हरितालिका तीज का व्रत 18 सितम्बर को , शुभ फल की होगी प्राप्ति-आचार्य सह प्रदेश महासचिव सरपंच संघ बिहार पं0 सुनिल कुमार तिवारी
◆ पति के दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य के लिए महिलाए रखती है यह व्रत
श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):
बिहार ,भारतीय संस्कृति व परम्परा का व्रत हरितालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह सनातन धर्म के महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य के लिए करती है।
उक्त बातें आचार्य सुनिल कुमार तिवारी ने बताते हुए कहा कि इस बार यह व्रत 18 सितम्बर को है। क्योंकि 17 सितम्बर को तृतीया तिथि दिन में 09 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगा जो 18 सितम्बर को दिन में 10 बजकर 27 मिनट पर सम्पन्न होगा। उदय व्यापिनी (उदया तिथि) तृतीया का 18 सितम्बर को हो रहा है, इसलिए इसी दिन इस व्रत को करना शुभ फल प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त है।
इस व्रतकी धार्मिक मान्यता है कि माँ गौरी ने भगवान भोलेनाथ से विवाह के लिए मिट्टी की शिवलिंग बनाकर निर्जला व्रत रहकर कठोर तपस्या की, तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर मॉं गौरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किए। तभी से इस व्रत का प्रचलन शुरू हुआ।इस व्रत के लिए सबसे पहले बिना जल ग्रहण किए स्नान करने के बाद मां पार्वती, भगवान शिव, व गणेशजी की पूजा कर मां पार्वती की श्रृंगार अर्पित करे उसके बाद पुजन, पाठ, कथा सुने, और अखण्ड सौभाग्य प्राप्त करने की कामना करें। उसके बाद दुसरे दिन स्नान घ्यान कर पुजन के बाद भगवान सूर्य को जल देने के बाद व्रत का पारण करें।
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