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G20:चीन विघ्नकर्ता बनना चाहता है तो वह भी स्वीकार-US - श्रीनारद मीडिया

G20:चीन विघ्नकर्ता बनना चाहता है तो वह भी स्वीकार-US

G20:चीन विघ्नकर्ता बनना चाहता है तो वह भी स्वीकार-USA

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यह चीन को तय करना है कि उसे नई दिल्ली में हो रही जी 20 समिट में कौन सी भूमिका अदा करनी है। अगर वह आयोजन में विघ्नकर्ता की भूमिका निभाना चाहता है तो उसे भी स्वीकार किया जाएगा। चीन के लिए सभी तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। सख्त लहजे वाला यह बयान अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने दिया है। सुलीवान ने यह बात व्हाइट हाउस में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान भारत-चीन सीमा पर बने तनाव के संबंध में पूछे जाने पर कही।

गौरतलब है कि उन्होंने कहा कि जहां तक भारत और चीन के संबंधों में तनाव और जी 20 समिट पर उसके प्रभाव का सवाल है तो उसे कम करने की जिम्मेदारी चीन पर है। अगर चीन जी 20 समिट में विघ्नकर्ता की भूमिका अदा करना चाहता है तो वह विकल्प भी उसके लिए उपलब्ध है। समिट की अध्यक्षता कर रहे भारत का हौसला बढ़ाने और आयोजन को सफल बनाने के लिए अमेरिका और बाकी के सदस्य देश पूरी शिद्दत के साथ नई दिल्ली में उपस्थित होंगे।

वहां पर मौसम में हो रहे बदलाव, चतुर्मुखी विकास, बैंकग में सुधार, कर्ज में राहत, तकनीक और अन्य भूराजनीतिक विषयों पर चर्चा की जाएगी। इन मसलों पर विकासशील देशों के साथ मिलकर कार्य करने की रूपरेखा बनेगी। सुलीवान ने कहा, जी 20 समिट में दिखाई देगा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश किस तरह से साथ मिलकर कार्य कर सकते हैं। इससे पूरे विश्व का कल्याण होगा। उल्लेखनीय है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिग इस आयोजन में भाग नहीं लेंगे। उनके स्थान पर प्रधानमंत्री ली क्यांग चीनी दल का नेतृत्व करेंगे।

व्हाइट हाउस ने जानकारी दी कि, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) का बुधवार को फिर से Covid-19 टेस्ट नेगेटिव आया है और इसलिए उनके इस सप्ताह के जी 20 शिखर सम्मेलन की योजनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा, उम्मीद है कि वह  भारत की यात्रा करेंगे।

अपनी यात्रा के दौरान बाइडन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के साथ द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे और फिर अगले दो दिनों तक जी20 शिखर सम्मेलन में आयोजित सत्रों में हिस्सा लेंगे, और बाद में वह वियतनाम की यात्रा करेंगे।

भारत जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए पूरी तरह तैयार है। जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत को ऐसे समय मिली जब पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। कई वैश्विक समस्याओं को लेकर विभिन्न देशों को भारत से बड़ी उम्मीदें हैं। इस समूह में ऐसे देश भी हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आमने-सामने हैं। भारत ग्लोबल साउथ, यानी विकासशील देशों के मुद्दों को प्राथमिकता देकर उनका नेतृत्व भी हासिल करना चाहता है। इस मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बिखराव के इस दौर में ऐसे ‘हरकुलियन टास्क’ को निभाने के लिए दुनिया को जिस तरह के जिम्मेदार और भरोसेमंद ताकत की जरूरत है, वह केवल भारत मुहैया करा सकता है। सामरिक-आर्थिक मोर्चे पर बदलते शक्ति संतुलन के साथ दुनिया महंगाई से जुड़े दबाव, खाद्य और ऊर्जा संकट, मंदी और ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणाम झेल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना महत्वपूर्ण है कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ जी-20 प्रेसीडेंसी के प्रति हमारे दृष्टिकोण को उपयुक्त रूप से दर्शाता है।

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