दीपोत्सव में झूम उठते मन 

दीपोत्सव में झूम उठते मन

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:


हमारे जीवन में त्योहार एक खुशी है,आनंद है परिवार समाज देश में बंधुत्व स्थापित करने की एक कड़ी है।भले ही आज की नई पीढ़ी इसे लोक परम्परा, रीत रिवाज का आडंबर मानते हैं परंतु यह त्योहार हमें हमारे परिवेश को एक सकारात्मक ऊर्जा देती है।जिस ऊर्जा को पाकर हमारी निराशा,हमारी व्यस्तता की थकान एक पल में ही खत्म हो जाती है।हमारे आस पास के लोग बनावटीपन के जाल में उलझ गए हैं। ये त्योहारों की खुशी उस नकारात्मकता को तोड़कर जीवन में प्रेम आस्था खुशी का प्रकाश बिखेर देती है।

ऐसे ही यह हमारा दीपावली का त्योहार है, जो काली घनी अमावस की रात को भी पूर्णिमा में बदल देती है।
है तो अमावस का घना अंधेरा पर जब जगमगाने लगे दियों की रोशनी तो लगता है धरती और आकाश का आज मिलन हो गया है।धरती पर रोशनी की लड़ियां झिलमिला रही हों ऐसे जैसे धरती के आंचल में तारों की बारात निकली हो और चांद धरती के आंचल में बैठकर प्रकाशित दीपो का आनंद ले रहा हो।

दिये जलकर रोशनी ही नही देते हृदय में प्रेम,मन में खुशी और जीवन में उत्साह का रंग भर देते हैं।इस दीपोत्सव में उल्लास का जो दृश्य लोगो में झलकता है वह मन की नकारात्मकता ही नही खत्म करता बल्कि दूषित मन पवित्र करके जीवन को सकारात्मक बनाता है।

भारतीय सभ्यता एवम संस्कृति का महत्व तब अधिक बढ़ जाता है जब आधुनिक युग में उसी सभ्यता को अपनाकर लोग उसमें नवीनता का संचार कर जीवन को आनंदमई बनाते हैं।भारत में मनाए जाने वाले त्योहार के पीछे जो उद्देश्य होता है वह लोगों के विचार शैली को बदलता है और वही भारतीयों को एकता के सूत्र में बांधता है।असल की जिंदगी में इतनी उलझन,इतनी भागदौड़,इतनी व्यस्तता है कि लोग अपने आप को भी समय नही दे पाते पर ये त्योहार,खुशी मनाने के ऐसे बहाने होते हैं जो की भागदौड़ भरे जीवन को नव ऊर्जा प्रदान करते हैं।

ये छोटी छोटी खुशियां ही जीवन को जीवन देती हैं।आज अधिकांशतः लोग सामूहिक नही व्यक्तिगत हो गए हैं अपनी निजी जिंदगी को किसी की सलाह मार्गदर्शन के अनुसार नही जी रहे हैं, अपने अनुसार जी रहे हैं और ना ही किसी से अधिक मतलब रख रहे हैं।पर जब कोई उत्सव आता है तो लोग एक दूसरे को बधाइयां देते,गले मिलते थकते नही हैं।और लोगो का यही प्रेम भाव हमारी परंपरा को जीवंत करता है।हमारी सभ्यता को आगे बढ़ाता है।

यह दिवाली पर्व,मात्र दीपों का त्योहार नही है,यह पर्व पुरुषार्थ का पर्व है।आत्मसाक्षात्कार का पर्व है।सुषुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है।विशुद्ध पर्यावरण को बनाए रखने के लिए नव संदेश देने का पर्व है।यह प्रकाश पर्व समाज के हर एक वर्ग में एक दूसरे के प्रति सम्मान सहयोग की भावना को जागृत करने का पर्व है।दीपावली का मुख्य बिंदु प्रकाश फैलाकर अंधेरे को दूर करना, सुख,समृद्धि, सम्पन्नता,खुशहाली,वैभव आदि प्रदान करना है।

