प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक नई नियुक्ति नियमावली बनाना, कार्यरत शिक्षकों का अपमान : समरेंद्र बहादुर सिंह
श्रीनारद मीडिया‚ मनोज तिवारी‚ छपरा (बिहार):
हम परीक्षा से नहीं डरते बल्कि सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते हैं। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज विद्यालय की संकल्पना में परिवर्तन हो गया है। लोगों में विद्यालय के प्रति बदलाव की भावना हो गई है जो बच्चों के भविष्य के लिए उचित नहीं है I उक्त बातें परिवर्तनकरी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कही है। उन्होंने कहा कि विद्यालय की संकल्पना शिक्षक शिक्षार्थी और शैक्षिक वातावरण से की जाती है लेकिन सरकार की कुछ गलत नीतियों के कारण आज के विद्यालय में शिक्षक शिक्षार्थी और शैक्षिक वातावरण में बहुत कुछ परिवर्तन हो गया है। जिसमें शिक्षकों का विभिन्न कैडर शैक्षणिक वातावरण में गैर शैक्षणिक कार्यों का समिश्रण इन सब कार्यों से शिक्षा की गुणवत्ता पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। सरकार का कथन है कि हम सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं लेकिन इस कथन के अनुरूप सरकार की नीति नहीं है बल्कि उनके नियत में खोट के कारण गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ही विपरीत उनकी नीति रही है । इसका उदाहरण आप विद्यालय में देख सकते हैं जिसमें कई संवर्ग के शिक्षक एक ही कार्य करते हैं और विभिन्न तरह का उन्हें वेतन और विभिन्न पद नाम से उन्हें संबोधित किया जाता है
# सरकार की नियत एवं नियम मौसम की भांति बदलते रहता है
समरेंद्र बहादुर ने कहा कि सरकार की नियत एव नियम मौसम की तरह बदलते रहता है। उनके द्वारा वर्ष 2006 से लेकर आज तक सरकार शिक्षक नियोजन से संबंधित विभिन्न तरह की नियोजन नियुक्ति नियमावली सेवा शर्त नियमावली बनाती रही है जिससे शिक्षक अच्छादित होते रहे हैं इसी क्रम में आज 2021 में प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक पद के लिए नियुक्ति नियमावली बनाई गई है जो कार्यरत शिक्षको की हकमारी और उन्हें अपमानित करने के लिए है I प्रधानाध्यापक नियुक्ति नियमावली में निजी विद्यालय के शिक्षक भी भाग ले सकते हैं जबकि बिहार में 4 लाख शिक्षक सरकारी विद्यालयों में कार्यरत है उनमें भी प्रतिभा है उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। इस बात का ध्यान सरकार ने नहीं रखा है। शिक्षक नियोजन नियमावली 2020 में यह प्रावधान है कि मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक के सभी पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे। अर्थात सेवा दे रहे शिक्षकों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा लेकिन इस नियमावली के आने से शिक्षकों के प्रोन्नति का मामला समाप्त हो गया है । इतने दिनों से अपनी सेवा दे रहे शिक्षकों का प्रधान कोई दूसरा कोई आ जाए और शिक्षकों को मौका नहीं मिले यह उनके मानव अधिकार का उल्लंघन है साथ ही साथ उनको सीमित दायरे में रखने की सरकार के सोच का प्रमाण है।
प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक नियुक्ति नियमावली शिक्षकों को खंडित करने का एक प्रयास है। इससे शिक्षक अपनी वाजिब मांग नहीं मांग सकेंगे और टुकड़ों में बत जाएंगे । परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ जिला एवं प्रखंड इकाई एक स्वर से इस नियमावली का विरोध किया है। जिला अध्यक्ष समरेन्द्र बहादुर सिंह ने सरकार से मांग किया है ग कि परीक्षा लेकर सभी शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान और पूर्ण शिक्षक पद का लाभ दिया जाए और शैक्षिक व्यवस्था में समानता कायम की जाए। शिक्षकों के विभिन्न कैडर बनाने से शिक्षा की गुणवत्ता पर व्यापक असर पड़ता है क्योंकि सभी को एक ही छत के नीचे काम करना पड़ता है। मुख्य रूप से विनोद राय, इंद्रजीत महतो, निजाम अहमद, मन्टु मिश्र, विनायक यादव,राजू सिंह, अनुज यादव,असरारुल हक़, रवि सिंह राठौर, राजेश कौशिक, संजय राय, सूर्य देव सिंह, फिरोज इकबाल, नरेंद्र राय, हवलदार माझी, राजू सिंह सुनील सिंह, राहुल रंजन सिंह, उपेंद्र सिंह, पंकज प्रकाश सिंह, स्वामीनाथ राय, अनिल दास, मंटू कुमार मिश्र, विनायक यादव, अशोक यादव, एहसान अंसारी, अभिरंजन कुमार,प्रदीप मिश्रा, अरुणोदय कुमार, राहुल रंजन सिंह, रमेश कुमार सिंह, जितेंद्र सिंह, रणजीत सिंह, आदि मौजूद थे।
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