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सीवान दक्षिणांचल के गांधी गुरूजी घनश्‍याम शुक्‍ला नहीं रहे - श्रीनारद मीडिया

सीवान दक्षिणांचल के गांधी गुरूजी घनश्‍याम शुक्‍ला नहीं रहे

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तन समर्पित, मन समर्पित, यह पूरा जीवन समर्पित को किया चरितार्थ

सीवन में एक युग का हुआ अंत

अंतिम संस्‍कार का देखे लाईव वीडियो

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार):

पूरा जीवन समाजदवाद को जीने वाले, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने वालो, समाज के वंचित, शोषित वर्ग के बच्‍चों के उत्‍थान के लिए  तन समर्पित, मन समर्पित, यह पूरा जीवन समर्पित करने वाले सीवान के दक्षिणांचल के गांधी गुरूजी घनश्याम शुक्ला ने अपना नश्‍वर शरीर  गुरुवार को  छोड़कर ब्रह्म्मली हो गये। गुरूजी ने 77 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली।

पंजवार निवासी घनश्याम शुक्ला का पूरा जीवन शिक्षण, किसान आंदोलन, समाजिक कुरीतियों का समाप्‍त करने  में व्यतीत हुआ। वे शिक्षक थे, अवकाश ग्रहण करने के बाद भी  शिक्षण कार्य से अलग नहीं हुए। अवकाश ग्रहण करने के बाद उनका दायरा और व्‍यापक हो गया।  जेपी आंदोलन सहित समाजवाद के मंंचों पर उन्‍होंने जो बोला वह अपने जीवन में चरितार्थ भी किया।

वे 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान भी काफी सक्रिय भूमिका में रहे। उस दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई-कई दिन उनके यहां ठहरे थे। अवकाश ग्रहण करने के बाद घनश्याम शुक्ला पूरी तरह से महिलाओं के उत्थान, खेल, संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियों को समर्पित हो गए। समाज सुधार के क्षेत्र में उनके प्रयासों के कारण ही लोग क्षेत्र के लोग उन्हें गांधीजी, कोई मालवीय भी कहते थे।

उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए गांव में ही कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, प्रभा प्रकाश डिग्री कालेज,  मैरी कॉम हॉकी एकेडमी , बिस्मिल्लाह खान संगीत महाविद्यालय सहित दर्जनों संस्थान व संगठनों की नींव डाली। उनके पढ़ाए शिष्य आज कई जगहों पर उच्च पदों पर हैं। घनश्याम शुक्ला के निधन की सूचना मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई।

उनके अंतिम दर्शन को जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता समेत बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे। घनश्याम शुक्ला अमर रहें के नारे गूंज रहे थे। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार प्रभा प्रकाश डिग्री कालेज परिसर में ही किया गया, जहां उनके पुत्र बड़े विद्या भूषण शुक्ला ने मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा पूरी तरह सादगी पूर्ण ढंग से निकला।

अंतिम दर्शन करने आए  एमएलसी प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव ने उनके निधन को शिक्षा जगत में बहुत बड़ी क्षति बताया। उन्‍होंने कहा कि मैने पूरा देश ही नहीं विदेशों का भ्रमण किया हूं लेकिन शुक्‍ला जी जैसा व्‍यक्तिव मुझे देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जो उनकी सपना अधूरी है उसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा ।

 

रघुनाथपुर विधायक  विधायक हरिशंकर यादव ने कहा कि घनश्याम शुक्ला हमारे अभिभावक थे। उनके निधन पर समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने कहा कि हमने एक सचा समाजवादी व मित्र खो दिया है। उनके जाने से एक युग समाप्‍त हो गया। भाजपा नेता योगेन्‍द्र सिंह ने कहा कि शुक्‍ला जी मानव नहीं महामानव थे। वैसे लोग धरती पर कभी कभी जन्‍म लेते हैं।  पूर्व जिला पार्षद जेपी पांडेय ने कहा कि शुक्‍ला जी में कई तरह की व्‍यक्तिव  में कई महापुरुषों का  झलक देखने को मिलता था।

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