वसंत का स्वागत करने को हो जाएं तैयार,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मौसम की चाल बदलने लगी है। सुबह से सूर्य की किरणों की चमक देखते ही बन रही है। शाम भी खुशगवार जैसे वसंत को धार दे रही हो। मानो पुरानी कहावत आधे माघे कंबल कांधे…चरितार्थ हो रहा हो। ..यानी बाघ कहा जाने वाला माघ का जाड़ा जाने की ओर है, तन से गरम कपड़े धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। यह सब अहसास करा रहा जैसे माघ मास की अमावस्या पर मौन साधे मौसम ने भी पुण्य की डुबकी लगा ली हो और नई ऊर्जा के साथ अब चमकते-दमकते निखर उठा हो। वास्तव में वसंत पंचमी ऋतु परत्व त्योहार है।सनातन धर्म के शास्त्रों में भी कहा गया है कि मधु माधव वसंत: श्यात… कहने का आशय यह कि वसंत ऋतु चैत्र व वैशाख है, लेकिन यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ने वाली वसंत पंचमी शिशिर ऋतु में पड़ती है
जो इस बार पांच फरवरी को पड़ रही है। यह वसंत के स्वागत का पर्व है। माघ मास के तीसरे महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर गंगा और प्रयागराज संगम में डुबकी का विधान तो विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना का मान है। तिथि विशेष पर रतिकाम महोत्सव मनाने की भी मान्यता है। मान्यता है कि रति-काम देव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना से गृहस्थ जीवन सुखमय, हर कार्य में उत्साह, दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि व वाणी में ओज आ जाता है। तिथि विशेष पर ही होलिका दहन के लिए होलिका के लिए रेड़ गाड़ी जाती है।
यूं तो भारत में छह ऋतुएं होती हैं लेकिन वसंत ऋतु को ऋतुराज माना गया है। यह आभास प्रकृति का हर रंग करा रहा है। मौसम सुहाना हो चला है। पेड़ों में नई कोपलें फूटने लगी हैं। नए फल-फूल आने लगे हैं। चना, जौ, ज्वार और गेहूं की बालियां खिल उठी हैं। सरसो के खेत लहलहा उठे हैं। इससे शिव प्रिया प्रकृति (पार्वती) अंगड़ाई ले रही है। वसंत पंचमी पर बाबा के माथे तिलक सजेगा और महाशिवरात्रि (एक मार्च) आते-आते शीत विदा की तैयारियों में जुट जाएगी। प्रकृति खिलखिलाएगी, हर एक में नई ऊर्जा, स्फूर्ति का संचार कर जाएगी और रंगभरी एकादशी (14 मार्च) पर जब गौरा गौना जाएंगी तब मौसम की रंगत पूरी तरह बदल जाएगी।
पुरानी कहावतों में ठंड के कठिन दिनों के बीतने की आस में कहा भी गया है कि-‘गइल माघ दिन उनतीस बाकी…’ माघ चला गया, अब केवल उनतीस दिन ही शेष है। हालांकि शीत से ऊष्णता की ओर बढ़ता मौसम का यह संक्रमण काल स्वास्थ्य के लिए बवाल से कम नहीं होता। एेसे समय में डाक्टर-वैद्य संभल कर रहने की सलाह देते हैं। कपड़ों में तन ढके रहने, मौसमी पजल में न बहने और खानपान को लेकर भी बेहद सावधान रहने की सलाह देते हैं।
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