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अभी मजे ले लीजिए लेकिन कोयला आपको रुलाने वाला है!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कोयले पर हमने खूब मजे लिए। नहीं? तो अब तक आप ये जान गए होंगे ‌कि सारा हो हल्ला किस बात पर है। इसलिए मैं इंडिया रेटिंग्स की उस रिपोर्ट की बात नहीं करूंगा जिसमें कहा जा रहा है कि 10 अक्टूबर तक कोयले की कमी से देश के 16 बिजली बनाने के प्लांट बंद हो गए।

ये बताना भी अब जरूरी नहीं है कि कोयले से चलने वाले देश के कुल 137 पावर प्लांट में से 72 के पास 3 दिन का, 50 प्लांट्स के पास 4 दिन का और 30 के पास सिर्फ 1 दिन का कोयला बचा है। आम दिनों में इनके पास 17 दिन का कोयला रिजर्व में रहता है।

लेकिन ये जानना बहुत जरूरी है कि कहीं आपके घर की बत्ती तो गुल नहीं होने वाली है। देखिए दुनिया में 37% बिजली कोयले से बनती है और भारत में 55%। यानी अगर दुनिया से कोयला खत्म हो गया तो 10 में से 3 से 4 घरों की बत्ती गुल हो जाएगी और भारत में 10 में से 5 स 6 घरों की।

 मौजूदा हालत क्या है, दुनिया में कितना कोयला बन रहा है और उसमें कितने से बिजली बन रही है?

दुनिया में 65% कोयले का इस्तेमाल बिजली बनाने में खर्च होता है
दुनिया में हर साल औसतन 16 हजार मिलियन टन कोयला बनता है या कहिए कि उत्पादन होता है। 2019 में 16 हजार 731 मिलियन टन और 2020 में 15 हजार 767 मिलियन टन कोयला बना था। इसमें से 60 से 65% कोयले का इस्तेमाल दुनिया ने सिर्फ बिजली बनाने के लिए किया।

भारत में 72% कोयला बिजली बनाने में खर्च होता है
हम दुनिया सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन वाले देशों में दूसरे नंबर हैं। हम औसतन साल में 760 मिलियन टन कोयला बनाते हैं। इसमें से 70 से 75% से कोयला बिजली बनाने में खर्च होता है। 2020 में 72% कोयला ‌बिजली बनाने में खर्च हुआ।

: दुनिया में और भारत में कुल कितने साल का कोयला बचा हुआ है?

दुनिया के पास 134 साल के लिए कोयला बचा है
आखिरी बार दुनियाभर के कोयला 2016 नापा गया था। तब दुनियाभर की कोयला खदानों में कुल 1,144 बिलियन टन कोयला बचा हुआ था। टेक्निकल भाषा में इसे कोयला रिजर्व कहते हैं। हर साल दुनिया में करीब 8.5 अरब टन कोयला खप जाता है। इस गति से अगले 134 से 135 साल में कोयला खत्म हो जाएगा।

भारत में 107 साल का कोयला बचा है
भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल हमारे पास 319 अरब टन कोयला है, लेकिन यूरोप और अमेरिका की एजेंसियां सिर्फ 107 अरब टन मानती हैं।

कोयले की सबसे ज्यादा खपत भारत दूसरे नंबर है। yearbook.enerdata.net के मुताबिक औसतन भारत में 1 अरब टन कोयले की खपत होती है। भारत की सरकार के आंकाड़ों की मानें तो हमारे पास 319 साल का कोयला है। अगर इंटरनेशनल एजेंसी की माने तो 107 साल कोयला और बचा हुआ है।

 अगर कोयला खत्म हो जाता है तो बिजली बनाने के क्या विकल्प हो सकते हैं?

देखिए दुनिया में कुल 37% बिजली ही कोयले से बनती है। बाकी 67% दूसरे तरीकों से। अमेरिका 73% बिजली रिन्यूएबल रिसोर्सेस हवा, सौर उर्जा के जरिए बनाता है। इसलिए कोयला खत्म होने से अमेरिका जैसे देशों को अधिक दिक्कत नहीं होगी। अमेरिका का टारगेट है 2040 तक वो कोयले से बनने वाली बिजली को हर हाल में 20% पर लाकर खड़ा कर देगा।

लेकिन भारत में पिक्चर एकदम उल्टी है
हमारे यहां बिजली बनाने में रिन्यूएबल रिसोर्सेज के जरिए सिर्फ 25% बिजली बनती है। हाइड्रो पावर प्लांट के जरिए 12%। सबसे ज्यादा कोयले से करीब 55% बिजली बनती है। इंडिया ने रिन्यूएबल एनर्जी के लिए 2022 का टारगेट 1,75,000 मेगा वॉट का रखा है। जो कि कुल बिजली उत्पादन 3,84,115 मेगा वॉट का 45% है। लेकिन हम फिलहाल इस आंकड़े से काफी दूर है। 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक अभी सिर्फ 25% ही रिन्यूएबल रिसोर्सेस बिजली बन पा रही है।

बिन कोयला हम 18वीं सदी लौट जाएंगे
भारत में पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1774 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में कोयले का खनन किया था। इससे पहले हमारी जिंदगी बिना कोयले की चल रही थी। तो अगर कोयला खत्म हो जाता है और हम उसके विकल्पों पर काम नहीं कर पाते हैं तो हम 18वीं सदी की जिंदगी में वापस लौट जाएंगे।

आज जानना जरूरी है में इतना ही। अगर आप अपने मन किसी सब्जेक्ट पर ये शो देखना चाहते हैं तो नीचे सुझाव सेक्‍शन में हमें बताइए।

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