क्या भारत ने रेफरेंस फ्यूल का उत्पादन शुरू किया?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने ‘रेफरेंस’ ग्रेड पेट्रोल और डीज़ल का उत्पादन प्रारंभ करके आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसने न केवल घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करने बल्कि निर्यात बाज़ार में भी निवेश करने का वादा भी किया गया है।

  • ऐतिहासिक रूप से केवल कुछ चुनिंदा कंपनियाँ, मुख्य रूप से यूरोप और अमेरिका में स्थित, भारत को रेफरेंस फ्यूल प्रदान करती थीं।

रेफरेंस फ्यूल:

  • परिचय:  
    • रेफरेंस फ्यूल (पेट्रोल और डीज़ल), उच्च मूल्य वाले प्रीमियम उत्पादों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विशेष रूप से ऑटोमोटिव मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) तथा ऑटोमोटिव परीक्षण एवं प्रमाणन में कार्यरत संस्थानों द्वारा वाहनों को कैलिब्रेट करने तथा परीक्षण करने हेतु उपयोग किये जाते हैं।
  • विशेषताएँ: 
    • इनमें रेगुलर या प्रीमियम ईंधन की तुलना में अधिक विशिष्टताएँ होती हैं। इसमें विभिन्न विशिष्टताओं जैसे सीटेन नंबर, फ्लैश पॉइंट, श्यानता, सल्फर एवं जल की मात्रा, हाइड्रोजन शुद्धता और एसिड नंबर शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये, रेफरेंस ग्रेड पेट्रोल और डीज़ल की ऑक्टेन संख्या 97, रेगुलर एवं प्रीमियम ईंधन की ऑक्टेन संख्या से अधिक होती है, जो क्रमशः 87 व 91 है।
  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा स्वदेशी उत्पादन:
    • भारत ऐतिहासिक रूप से इन विशिष्ट ईंधनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर था। हालाँकि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने अब ओडिशा में अपनी पारादीप रिफाइनरी में स्वदेशी रूप से ‘रेफरेंस’ ग्रेड पेट्रोल और हरियाणा में अपनी पानीपत इकाई में डीज़ल विकसित किया है।
      • पारादीप रिफाइनरी से रेफरेंस गैसोलीन (पेट्रोल) ईंधन E0, E5, E10, E20, E85, E100 में उपलब्ध होगा।
      • पानीपत रिफाइनरी से रेफरेंस डीज़ल ईंधन B7 ग्रेड में उपलब्ध हो सकेगा।
    • लाभ: 
      • लागत लाभ: आयातित ‘रेफरेंस फ्यूल’ की लागत 800-850 रुपए प्रति लीटर के बीच है, जबकि घरेलू उत्पादन से लागत कम होकर लगभग 450 रुपए प्रति लीटर होने का अनुमान है, जो पर्याप्त लागत लाभ को दर्शाता है।
      • वाहन निर्माताओं को लाभ: यह विकास वाहन निर्माताओं के लिये न्यूनतम समय सीमा (लीड टाइम) प्रदान करेगा, जिससे बेहतर कीमत पर आयात प्रतिस्थापन संभव हो सकेगा।

नोट: 

  • E0, E5, E10, E20, E85, E100 विभिन्न इथेनॉल-गैसोलीन सम्मिश्रणों को संदर्भित करते हैं। इथेनॉल सम्मिश्रण विभिन्न इथेनॉल-गैसोलीन मिश्रण बनाने के लिये इथेनॉल को गैसोलीन के साथ मिलाने की प्रक्रिया है। इस सम्मिश्रण का उद्देश्य गैसोलीन चालित वाहनों से समग्र कार्बन फुट प्रिंट और उत्सर्जन को कम करना है।
  • डीज़ल B7 एक ईंधन है जिसमें 7% तक अतिरिक्त जैव घटक उपस्थित होते हैं।
  • ऑक्टेन संख्या:
    • यह इंजन नॉक ध्वनि (Engine Knocking) के प्रति ईंधन के प्रतिरोध को मापता है। उच्च ऑक्टेन संख्या गैसोलीन में समयपूर्व दहन के प्रति बेहतर प्रतिरोध का संकेत देती है।
  • सीटेन संख्या:
    • डीज़ल ईंधन की प्रज्ज्वलन गुणवत्ता को इंगित करता है। एक उच्च सीटेन संख्या आसान प्रज्ज्वलन का प्रतीक है।
  • फ्लैश प्वाइंट:
    • यह वह न्यूनतम तापमान है जिस पर कोई पदार्थ क्षण भर के लिये प्रज्ज्वलन होने के लिये पर्याप्त वाष्प उत्पन्न करता है।
  • श्यानता:
    • किसी तरल पदार्थ के प्रवाह के प्रतिरोध को मापता है, उच्च श्यानता गाढ़े, कम तरल पदार्थ जैसे व्यवहार को इंगित करती है।
  • अम्ल संख्या:

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