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क्या सिक्किम बाँध आपदा ने भारत-भूटान जलविद्युत परियोजना के लिये चिंता बढ़ाई है? - श्रीनारद मीडिया

क्या सिक्किम बाँध आपदा ने भारत-भूटान जलविद्युत परियोजना के लिये चिंता बढ़ाई है?

क्या सिक्किम बाँध आपदा ने भारत-भूटान जलविद्युत परियोजना के लिये चिंता बढ़ाई है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सिक्किम में हिमनद झील के फटने से आई बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood- GLOF) ने 1200 मेगावाट के तीस्ता-III बाँध को बहा दिया है।

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) समेत प्रमुख हितधारकों को नोटिस जारी किया है, जिसने पहले GLOF के किसी भी खतरे को खारिज़ कर दिया था।
  • सिक्किम में एक बाँध के ढहने से भूटान में भारत की जलविद्युत परियोजनाओं, जो दोनों देशों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, की सुरक्षा और व्यवहार्यता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

NGT ने तीस्ता-III बाँध हितधारकों को नोटिस:

  • NHPC ने स्थिति को संबोधित करने हेतु तीन प्रमुख हितधारकों (सिक्किम सरकार, सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड (तीस्ता-III के लिये ज़िम्मेदार) और NHPC) को बुलाया है।
  • NHPC ने पहले इस क्षेत्र में GLOF के जोखिम को कम करके आँका था।
  • वर्ष 2014 में जब NHPC की 520 मेगावाट की तीस्ता-IV परियोजना को पर्यावरण मंज़ूरी के लिये चुनौती का सामना करना पड़ा, तो NHPC ने NGT को दिये एक हलफनामे में कहा कि चुंगथांग (तीस्ता-III) से नीचे स्थित परियोजनाओं को GLOF से कोई खतरा नहीं है।
    • इसके बाद आश्वस्त होकर NGT ने वर्ष 2017 में तीस्ता-IV की पर्यावरण मंज़ूरी के खिलाफ अपील खारिज़ कर दी।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT):

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना वर्ष 2010 में NGT अधिनियम, 2010 के तहत पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन, दुष्प्रभावित व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिये अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करने एवं इससे जुडे़ हुए मामलों के प्रभावशाली व त्वरित निपटारे के लिये की गई थी।
    • NGT का मुख्यालय दिल्ली में है जबकि अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थित हैं।
  • संरचना:
    • अधिकरण में अध्यक्षन्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल हैं।
      • अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
      • न्यायिक सदस्यों और विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा एक चयन समिति का गठन किया जाता है।
    • NGT में सदस्यों की कुल संख्या 10 से कम और 20 से अधिक नहीं होनी चाहिये। प्रत्येक सदस्य पाँच वर्ष तक अथवा 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर रहता है और पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र नहीं है।
  • शक्तियाँ और प्रकार्य:
    • इसके द्वारा विभिन्न पर्यावरण कानूनों, जैसे- जल अधिनियम, 1974; पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986वन संरक्षण अधिनियम, 1980जैवविविधता अधिनियम, 2002; आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती है।
    • इसे पर्यावरण से संबंधित किसी भी वैधानिक अधिकार को लागू करने अथवा किसी पर्यावरणीय क्षति को नियंत्रित करने अथवा उसका समाधान करने के लिये आदेश, निर्देश अथवा रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
      • इसके द्वारा पर्यावरणीय क्षति अथवा प्रदूषण के पीड़ितों को राहत अथवा मुआवज़ा दिया जाता है।
      • यह स्वयं के निर्णयों अथवा आदेशों की समीक्षा कर सकता है।

तीस्ता नदी और तीस्ता-III बाँध से संबंधित मुख्य तथ्य: 

