नक्सलवाद को ही जड़ से उखाड़ने की तैयारी में सरकार

नक्सलवाद को ही जड़ से उखाड़ने की तैयारी में सरकार

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

13 महीनों में 305 नक्सली ढेर,

1177 गिरफ्तार और 985 नक्सलियों का सरेंडर

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सरकार सिर्फ नक्सली ही नहीं, नक्सली विचारधारा को भी समूल खत्म करने की तैयारी में है। नक्सलियों को खत्म करने के लिए जहां सुरक्षा बलों की अग्रिम चौकियों का बड़े पैमाने पर स्थापना की जा रही है, वहीं नक्सल मुक्त इलाकों में विकास व गरीब कल्याण योजनाओं के सहारे लोगों को नक्सलवाद से हमेशा से दूर करने के प्रयास में भी उतनी ही मुस्तैदी के साथ जुटी है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास व गरीब कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की लगातार समीक्षा करते हैं। शाह ने यह भी साफ कर दिया था कि सरकार का उद्देश्य नक्सलियों को मारना नहीं, बल्कि नक्सलवाद को उखाड़ फेंकना है। दरअसल 21 जनवरी 2024 को अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सली समस्या से देश को पूरी तरह से निजात दिलाने के रोडमैप को हरी झंडी दी थी।

पिछले साल 58 सुरक्षा चौकियां बनाई गईं

इस रोडमैप में नक्सलियों से मुक्त इलाके में विकास व गरीब कल्याण योजनाएं भी शामिल थी। इस रोडमैप में हर तीन चार किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा बलों की अग्रिम चौकियां बनाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके तहत 2024 में 58 सुरक्षा चौकियां बनाई गईं और 2025 में 88 नई सुरक्षा चौकियों का निर्माण किया जा रहा है।

हर चार किमी के दायरे में सुरक्षा चौकियां बनने से होगा फायदा

  • रोडमैप के अनुसार हर तीन-चार किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा चौकियों के निर्माण से एक प्रकार का सुरक्षा का ग्रिड बन जाएगा और नक्सलियों को अपनी गतिविधियों के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं बचेगी। जाहिर है इसे नक्सली समस्या के अंत रूप में देखा जाएगा।
  • अग्रिम चौकियों की स्थापना सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन में मददगार साबित नहीं हो रही है, बल्कि अभी तक रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे और विकास से वंचित ग्रामीणों के जीवन में भी बड़े बदलाव का वाहक बन रही है।

सुनिश्चित हो रही स्थानीय प्रशासन की पहुंच

ये सुरक्षा चौकियां पहली बार स्थानीय प्रशासन की पहुंच भी सुनिश्चित कर रहा है, जिसकी मदद से मुफ्त राशन, स्कूल, अस्पताल, पीएम आवास, नल से जल, बिजली, सड़क और मोबाइल कनेक्टीविटी की सुविधाएं भी पहुंच रही हैं। पिछले साल दिसंबर में पहली बार आयोजित बस्तर ओलंपिक की सफलता को युवाओं के नक्सलवाद से दूर से होकर मुख्यधारा में जुड़ने से जोड़कर देखा जा रहा है।
इसमें एक लाख 65 हजार युवाओं ने हिस्सा लिया था। इसके साथ ही सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन व अन्य कुटीर उद्योगों के सहारे बारूद की गंध की जगह विकास की नई बयान लाने की भी तैयारी कर रही है।

13 महीनों में 305 नक्सली ढेर, 1177 गिरफ्तार और 985 नक्सलियों का सरेंडर

छत्तीसगढ़ न केवल शांति की ओर बढ़ रहा है, बल्कि विकास के नए आयाम भी स्थापित कर रहा है. साय सरकार (Vishnu Dev Sai Government) में प्रदेश ने नक्सल उन्मूलन (Naxal Eradication) के प्रयासों में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई प्रभावी नीतियों और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण ने राज्य में स्थायी शांति और सुरक्षा का माहौल बनाया है.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnu Deo Sai) ने कहा कि हमारी डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में प्रदेश में बीते 13 महीनों में 305 नक्सली मारे जा चुके हैं, 1177 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 985 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. यह आंकड़े न केवल सरकार की प्रतिबद्धता और कुशल रणनीति को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित करते हैं कि छत्तीसगढ़ नक्सल हिंसा से मुक्त होकर शांति और विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

550 दिन में खत्म हो जाएंगे माओवादी?

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के विभिन्न हिस्सों से नक्सलियों को ‘मार्च 2026’ तक पूरी तरह खत्म करने का प्लान तैयार किया है। गृह मंत्रालय के इस टारगेट के तहत, अगले 550 दिन में माओवादियों के पास दो च्वाइस होंगी।  पहला, अगर वे लड़ते हैं तो उन्हें गोली मिलेगी। दूसरा तरीका, आत्मसमर्पण का है। केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर, नई आत्मसमर्पण नीति तैयार कर रही है। नक्सल के रास्ते पर चले युवाओं को मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाएगा। अगर वे शांतिपूर्ण तरीके से हथियार डालते हैं तो उन्हें सरकार की तरफ कई तरह की मदद प्रदान की जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश में जहां कहीं भी नक्सली हिंसा होती है, उसे जड़ से खत्म करने का प्लान तैयार किया गया है। मोदी सरकार के 100 दिन में इस नीति पर काम शुरु हो गया है। छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों में वामपंथी उग्रवाद समाप्त करने के लिए अभियान के अंतिम चरण के तहत दोनों विकल्प रहेंगे। यानी नक्सल प्रभावित इलाकों में अगर माओवादी हथियार नहीं डालते हैं तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। केंद्रीय बलों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में 50 से अधिक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए हैं। आने वाले समय में लगभग इतने ही नए फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस तैयार होंगे।

घने जंगल में छिपे नक्सलियों को उनके ठिकाने से बाहर निकाला जाएगा। हालांकि इस मामले में गृह मंत्रालय, नक्सलियों को हथियार डालने के लिए प्रोत्साहित करेगा। राह भटके युवाओं को मुख्य धारा में शामिल करने का हर प्रयास किया जाएगा। इसके बाद भी वे नहीं मानते हैं तो उन्हें सुरक्षा बलों का सामना करना पड़ेगा। ‘मार्च 2026’ तक नक्सली, पूरी तरह खत्म हो जाएं, इसके लिए केंद्रीय बलों की पर्याप्त संख्या को छत्तीसगढ़ एवं दूसरे राज्यों में लगाया गया है। केंद्र सरकार के सौ दिनों में सुरक्षा संबंधी कमी दूर करने  और आसूचना आधारित ऑपरेशन, इस दिशा में विशेष प्रगति हुई है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!