GenZ: रिश्ते के बीच क्यों आई हैं दूरियां?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ऐसे ही माता-पिता का बच्चों के साथ रिश्ता भी बदलता है। वहीं खुद अभिभावकों का रिश्ता और व्यवहार अपने बच्चों के साथ बदल पीढ़ी बदलने पर बदल जाता है। ऐसा ही कुछ बदलाव 2000 के बाद जन्में युवाओं और उनके माता-पिता में देखने को मिला है। ये बदलाव है कि जेन जी और उनके अभिभावकों के बीच दूरी का। हाल ही के वर्षों में देखने को मिला है कि सामाजिक बदलाव, तकनीकी विकास और सांस्कृतिक मानकों में आए बदलावों के कारण अभिभावकों और बच्चों में अलगाव के मामले अधिक बढ़े है। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता और समग्र समाज को इस अलगाव को समझना होगा।
जेन जी के समय के कई युवा अपने माता-पिता से काफी दूर हो गए है। उनके बीच भावनात्मक कनेक्ट से लेकर इमोशनल कनेक्ट काफी कम हो गया है। हालांकि सभी युवा अपने माता-पिता से अलग और दूर नहीं हो रहे है बल्कि कई युवाओं और उनके माता-पिता के बीच दूरियां आने लगी है। इस तरह के व्यवहार के पीछे कई जटिल कारण हो सकते हैं।
हाल ही के वर्षों में जेन जी कहे जाने वाले यानी 2000 के बाद जन्में युवाओं और उनके माता-पिता के बीच एक खास बदलाव देखने को मिला है। ये बदलाव उन्हें अन्य पीढ़ियों के मुकाबले काफी अलग करता है। इस बदलाव के पीछे कई अहम कारण भी बताए गए है। जनरेशन में बदलाव आने पर कई चीजें भी बदल जाती है।
डिजिटल तौर पर पालन-पोषण
इन दिनों जेनरेश जेड को डिजिटल वातावरण में भी पाला-पोसा गया है। टेक्नोलॉजी से उनका संबंध लगातार जुड़ा रहा है। ऐसे में बच्चों की सोच और उनके बोल-चाल को तकनीक और सोशल मीडिया ने खासतौर से प्रभावित किया है। इसका असर ही अब उनके रिश्तों पर भी देखने को मिल रहा है। जेन जी के पास तकनीक और टेक्नोलॉजी की समझ बेहद अधिक है। डिजिटल वातारण में वो लगातार रमे हुए है। तकनीक का अधिक उपयोग करना और हर समय तकनीक से जुड़े रहना तालमेल बैठाने में मदद कर सकता है।
जेन जी समावेशिता और विविधता के प्रति अपने असाधारण समर्पण के लिए प्रसिद्ध है। वे पिछली पीढ़ियों की तुलना में पहचान और दृष्टिकोण के व्यापक स्पेक्ट्रम का स्वागत और समर्थन करते हैं। उनके माता-पिता के इन विषयों पर अलग, अधिक पारंपरिक विचार रखते है। ऐसे में माता-पिता और बच्चों के बीच फांसला भी अधिक देखने को मिलता है। यानी पूरा असर दृष्टिकोण का है।
जेन जी पीढ़ी के लिए लिए सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दे बहुत महत्वपूर्ण हैं। दुनिया को बेहतर बनाने के लिए उनके राजनीतिक रूप से शामिल होने और प्रेरित होने की अधिक संभावना है। इसके विपरीत, जब उनके माता-पिता युवा थे तब उनकी पीढ़ी सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर अपेक्षाकृत कम सक्रिय रही होगी।
जेन जी जनरेशन प्रामाणिकता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की चाहत रखते है। आमतौर पर वो कई सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाते है। जेन जी में डर नहीं है। वहीं उनके माता-पिता अधिक अनुरूपवादी समाज में बड़े हुए होंगे, व्यक्तित्व की यह इच्छा उनके बीच दरार पैदा कर सकती है।
वहीं अगर सांस्कृतिक तौर पर अगर देखा जाए तो मानदंड लगातार बदल रहे है। जेन जी इन मामलों में आगे है। कई सामाजिक मुद्दों जैसे लैंगिक समानता, एलजीबीटीक्यू+ अधिकार और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के मुद्दों को सुलझाने के लिए जेन जी लगातार आवाज उठाते रहे है। हालांकि उनके माता-पिता इन मामलों में अपनी आवाज नहीं उठाते है। ऐसे में जो माता-पिता अपने बच्चों के साथ अच्छा रिश्ता बनाना चाहते हैं उन्हें इन मुद्दों पर अपने विचारों को बेहतर बनाना होगा।