रेलवे ने की शानदार पहल, ट्रेन में बच्चे को लेकर सफर करने वाली महिलाओं को मिलेगी बेबी बर्थ
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
रेलवे महिला यात्रियों की सुविधा लेकर लगातार ध्यान दे रहा है। रेल प्रशासन छोटे बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को बेबी बर्थ देने जा रहा है। रेलवे की इस पहल से अकेले दुधमुंहे बच्चे को लेकर यात्रा करने वाली महिलाओं की यात्रा और सरल बनाने की कोशिश की गई है।
अब मिलेगा बेबी बर्थ
रेलवे ने महिलाओं को होने वाली इस समस्या पर ध्यान दिया है। इसके लिए महिला की सीट के साथ ही बेबी बर्थ बनाया जएगा। महिला के लिए आरक्षित नीचे की बर्थ के साथ बच्चे की बर्थ की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही यह भी ध्यान रखा गया है कि बच्चा बर्थ से नीचे ना गिरे। बेबी सीट फोल्डेबल है और स्टॉपर से सुरक्षित है। बेबी बर्थ को लोअर बर्थ से इस तरह से जोड़ा गया है कि बच्चा सोते समय सीट से न गिरे। इसमें बच्चे को सुरक्षित करने के लिए पट्टियां भी होती हैं ताकि वे गिरें नहीं। जब बेबी बर्थ उपयोग में नहीं होती है, तो निचली बर्थ के नीचे एक स्टॉपर उसे अपनी जगह पर रखता है। इसका उपयोग करने के लिए, स्टॉपर को अनलॉक करने के बाद इसे निचली बर्थ के समान स्तर पर लाने के लिए बर्थ को घुमाने की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बर्थ सुरक्षित है, एक स्लाइडर है जिसे लॉक कर सकते हैं। बर्थ का उपयोग करने से पहले साइड-सपोर्टिंग रेलिंग को खोल देना चाहिए।
कोई अतिरिक्त किराया नहीं
आने वाले दिनों में दिल्ली से लखनऊ की ओर चलने वाली ट्रेनों में छोटे बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को दो बेबी बर्थ देने की तैयारी रेल विभाग ने शुरू कर दी है। खास बात यह है कि रेलवे बच्चे की बर्थ के लिए कोई अतिरिक्त किराया नहीं लेगा। इसके लिए आरक्षण टिकट लेने के समय पांच साल से कम उम्र के बच्चों के नाम का फार्म भरना होगा और बेबी बर्थ मिल जाएगा।। इस सुविधा के बाद दुधमुंहे बच्चे के साथ सफर करने वाली महिलाओं को काफी राहत मिलेगी।
लखनऊ मेल में लगाई गई बर्थ
पायलट प्रोजेक्ट के तहत सर्वप्रथम लखनऊ-मुरादाबाद-नई दिल्ली के बीच चलने वाली लखनऊ मेल के एसी थ्री के कोच संख्या बी4 में बर्थ संख्या 12 व बर्थ संख्या 60 पर बेबी बर्थ लगाई गई है। जानकारी रेलवे ने ट्वीट के माध्यम से दी है।
गर्भवती व पांच साल के कम उम्र के बच्चे के साथ चलने वाली महिलाओं को नीचे की बर्थ उपलब्ध कराने का प्रयास भी करता है। इसके अलावा अकेली चलने वाली महिला को महिला कोच व आरक्षित श्रेणी में सीट देने की व्यवस्था की है। ट्रेन के आरक्षित बर्थ की चौड़ाई कम होती है, जिसके कारण महिला को छोटे बच्चों के साथ सोना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में रात में महिला यात्री सो नहीं पाती हैं। महिला सोने का प्रयास करती हैं तो छोटा बच्चा उठा जाता है।
यह भी पढ़े
रघुनाथपुर के टारी बाजार व मिर्जापुर से शराब कांड के दो अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल
माता पिता के शादी की सालगिरह पर भोजन का वितरण किया गया।
सरस्वती शिशु / विद्या मंदिरों का प्रांतीय खेलकूद प्रतियोगिता 15 मई से होंगे शुभारंभ
सावरकर ने 1857 को ‘भारतीय स्वतंत्रता का पहला संग्राम’ बताया,कैसे?