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- शिशु मृत्युदर कम करने को पकड़ीदयाल में हुई स्वास्थ्यकर्मियों की बैठक - श्रीनारद मीडिया

– शिशु मृत्युदर कम करने को पकड़ीदयाल में हुई स्वास्थ्यकर्मियों की बैठक

राफ्ट मोबाइल एप से हो रही शिशुओं की देखभाल
– शिशु मृत्युदर कम करने को पकड़ीदयाल में हुई स्वास्थ्यकर्मियों की बैठक
– स्तनपान व कंगारू मदर केयर पर दिया गया जोर

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श्री नारद मीडिया, प्रतीक सिंह ,मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण, बिहार

स्वास्थ्य विभाग द्वारा नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने की कवायद में अब अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इसी कड़ी में नवजातों की देखभाल के लिए राफ्ट मोबाइल एप्लिकेशन का सहारा लिया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कर्मी ऑनलाइन जीपीएस के माध्यम से नवजात शिशु के साथ अपनी तस्वीर दे रहे हैं। इस माध्यम से नवजात शिशु की ट्रैकिंग और पहचान आसान हो गयी है। जिले में अभी प्रति हजार शिशुओं में मौत का आंकड़ा 30 है जिसे घटाकर 25 से नीचे लाना है । केयर इंडिया के बीएम सतीया कुमार ने बताया एक माह के अंदर 25 बच्चे की मौत हो जाती है जिसमें 20 बच्चे कुपोषित होते हैं| इन्हीं कुपोषित बच्चों की पहचान कर छह महीना तक उसकी विशेष देखभाल करना जरूरी हो जाता है । वहीं चिह्नित किए गए बच्चों की देखभाल के लिए लगातार तीन दिन तक सामुदायिक स्वास्थ्य समन्वयक तथा आशा कर्मी बच्चों के घर जाते हैं । उसके बाद मोबाइल एप्लीकेशन राफ्ट पर तस्वीर अपलोड करते हैं| फिर उन्हें उचित देखभाल की सलाह दी जाती है । चौथे और सातवें दिन प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधक मौके पर पहुंचकर इस प्रक्रिया को दोहराते हैं । केयर इंडिया के प्रखंड प्रतिनिधि सतीश कुमार सिंह ने बताया पकड़ीदयाल प्रखंड में इसके लिए समुदायिक स्वास्थ्य समन्वय को जिम्मेदारी दी गई है| उनके द्वारा प्रखंड के अंतर्गत जन्मे सभी कमजोर शिशुओं का गृह भ्रमण कर विशेष देखभाल एवम उचित सलाह दी जा रही है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वीणा दास ने बताया प्रखंड में पिछले 3 महीने में 834 बच्चों का जन्म हुआ है। जिसमें 75 कमज़ोर बच्चों की पहचान की गई है, जिसमे सिर्फ 2 बच्चों की मृत्यु हुईं हैं जो पहले की तुलना में काफी कम है।
कंगारु मदर केयर पर दिया गया जोर
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वीणा दास ने बताया नवजात शिशुओं की माताओं को छह महीने तक स्तनपान तथा कम वजनी बच्चे के स्वास्थ्य के लिए कंगारु मदर केयर विधि को सर्वोत्तम माना गया है। इन दोनों ही विधियों का इस्तेमाल हम अपने आउटरीच में करते हैं। मौके पर सतीश कुमार सिंह मधुबन पीएचसी केयर, एम ओ आई सी- वीणा दास,बीएचएम-अवनीश कुमारी,एफपीसी केयर इंडिया के मनीष कुमार,जीएनएम नीलू कुमारी ,पूजा कुमारी,ए एन एम शाहनाज बेगम, बीएमअतुल कुमार ,राजेश कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे ।

कैसे की जाती है देखभाल
7 दिनों तक नवजात को स्नान नहीं कराना ।
-नाभि में कुछ नहीं लगाना 3-नवजात को केवल स्तनपान कराना
-कंगारू मदर केयर के द्वारा बच्चे को गरमाहट देना ।

कुपोषित बच्चों की कैसे की जाती है पहचान
-जन्म के समय 2000 ग्राम या उससे कम
– 37 सप्ताह से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे
-स्तनपान करने में नवजात का सक्षम नहीं होना।

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