विश्वास रखें, हम मिलकर संकट को जीत लेंगे!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मानता हूं कि इस मुश्किल समय में हर इंसान अपने-अपने तरीके से उदारता दिखा रहा है। अगर वे अच्छे से अपनी सुरक्षा कर रहे हैं और बीमार नहीं पड़ रहे, तो वे शासन व्यवस्था को अत्यधिक बोझ से बचा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बीमार पड़ने वाले उदार नहीं हैं। वे भी संक्रमित होना नहीं चाहते थे लेकिन दुर्भाग्य से हो गए। इसलिए जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें शासन का दबाव कम करने के लिए आगे आना चाहिए और साथ ही सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी छोटी-सी उदारता का अधिकतम असर हो। आप इनमें से कोई आइडिया अपना सकते हैं:
पहला आइडिया : गुजरात के मेहसाना तालुका के एक गांव ने संक्रमण से लड़ने के लिए सामुदायिक रणनीति अपनाई है। इलाके में पांच कोरोना केस और तीन मौतों के बाद तरेती गांव के वरिष्ठ रहवासियों ने ग्रामीणों को मुफ्त मेडिकल भाप देने के लिए के लिए बूथ बनाए हैं। नियमित भाप लेना संक्रमण के खिलाफ खुद को मजबूत बनाने के तरीकों में से एक है। भाप बनाने के लिए उन्होंने गिलोय, नीम, मौर (आम के पेड़ की बौर), अदरक तथा लौंग को पानी में उबाला। फिर केबिन से जुड़े पाइप के जरिए भाप दी गई। गांव में 600 घरों से करीब 3000 लोग दिन में दो-तीन बार भाप ले रहे हैं।
दूसरा आइडिया : क्या आपने प्रभावितों को परेशान होते और उनका समय बर्बाद होते देखा है, जब वे ढेरों नंबर पर फोन करते हैं और जवाब मिलता है, ‘गलत नंबर है’। सही नंबर लग भी जाए, तो दूसरे छोर से आवाज कहती है, ‘स्टॉक खत्म हो गया।’ यह हतोत्साहित करता है, थकाता, डराता है। सहृदय लोगों के फॉर्वर्ड संदेशों और जानकारियों की झड़ी लगी है, लेकिन दुर्भाग्यवश कई बार वे काम नहीं आतीं।
रोटरी इंटरनेशनल ने एक वेबसाइट बनाई है, जिसका एड्रेस covid.rcmedicrew.org (आरसी मेडी क्रू) है। यह कोविड से जुड़े सभी जवाबों और जरूरतों का सत्यापित स्रोत है। पूरे भारत से जुड़ी जानकारियां देने वाली साइट शनिवार से शुरू होगी और करीब 350 प्रशिक्षित मेडिकल और पैरा मेडिकल वालंटियर तथ्यों की जांच की इस पहल में समर्पित हैं। वालंटियर सुबह-शाम सोशल मीडिया से लेकर सरकारी मेडिकल वेबसाइट तक की जानकारियां इकट्ठा करेंगे और केवल उन स्रोतों को अपलोड करेंगे, जो काम करते हैं।
तीसरा आइडिया : मार्च 2020 में पहले लॉकडाउन के बाद से हमारा घर कई दोस्तों के पालतू जानवरों के लिए हॉस्टल बन गया है, जिनके परिवार को कोविड का सामना करना पड़ा। आज भी हमारे घर में दो मेहमान हैं। लेकिन हमारे परिवार की मदद मामूली लगी जब मैंने पुणे के हाड़पसर की जनबाई पवार (65) और आशा बर्डे (35) के बारे में सुना, जिन्होंने ऐसे नवजात बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी ली, जिनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य कोरोना संक्रमित हैं।
अपने घर छोड़कर ये दोनों अब 24×7 बच्चों के साथ रह रही हैं। पिछले हफ्ते योग अस्पताल में प्रीमैच्योर बच्चा पैदा हुआ, जहां अभी सिर्फ कोविड मरीज भर्ती हो रहे हैं। दुर्भाग्य से बच्चे को तुरंत उसकी मां प्रियंका गौर (26) से अलग करना पड़ा क्योंकि वह आईसीयू में कोरोना से लड़ रही है। बच्चे की दादी भी वेंटिलेटर पर है। अब असहाय पिता अस्पताल ही ड्यूटी निभा रहा है और दोनों महिलाएं नाजुक नवजात की देखभाल कर रही हैं।
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