रामपुर में घनश्‍याम लोधी ने लहराया भगवा,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्‍तर प्रदेश की दो लोकसभा सीट रामपुर और आजमगढ़ में हो रहे उपचुनाव में से रामपुर में भाजपा ने जीत दर्ज कर ली है. बीजेपी के घनश्‍याम लोधी ने 42,192 वोट से जीत दर्ज कर ली है. वहीं, आजमगढ़ के पर‍िणाम भी भाजपा को जीत मिल गई है. रामपुर में मिली जीत की घोषणा होने के साथ ही भाजपा ने जनता के फैसले का स्‍वागत किया है. मजे की बात यह है कि ये दोनों ही सीट पर समाजवादी पार्टी का प्रभुत्‍व माना जाता है. सपा सुप्रीमो अख‍िलेश यादव भी इन सीटों पर अपनी जीत को लेकर पहले से ही आशान्‍व‍ित थे. मगर यूपी में हुए लोकसभा सीट के उपचुनाव के चुनाव पर‍िणाम ने सारे आंकड़े ही बदल दिये.

रव‍िवार 26 जून को सुबह से ही रामपुर और आजमगढ़ के चुनावी दंगल पर सबकी नजरें ट‍िकी हुई थीं. खासकर भाजपा और सपा के लिए इन सीटों पर जीत-हार का फैसला कई सियासी समीकरणों के लिए मायने रखता था. सुबह से ही सपा का दोनों ही सीटों पर बढ़त का आंकड़ा दिख रहा था. मगर कई राउंड की काउंट‍िंग (मतगणना) के साथ ही उलटफेर होता गया. अंत में भाजपा को जीत मिल गई. चुनाव की मतगणना के समाप्‍त होने तक भाजपा दोनों ही सीट पर मजबूत होती चली गई. वहीं, सपा खेमे से असंतोष के स्‍वर सुनाई देने लगे. इन सीटों की जीत-हार के नतीजे जानने के लिए लोग इतने उत्‍सुक थे कि सुबह के समय कुछ देर के लिए इलेक्‍शन कमीशन की आध‍िकार‍िक वेबसाइट हैंग हो गई थी.

ECI की आध‍िकार‍िक वेबसाइट पर दर्ज आंकड़े.

ECI की आध‍िकार‍िक वेबसाइट पर दर्ज आंकड़े.

आजमगढ़ संसदीय चुनाव में अपनी किस्‍मत आजमा रहे सपा प्रत्‍याशी धर्मेंद्र यादव ने रव‍िवार को मतों की गिनती शुरू होने के साथ ही दो बयान दिये. पहले बयान में उन्‍होंने कहा था कि वह इस चुनाव में ऐत‍िहास‍िक जीत हास‍िल करेंगे. वहीं, उन्‍होंने दूसरे बयान में कहा कि उन्‍हें ईवीएम/EVM की प्रणाली पर भरोसा नहीं है. वहीं, धर्मेंद्र यादव ने प्रशासन के अध‍िकार‍ियों पर मतगणना को प्रभाव‍ित करने का भी आरोप लगाया था.

रोचक आंकड़ा तो आजमगढ़ की सीट पर दर्ज किया गया. आजमगढ़ में सपा से धर्मेंद्र यादव, बसपा से शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली एवं भाजपा से मशहूर भोजपुरी एक्‍टर और गायक दिनेश लाल यादव उर्फ न‍िरहुआ अपने भाग्‍य को आजमा रहे थे. बीजेपी के घनश्‍याम लोधी ने 42,192 वोट से जीत दर्ज कर ली है. वहीं, आजमगढ़ में भाजपा प्रत्‍याशी दिनेश लाल यादव ‘न‍िरहुआ’ ने एक ट्वीट कर जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया है. अखिलेश यादव की खाली की गई सीट पर उन्हीं के परिवार के धर्मेंद्र यादव निरहुआ ने 10 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया.

सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने एक बार फिर अपनी सहयोगी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सलाह दी है. रामपुर-आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा गठबंधन की हार के बाद उन्होंने कहा कि ‘कमरे से राजनीति नहीं होती है.’ समाजवादी पार्टी ठीक से काम नहीं कर रही है. मैं अपनी टीम के साथ काम करता रहा, लेकिन जिस तरह काम करना चाहिए, समाजवादी पार्टी के लोगों ने वैसे काम नहीं किया. जब चुनाव का बिगुल बचता है तो प्रत्याशी लेकर उतर जाते हैं. इसके बाद ‘लोट’ कर चले आते हैं. जैसा विधानसभा चुनाव में किया, वैसे ही लोकसभा उपचुनाव में किया.

यूपी उपचुनाव में बीजेपी शानदार बाजी मारी है. रामपुर लोकसभा सीट के साथ-साथ बीजेपी आजमगढ़ सीट भी जीत गई है. रामपुर में बीजेपी को 42हजार 142 वोट से जीत मिली. यूपी में दोनों सीटों की जीत पर सीएम योगी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने यूपी को डबल जीत दिलाई. यूपी में उपचुनाव की जीत पर योगी ने कहा कि ये बीजेपी के सुशासन का असर है. वहीं भाजपा की इस जीत से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव काफी खुश दिखीं.

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू और भाजपा नेता अपर्णा बिष्ट यादव ने ट्वीट कर कहा कि रामपुर एवं आजमगढ़ लोकसभा उप-चुनाव में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी और दिनेश लाल यादव को ऐतिहासिक जीत दर्ज करने पर हार्दिक बधाई. उन्होंने आगे कहा कि जय भाजपा…तय भाजपा…विजयी भाजपा.

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गयी थी. भाजपा में शामिल होने के बाद से ही वह लगातार विपक्षी पार्टियों पर हमलावर नजर आती है. बता दें कि अपर्णा प्रदेश में लगातार भाजपा का प्रचार कर रही हैं लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी चुनाव का टिकट नहीं दिया गया है. भाजपा में शामिल होने के समय उन्होंने कहा था कि वह राष्ट्र की सेवा के लिए पार्टी में शामिल हो रही हैं.

वहीं रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की दूरी को हार की एक बड़ी वजह मानी जा रही है. पूरे चुनाव के दौरान जहां बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य कई मंत्री मैदान में उतरे तो सपा चुनाव प्रचार की कमान स्थानीय नेताओं और विधायकों के हवाले थी.

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