दक्षिण-पूर्व एशियाई देश थाईलैंड में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश थाईलैंड में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

 भारत में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

थाईलैंड पहला दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बन गया है, जिसने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है. हरी झंडी मिलने के बाद सैकड़ों की संख्या में समान लिंग वाले जोड़े शादी के बंधन में बंध रहे हैं. बैंकॉक की रिपोर्ट के अनुसार 200 से अधिक जोड़ों ने विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.

समलैंगिक विवाह को लेकर क्या है कानून?

थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को जो कानूनी मान्यता दी है, उसके अनुसार समान लिंग वाले जोड़ों को कानूनी रूप से विवाह करने की इजाजत देता है. उन्हें पूर्ण रूप से कानूनी, वित्तीय और चिकित्सा अधिकार प्रदान करता है. समलैंगिक कानून जोड़ों को गोद लेने और विरासत के अधिकार भी देता है. CNN की रिपोर्ट के अनुसार थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा, सभी को समान अधिकार और सम्मान हक मिलना चाहिए. पीएम शिनावात्रा ने समलैंगिक विवाह के वैधीकरण को मील का पत्थर बताया. उन्होंने LGBTQIA+ समुदाय को बधाई दी.

LGBTQIA+ समुदाय ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलना, LGBTQ+ समुदाय के लिए बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. इस समुदाय ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी. कानूनी मान्यता मिलने के बाद समुदाय के लोगों ने दशकों लंबे संघर्ष का जश्न मनाया.

23 जनवरी 2025 – प्रेम की विजय का दिन : थाईलैंड की प्रधानमंत्री

थाईलैंड की प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने एक्स पर एक पोस्ट साझा किया और लिखा, “23 जनवरी 2025 – प्रेम की विजय का दिन! आज, इंद्रधनुषी झंडा थाईलैंड पर गर्व से लहरा रहा है.

 भारत में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है

सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद फैसले की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले से जुड़ी करीब 13 याचिकाओं पर सुनवाई की.

संजीव खन्ना ने पुनर्विचार याचिकाओं से खुद को कर लिया था अलग

वर्तमान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने 10 जुलाई 2024 को पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. जिसके बाद नई पीठ का गठन किया गया था.

2023 में समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला

17 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने समलैंगिक विवाह पर बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था- हम समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने उस समय कहा था- विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है और न्यायालय कानून की केवल व्याख्या कर सकता है, उसे बना नहीं सकता है.

पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा, किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है. उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है. विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद को करना है.

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!