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एलिजाबेथ द्व‍ितीय की ताजपोशी से लेकर अब तक का उनका सफर - श्रीनारद मीडिया

एलिजाबेथ द्व‍ितीय की ताजपोशी से लेकर अब तक का उनका सफर

एलिजाबेथ द्व‍ितीय की ताजपोशी से लेकर अब तक का उनका सफर

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत जब ब्रिटेन से अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था तब उसी दौर में 21 अप्रैल, 1926 में लंदन में एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म हुआ। उस वक्त तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह एक दिन ब्रिटेन की गद्दी पर बैठेंगी। वक्त के साथ करवट लेती इंग्लैंड की कहानी में एलिजाबेथ के हिस्से में महारानी का पद भारत की आजादी के बाद आया। क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय दो जून, 1953 को ब्रिटेन की गद्दी बैठीं।

यह भी बता दें कि ब्रिटेन एक समय जिसके लिए कहा जाता था, इसके साम्राज्य में सूरज कभी डूबता नहीं है। वहीं जब क्वीन एलिजाबेथ की ताजपोशी हो रही थी तब राजशाही व्यवस्था पर ही सवाल उठ रहे थे। हालांकि, यह कहना उचित होगा कि इतने विरोध और आशंकाओं के बीच महारानी ने शाही परिवार की शान को बरकार रखा।

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विरोध के बीच हुई ताजपोशी 

दुनिया के बड़े हिस्से पर राज करने वाली ब्रिटेन की हुकूमत पर जब महारानी की ताजपोशी हुई थी तब उसके साम्राज्य के रुतबे और रकबे दोनों में ही कमी आ रही थी। उथल-पुथल और बदलावों के दौर के बीच महारानी गद्दी पर बैठीं और वह सत्तर सालों तक शासन किया। ब्रिटेन की महारानी को सम्मान तो बहुत है लेकिन वहां की राजनीतिक पृष्ठभूमि में उनकी भूमिका बेहदम कम है। कुल मिला कर यह भी कह सकते हैं कि इसे सिर्फ सांकेतिक तौर पर ही मौजूद रखा जाता है।

ब्रिटेन में सरकार का कंट्रोल प्रधानमंत्री के पास ही होता है हालांकि उन्हें प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करना पड़ता है। कुल मिला कर उनका सत्ता में उनकी घुसपैठ कम रहती है। इन सबके बीच महारानी द्वितीय ने काफी तालमेल बिठा कर देश दुनिया के बीच ब्रिटेन की महत्ता को बनाए रखा। महारानी ने लगभग सभी देशों से ब्रिटेन के अच्छे संबंध बनाएं रखने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत से भी इनके रिश्ते की बात की जाए तो यह भी काफी गर्मजोशी से भरे रहे। हाल में ही बिट्रेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के चुने जाने पर भारत ने शुभकामनाएं भी दी थीं।

कब हुआ निधन

महारानी द्वितीय का निधन आठ सितंबर को भारतीय समयानुसार रात को साढ़े ग्यारह बजे के करीब हुआ। इसके बाद बकिंघम पैलेस ने एक बयान जारी कर उनके निधन की सूचना पर मुहर लगाई। बताया कि ‘‘महारानी का आज दोपहर बाल्मोरल में निधन हो गया।।’’ बकिंघम पैलेस ने अपने बयान में यह भी बताया कि ‘‘द किंग एंड द क्वीन कंसोर्ट (चार्ल्स एंड कैमिला) आज शाम बाल्मोरल में रहेंगे और कल (शुक्रवार) लंदन लौटेंगे।’’

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी (द्वितीय) का गुरुवार को स्काटलैंड के बालमोरल कैसल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं। 96 वर्षीय महारानी छह फरवरी, 1952 को ब्रिटिश साम्राज्य की शासक बनीं। महारानी एलिजाबेथ कुल 70 साल और 211 दिन तक सिंहासन पर रहीं। वह दुनिया की सबसे लंबे समय तक शासन प्रमुख रहीं। ब्रिटेन के किंग जार्ज (छठे) और महारानी एलिजाबेथ की संतान एलिजाबेथ द्वितीय का विवाह 1947 में फिलिप माउंटबेटन से हुआ था।

एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की चार संतानें

फिलिप ग्रीस और डेनमार्क के प्रिंस थे। उनका निधन पिछले साल अप्रैल में हो गया था। महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की चार संतानें हैं। सबसे बड़े बेटे प्रिंस चा‌र्ल्स अब ब्रिटेन की राजगद्दी संभालेंगे। उनके दो भाई- प्रिंस एंड्रयू, प्रिंस एडवर्ड और बहन प्रिंसेस हैं।

