरान देसी-विदेशी मेहमानों के बीच कोऑर्डिनेशन से लेकर अपने देश के नीतिगत फैसले से सभी सदस्य देशों को वाकिफ कराने का काम भी इन्हीं का होता है।
बड़े नेताओं के बीच होने वाले बैठकों से पहले उसके मुद्दे पर सभी सदस्य देशों के शेरपा आपस में बातचीत करते हैं। इसी स्तर पर सभी देशों के बीच सहमति और असहमति को सुलझा लिया जाता है, ताकि बड़े नेताओं की बैठक में सिर्फ एजेंडे पर मुहर लगाने का काम हो।
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