हम भारत में रहते हैं।जो विभिन्न धर्मों,संस्कृतियों,परम्पराओं और विभिन्न प्रकार के त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है।हिंदू धर्म में दीपावली का धार्मिक महत्व यह है की आज के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष वनवास के बाद रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे।अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था।अयोध्यावासियों की यह खुशी आज भी देखने को मिल रही है।आज भी लोग उसी उत्साह से राजा राम के आगमन की खुशी दीप जलाकर मनाते हैं।कार्तिक मांस में अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार विजय पर्व,प्रकाशपर्व के नाम से जाना जाता है।जैन धर्म महावीर को इसी दिन मोक्ष प्राप्त हुआ था।

पांच सौ वर्ष ईशा पूर्व मोहनजोदड़ो की सभ्यता के प्राप्त अवशेषों में मिट्टी की मूर्तिया,और उस पर दीप के जलते हुए चित्र दिखाई दिए उसके अनुसार उस समय भी दीपावली मनाई जाती थी।हमारे वैदिक ग्रंथ में कार्तिक अमावस्या का विशेष महत्व है इस दिन श्री लक्ष्मी गणेश पृथ्वी पर विचरण करते हैं और जन जीवन को कर्मानुसार सुख सम्पन्नता का आशीर्वाद भी देते हैं।आध्यात्मिक जीवन में दीपावली त्योहार का बहुत अधिक महत्व है।अमावस्या की रात्रि मंत्र सिद्ध करने का नकारात्मक ऊर्जा से उत्पन्न भय बाधा को दूर करने महत्वपूर्ण दिवस है।दीपावली पंच दिवसीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

दीपावली के एक दिन पहले आने वाला धनतेरस का त्योहार दीपावली के त्योहार को दुगनी खुशी देता है गणेश लक्ष्मी के पूजन का सामान खरीदने के लिए बाजारों की चमक देखती ही बनती है।सांझ पहर से ही लोग भक्ति आस्था में डूबकर गणेश लक्ष्मी के आगमन में आरती कुबेर का वंदन करते हैं जो की सुख समृद्धि के देवता हैं।

इस पर्व का आरंभ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी से शुरू होकर शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तक रहता है।नरकासुर के वध का भी बहुत अधिक महत्व है इस दिन को नर्क चतुर्दशी या काली चौदस के नाम से मनाते हैं।

धनतेरस,नरकचतुर्दशी,दीपावली,गोवर्धनपूजा,भाई दूज ये सभी त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाते हैं।दीपावली का ये त्योहार सभी के जीवन को खुशी व उत्साह प्रदान करता है।यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोई हमारी वजह से त्योहार के दिन कोई दुखी न रहे। यदि हम किसी के लिए कुछ करने के योग्य हैं तो वह कार्य हमें करने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।दूसरों को खुशी देने का प्रयास करना चाहिए।
गौर कीजिएगा हमारी चार पंक्तियों पर
जो भूखे हैं सूखे हैं बेबस हैं चेहरे,
चलो झोपड़ी उनके दीपक जलाएं।
निराशा के तम में भटकते जो मन हैं,
चलो स्वप्न उर आस उनके सजाए।
दीपावली का त्योहार तभी सार्थक होता है जब हम अपनी खुशी को दूसरों के साथ बांटते हैं और दूसरे की खुशी में शामिल होकर उनका सहयोग करते हैं।यह असंख्य दीपों की रंग बिरंगी रोशनी, जलती हुई फुलझड़िया मन को मोह लेती हैं।

कार्तिक मांस का यह पर्व एक अनूठा पर्व है।जिसमें खुशी,सुख समृद्धि,और ऊर्जा भरपूर मात्रा में मिलती है यह एक ऐसा त्योहार है जो जीवन में खुशी के रंग भर देता है।इस दिन धरती की छवि अनुपम होती है।लोग दीप,मोमबत्ती,पटाखे फोड़कर इस त्योहार को मनाते हैं।अच्छा भोजन बनाते है दूसरों को खुशी से खिलाते है।प्रेम भाईचारे का यह अद्भुत त्योहार दीपावली हर तरह से जीवन में खुशी सुख समृद्धि और शांति लेकर आता है।


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प्रज्ञा तिवारी
साहित्यकार
सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश)

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