बिहार जाति आधारित गणना पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जाति आधारित गणना मामले की सुनवाई अक्टूबर तक टल गई है। कोर्ट ने बुधवार को बिहार सरकार की सुनवाई टालने की मांग स्वीकारते हुए मामले को तीन अक्टूबर के बाद सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने भी किसी तरह का अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से की गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर रोक लगाने की मांग नही मानी। पटना हाई कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दीं थीं और जाति आधारित गणना को हरी झंडी दे दी थी। हाई कोर्ट के इस आदेश को गैर सरकारी संगठन एक सोच एक प्रयास और कई अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कर दिया था साफ

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिन सात अगस्त को हुई सुनवाई में कहा था कि वह मामले पर विस्तृत सुनवाई किये बगैर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करेगा। पिछली बार केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय ले लिया था जिसके कारण सुनवाई टल गई थी।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है जिसमें कहा गया है कि संवैधानिक प्रविधानों और कानून के मुताबिक जनगणना कराने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। बिहार सरकार कोर्ट को पहले ही बता चुकी है कि जाति आधारित गणना का काम छह अगस्त को ही पूरा हो गया था और अभी आंकड़ों का विश्लेषण चल रहा है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व एसवीएन भट्टी की पीठ ने की सुनवाई

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। राज्य सरकार की ओर से एक सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया गया, जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई अक्टूबर तक टालते हुए कहा कि केस को 3 अक्टूबर के बाद सुनवाई पर लगाया जाये। तभी याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया किया कि कोर्ट आंकड़ों के प्रकाशन पर फिलहाल रोक लगा दे।

कोर्ट ने नहीं दिया अंतरिम आदेश

वकील ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछली सुनवाई पर आश्वासन दिया था कि आंकड़ो का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। लेकिन पीठ ने मांग नहीं मानी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही कह चुकी है कि सर्वे का काम पूरा हो चुका है। डाटा अपलोड हो चुका है उसका विश्वलेषण चल रहा है। कोर्ट ने किसी भी तरह का अंतरिम आदेश नहीं दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

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