मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सभी मित्रों को मकर_संक्रांति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! सकारात्मक परिवर्तन के द्योतक इस पर्व में दक्षिणायण से उत्तरायण में सूर्य का प्रवेश प्राकृतिक परिवर्तन के संकेतों के साथ शरद ऋतु के समापन तथा निकटवर्ती वसंतऋतोपरांत चैत्र मास में भारतीय नव वर्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) के समीप होने का भी संकेत है, जिसे भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न स्वरूपों में सामुहिक उत्सव के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाने की सशक्त प्राचीन परंपरा सदैव सुदृढ़ रही है ।

प्राचीन काल से ही इस दिवस का अत्यंत महत्व रहा है जिसका उल्लेख अनेक शास्त्रों में भी स्पष्ट मिलता है । महाभारत में वर्णित है कि भीष्म पितामह ने अपने शरीर को त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति के दिवस का ही चयन किया था तथा पुराणों के अनुसार इसी दिन गंगा भी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं । चूंकि दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है, अतः इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व माना जाता है।

इस शुभ अवसर पर सर्वशक्तिमान से प्रार्थना है कि राष्ट्र सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में सतत् अग्रसर रहे तथा चहुँमुखी आर्थिक विकास के साथ सामाजिक सौहार्द में नित्य वृद्धि प्राप्त करते हुए संपूर्ण विश्व जगत को प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित मार्गदर्शन प्रदत्त करता रहे ।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर शुक्रवार को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाएंगे। इस दिन गंगा में स्नान एवं दान पुण्य करना उत्तम माना जाता है। मकर संक्रांति पर इस बार रोहणी नक्षत्र, ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है। इस वजह से यह मकर संक्रांति खास होगी।

हिंदू धर्म में मकर संक्राति पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन किया गया गंगा स्नान, खिचड़ी, गर्म वस्त्र, तिल, चावल, घी, कंबल, गुड़ के दान और भगवान के दर्शन से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह दिन बड़ा पावन माना जाता है क्योंकि इस दिन से खरमास का अंत होता है, जिससे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। 14 जनवरी को ही सुबह लगभग आठ बजकर दस मिनट से पुण्य काल प्रारंभ हो जाएगा। मकर संक्रांति पर रोहणी नक्षत्र, ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है, जो कि काफी शुभ है। माना जाता है कि रोहणी नक्षत्र में दान-पुण्य करने से यश की प्राप्ति होती है और कष्टों का अंत होता है।

मकर संक्रांति के पुण्यकाल में पवित्र नदियों में सबसे पहले स्नान करने का महत्‍व है। लेकिन कोराना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए घर पर स्‍नान किया जा सकता है। घर में एक टब अथवा बाल्‍टी में पानी में गंगाजल की बूंदे डालकर स्नान करें। फिर सूर्यदेव को अर्ध्य दें और उनकी पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। काले तिल का दान करें।

एक महीने से चले आ रहे खरमास मकर संक्राति के साथ ही समाप्त हो जाएंगे। साथ ही, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। 14 जनवरी से 20 फरवरी तक विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं।

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