पराली जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना

पराली जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सरकार खुले में कृषि अपशिष्ट जलाने पर भारी जुर्माना लगाने और कचरे को अलग-अलग नहीं करने के लिए व्यक्तियों एवं प्रतिष्ठानों पर जुर्माना लगाने का अधिकार सफाई कर्मियों को देने की योजना बना रही है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में कचरा प्रबंधन के तरीकों को सुधारने, मजबूत निगरानी व्यवस्था बनाने और लंबे समय से लगे कचरे के ढेरों से निपटने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

नौ दिसंबर को जारी ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2024 के मसौदे के अनुसार, यह सुनिश्चित करना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी होगी कि कृषि या बागवानी अपशिष्ट जलाने की कोई घटना न हो और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इस बारे में संबंधित लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। ये नियम अगले वर्ष एक अक्टूबर से प्रभावी होंगे।

वायु प्रदूषण को देखते हुए फैसला

गौरतलब है कि सर्दियों के महीनों में एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पिछले महीने पराली जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी थी। दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को अब 2,500 रुपये के स्थान पर 5,000 रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देनी होगी, जबकि दो से पांच एकड़ की जमीन वाले किसानों को पांच हजार के स्थान पर 10 हजार रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देनी होगी। विभिन्न अध्ययनों का अनुमान है कि पराली जलाने के मौसम में एनसीआर के पीएम स्तर में इसके धुएं का 30 प्रतिशत तक योगदान होता है।

लगेगा भारी जुर्माना

विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग नहीं करने के लिए सरकार सफाई कर्मचारियों को जुर्माना लगाने और कचरा एकत्र करने से इनकार करने का अधिकार देने की योजना भी बना रही है। मसौदा नियमों के अनुसार कचरे को चार श्रेणियों में बांटा गया है- गीला कचरा, सूखा कचरा, स्वच्छता से जुड़ा कचरा (डायपर्स एवं सैनिटरी नैपकिन इत्यादि) और विशेष ध्यान देने योग्य कचरा (खतरनाक सामग्री शामिल)। इसके विपरीत 2016 के नियमों में कचरे को तीन श्रेणियों में बांटा गया था- स्वत: नष्ट होने वाला कचरा (बायोडिग्रेडेबल), स्वत: नष्ट नहीं होने वाला कचरा (नान-बायोडिग्रेडेबल) और खतरनाक कचरा (हैजार्डस)।
मसौदा नियमों के अनुसार, स्थानीय निकायों को डिजिटल ट्रै¨कग सिस्टम और जियो-टैग कचरा प्रबंधन सुविधाओं को भी अमल में लाना होगा। कचरा प्रबंधन के आंकड़े भेजने के लिए आनलाइन पोर्टल बनाने एवं उसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी।
आश्चर्यजनक रूप से इस वर्ष उत्तर भारत के दो राज्यों (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। लेकिन चार राज्यों (दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश) में इन घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। अलबत्ता, कुल मिलाकर पराली जलाने के मामलों में पहले की तुलना में कमी आई है।

वहीं, पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामले 40 फीसदी कम रहे हैं। पंजाब में सबसे ज्यादा लगभग 70 फीसदी की कमी आई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों पराली जलाने के मामलों में पहले की तुलना में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है।

एक बड़े हिस्से में फैल जाता है धुआं

धान की फसल के बाद खेत को गेंहू की फसल के लिए जल्दी तैयार करने के चलते खेतों में ही धान की फसल के बचे-खुचे अवशेष को जलाने की प्रवृत्ति रही है। हजारों जगहों पर लगने वाली इस आग के चलते उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में धुआं फैल जाता है और लोगों को भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। इसलिए हर साल ही इस पर रोक लगाने के लिए तमाम कवायद की जा रही है।

इन कवायदों का कुछ असर इस बार पराली जलाने के मामलों में आई कमी के रूप में दिखाई पड़ रही है। कंसोर्टियम फॉर रिसर्च एंड एग्रोईकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्राम स्पेस (क्रीम्स) द्वारा देश के छह राज्यों में पराली की घटनाओं पर निगाह रखी जाती है।

क्रीम्स के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 20 नवंबर तक इन छह राज्यों में कुल 52 हजार 555 मामले रिकॉर्ड किए गए थे। लेकिन, इस बार इन राज्यों में 20 नवंबर तक 29 हजार 997 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं। यानी पहले की तुलना में इसमें लगभग चालीस फीसदी की कमी आई है।

पंजाब में सत्तर फीसदी तक आई कमी

पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं पंजाब से ही सामने आती रही हैं। इस साल भी घटनाओं के मामले में पंजाब ही पहले स्थान पर है लेकिन राहत की बात यह है कि पंजाब में पराली जलाने के मामलों में लगभग 70 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल पंजाब में 20 नवंबर तक पराली जलाने की 35 हजार 93 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि, इस बार अभी तक पराली जलाने के 10 हजार 104 मामले दर्ज किए गए हैं।

हरियाणा में भी पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। जबकि, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं। जिसे कि अगले सालों के लिए चिंता की बात कहा जा सकता है।

पराली जलाने की घटनाएं

राज्यवर्ष 2024वर्ष 2023
पंजाब10,10435,093
हरियाणा1,1832,123
उत्तर प्रदेश3,7032,751
दिल्ली1205
राजस्थान2,3561,624
मध्य प्रदेश12,63910,959
कुल29,99752,555

(आंकड़े बीस नवंबर तक के हैं और क्रीम्स के हैं)

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