भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना’ शुरू की है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत सरकार ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर ‘प्रधानमंत्री (PM) विश्वकर्मा योजना’ शुरू की है।
पी.एम. विश्वकर्मा योजना:
- परिचय:
- यह योजना लोहार, सुनार, मिट्टी के बर्तन (कुम्हार), बढ़ईगीरी और मूर्तिकला जैसे विभिन्न व्यवसायों में लगे पारंपरिक कारीगरों तथा शिल्पकारों के उत्थान के लिये बनाई गई है, जिसमें सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था व वैश्विक मूल्य शृंखला में एकीकृत करने पर ध्यान दिया गया है।
- इसे एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जो पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित होगी।
- मंत्रालय:
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) इस योजना के लिये नोडल मंत्रालय है।
- यह योजना MoMSME, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जाएगी।
- विशेषताएँ:
- मान्यता और समर्थन: योजना में नामांकित कारीगरों व शिल्पकारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाण पत्र तथा एक पहचान पत्र प्राप्त होगा।
- वे 5% की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपए (पहली किश्त) और 2 लाख रुपए (दूसरी किश्त) तक की संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता के लिये भी पात्र होंगे।
- कौशल विकास और सशक्तिकरण: इस योजना को सत्र 2023-2024 से सत्र 2027-2028 तक 5 वित्तीय वर्षों के लिये 13,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
- यह योजना कौशल प्रशिक्षण के लिये 500 रुपए और आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए 1,500 रुपए की वृत्ति प्रदान करती है।
- दायरा और कवरेज: इस योजना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 18 पारंपरिक व्यापार शामिल हैं।
- इन व्यवसायों में बढ़ई, नाव बनाने वाले, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, दर्जी और अन्य व्यवसायी शामिल हैं।
- पंजीकरण और कार्यान्वयन: विश्वकर्मा योजना के लिये पंजीकरण गाँवों में सामान्य सेवा केंद्रों पर पूरा किया जा सकता है।
- इस योजना के लिये जहाँ केंद्र सरकार धनराशि मुहैया कराएगी, वहीं राज्य सरकारों से भी सहयोग मांगा जाएगा।
- मान्यता और समर्थन: योजना में नामांकित कारीगरों व शिल्पकारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाण पत्र तथा एक पहचान पत्र प्राप्त होगा।
- उद्देश्य:
- यह सुनिश्चित करना कि कारीगरों को घरेलू और वैश्विक मूल्यशृंखलाओं में निर्बाध रूप से एकीकृत किया जाए, जिससे उनकी बाज़ार पहुँच एवं अवसरों में वृद्धि हो।
- भारत की पारंपरिक शिल्प की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन।
- कारीगरों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने और उन्हें वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करने में सहायता करना।
- महत्त्व:
- तकनीकी प्रगति के बावजूद, विश्वकर्मा (पारंपरिक कारीगर) समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इन कारीगरों को पहचानने और समर्थन करने तथा उन्हें वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एकीकृत करने की आवश्यकता है।
कारीगरों के उत्थान के लिये सरकारी पहलें:
- अम्बेडकर हस्तशिल्प विकास योजना
- मेगा क्लस्टर योजना
- राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम
- व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना
- हस्तशिल्प के लिये निर्यात संवर्धन परिषद
- एक ज़िला एक उत्पाद
- आत्मनिर्भर हस्तशिल्पकर योजना।
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