सुबह हॉकर, दिन में JCB ऑपरेटर और रात में खनन मजदूर का काम करने वाले युवा को मिला केरल का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार
जाने उस युवा की कहानी
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
जब मनुष्य जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है ।
अपने परिवार की देखभाल के लिए बीच में पढ़ाई छोड़ चुके 28 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर अखिल को उनके लघु कथाओं के संग्रह ‘नीलाचदयन’ के लिए हाल ही में केरल साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित वार्षिक साहित्य पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार ने इस युवा की असाधारण कहानी को राष्ट्रीय पटल पर सभी के सामने लाया। अखिल ने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आने के बावजूद साहित्य के प्रति अपना जज्बा कायम रखा।
तड़के से लेकर देर रात तक करते काम
लोगों के अनुभव सुनकर लिखी कहानियां
नहीं मिले प्रकाशक
ऐसे जुटाए 20 हजार रुपये
नीलाचदयन’ पहले तब प्रकाशित हुआ जब अखिल ने फेसबुक पर एक विज्ञापन देखा, जिसमें कहा गया था कि यदि लेखक 20000 रुपये दे तो वह उसकी पुस्तक का प्रकाशन करेगा। अखिल ने कहा, ‘मैंने करीब 10000 रुपये बचाकर रखे थे। दिहाड़ी मजदूरी करने वाली मेरी मां ने अतिरिक्त 10 हजार रुपये जुटाने में मेरी मदद की और हमने पहली पुस्तक के प्रकाशन के लिए पैसे दिये। यह केवल ऑनलाइन बिक्री के लिए थी।’
इस तरह किताब हुई पॉप्युलर
चूंकि यह पुस्तक राज्य में किसी दुकान पर नहीं थी इसलिए उसने कोई ऐसा प्रभाव नहीं पैदा किया। अखिल ने बताया कि इस पुस्तक को तब एक पहचान मिली जब बिपिन चंद्रन ने फेसबुक पर उसके बारे में सकारात्मक बातें लिखीं। अखिल ने कहा, ‘बाद में लोग पुस्तक की दुकानों पर उसके बारे में पूछने लगे और प्रकाशन शुरू हो गया। अब तक आठ संस्करण प्रकाशित हुए हैं। अखिल ने कहा यह पुरस्कार उनकी तरह अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत होगा। इस पुरस्कार को ‘गीता हिरण्यन एंडोमेंट’ पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है। अखिल ने और किताबें भी लिखी हैं जिनमें स्टोरी ऑफ लॉयन 1 , और ताराकंठन शामिल है।
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