  • तीस्ता नदी:
    • तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र (बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है) की एक सहायक नदी है, जो भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है।
    • इसकी उत्पत्ति सिक्किम के चुंगथांग के पास हिमालय से होती है और यह बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले पश्चिम बंगाल से होकर दक्षिण की ओर बहती है।
      • पहले यह नदी दक्षिण की ओर बढ़ती हुई प्रत्यक्ष रूप से पद्मा नदी (बांग्लादेश में गंगा का मुख्य मार्ग) में जा मिलती थी, किंतु वर्ष 1787 के आसपास नदी ने अपना मार्ग बदल लिया और पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए ब्रह्मपुत्र नदी में मिल गई।
    • तीस्ता जल संघर्ष भारत और बांग्लादेश के बीच सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।
    • सहायक नदियाँ: ज़ेमु छू, रंगयोंग छू, रंगित नदी, लाचुंग छू, चाकुंग छू।

  • तीस्ता-III बाँध परियोजना:
    • यह भारत में सिक्किम के चुंगथांग में तीस्ता नदी पर बनी एक जलविद्युत परियोजना है।  इसकी स्थापित क्षमता 1,200 मेगावाट है। यह सिक्किम में सबसे ऊँचा बाँध था।
    • सिक्किम में GLOF का प्रभाव:
      • सिक्किम में हुई GLOF ने 1200 मेगावाट वाली परियोजना तीस्ता-III को बहा दिया और 510 मेगावाट की तीस्ता-V तथा निर्माणाधीन 500 मेगावाट की तीस्ता-VI सहित NHPC की डाउनस्ट्रीम परियोजनाओं को क्षति पहुँचाई।

भूटान में भारत की जलविद्युत परियोजनाओं पर सिक्किम आपदा का प्रभाव:

  • सिक्किम बाँध आपदा ने भूटान में किर्यांवित भारत की जलविद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा और व्यवहार्यता के विषय में चिंताएँ उत्त्पन्न की हैं।
  • बाँध टूटने से भूटान में तीन भारत समर्थित, निर्माणाधीन मेगा जलविद्युत परियोजनाओं में से दो – 1,200 मेगावाट पुनात्सांगछू चरण-I (पुना-I) और पुनात्सांगछू नदी पर 1,020 मेगावाट पुनात्सांगछू चरण-II (पुना-II) पर ग्रहण लग गया है। 
  • ये परियोजनाएँ भारत और भूटान के बीच वर्ष 2020 तक 10,000 मेगावाट जलविद्युत विकसित करने के लिये वर्ष 2006 के समझौते का हिस्सा हैं, जिनके पूर्ण होने की अवधि को बाद में संशोधित करके वर्ष 2027 तक कर दिया गया।
  • इन परियोजनाओं से भारत को सस्ती और स्वच्छ विद्युत मिलने की उम्मीद है, जिसमें लगभग 10% की विद्युत की कमी चल रही है, साथ ही इससे भूटान के लिये राजस्व उत्पन्न होगा, जो भारत को जलविद्युत निर्यात से अपने सकल घरेलू उत्पाद का आधे से अधिक कमाता है।
  • हालाँकि इन परियोजनाओं को भू-वैज्ञानिक चुनौतियों, तकनीकी मुद्दों और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण देरी तथा लागत में वृद्धि का भी सामना करना पड़ा है।
  • भूटान के प्रधानमंत्री, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं।

आगे की राह 

  • सुरक्षा प्रोटोकॉल सुदृढ़ीकरण: सुरक्षा उपायों को बढ़ाना और वर्तमान एवं भविष्य की जलविद्युत परियोजनाओं के लिये सख्त भू-वैज्ञानिक आकलन करने की आवश्यकता है।
  • सहयोगात्मक प्रयास: भारत और भूटान को संभवतः अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ, भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षणों के पुनर्मूल्यांकन के लिये मिलकर कार्य करना चाहिये।
  • तकनीकी विशेषज्ञता: हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) की समस्या का हल करने में तकनीकी विशेषज्ञता के निर्माण में निवेश करके इस ज्ञान को परियोजना के लिये प्रयोग करना चाहिये।
  • पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन: हिमालय जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जलविद्युत परियोजनाओं के लिये व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन आयोजित करना चाहिये।
  • नियमित समीक्षा: जारी परियोजनाओं की नियमित समीक्षा और मूल्यांकन के लिये पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए एक रूपरेखा स्थापित करनी चाहिये।
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