25 साल की उम्र में बनीं महारानी

एलिजाबेथ द्वितीय अपने पिता जार्ज-6 की मृत्यु के बाद छह फरवरी, 1952 को सिर्फ 25 साल की उम्र में सिंहासन पर बैठीं। एलिजाबेथ अपने पिता की मृत्यु के समय केन्या में थीं और देश की महारानी के रूप में घर लौटीं।

15 देशों की महारानी

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय न केवल ब्रिटेन बल्कि 15 अन्य देशों की भी महारानी थीं। हालांकि वे सीधे तौर पर ब्रिटेन से ही जुड़ी हुई थीं।

इन देशों की राष्ट्राध्यक्ष

ब्रिटेन के अलावा वे कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जमैका, बहामास, ग्रेनाडा, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप, तुवालु, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ और बारबुडा की भी रानी थीं।

सबसे अधिक समय तक शासन

एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी थीं। 2015 में उन्होंने 63 साल और 217 दिन का शासन पूरा कर महारानी विक्टोरिया का रिकार्ड तोड़ा था। विक्टोरिया ने 63 साल 216 दिनों तक शासन किया था।

15 प्रधानमंत्रियों को किया नियुक्त

1952 में महारानी एलिजाबेथ के सिंहासन पर बैठने के समय विस्टन चर्चिल प्रधानमंत्री थे। लिज ट्रस महारानी के समक्ष शपथ लेने वाली 15वीं प्रधानमंत्री हैं।

सशस्त्र बलों में प्रवेश करने वाली शाही परिवार की एकमात्र महिला सदस्य

1939 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ा, तो एलिजाबेथ ने अपने पिता से इसमें शामिल होने के लिए विनती की। 1945 में 18 साल की उम्र में ट्रक ड्राइवर और मैकेनिक के रूप में प्रशिक्षित हुईं। तमाम जोखिमों के बावजूद वे अंतत: महिला सहायक क्षेत्रीय सेवा में शामिल हो गईं। इस तरह वे सशस्त्र बलों में प्रवेश करने वाली शाही परिवार की एकमात्र महिला सदस्य थीं।

शाही परिवार की ओर से जारी बयान के मुताबिक महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन गुरुवार को दोपहर बालमोराल (Balmoral) में हुआ। महारानी एलिजाबेथ 70 साल तक ब्रिटेन की महारानी रहीं और उन्‍होंने 15 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा। महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद ऑपरेशन लंदन ब्रिज (Operation London Bridge) सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। आइए जानें आखिर क्‍या है ऑपरेशन लंदन ब्रिज…

www.forbes.com के अनुसार ऑपरेशन लंदन ब्रिज महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद लागू की जाने वाली योजनाओं का कोडनेम है। फोर्ब्‍स की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद क्‍या होगा, इसका एक पूरा प्‍लान ब्रिटेन की सरकार की तरफ से पूर्व निर्धारित है। इसको एक कोडनेम दिया गया है। ऑपरेशन लंदन ब्रिज के नाम से चर्चित यह कोड गोपनीय था लेकिन कुछ साल पहले इसके बारे में जानकारियां सार्वजन‍िक हो गईं।

वर्ष 2017 में वायरल हुए ‘द गार्जियन’ (The Guardian) के एक अंश के मुताबिक जब महारानी की मृत्यु हो जाएगी तो उनके निजी सचिव एडवर्ड यंग (Edward Young) सबसे पहले उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों को सूचित करेंगे। पिछले साल पोलिटिको को मिले इन योजनाओं से जुड़े दस्तावेजों के अनुसार, ‘लंदन ब्रिज इज डाउन’ (London Bridge is down) नाम के कोडनेम के जरिए सरकार को महारानी के निधन का संदेश भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री को फोन कॉल के जरिए सूचित किया जाएगा कि ‘लंदन ब्रिज इज डाउन’ यानी महारानी अब नहीं रहीं…

इसके बाद शाही परिवार महारानी के पार्थिव देह के अंतिम संस्‍कार की तैयारियों में जुट जाएगा। प्रिंस चार्ल्‍स को नया उत्‍तराधिकारी घोषित कर दिया जाएगा। वहीं समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, महारानी के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार की यात्रा का प्रबंधन करने के लिए एक विशाल सुरक्षा अभियान की योजना बनाई गई है। मालूम हो कि 65 साल पहले जब महाराजा जॉर्ज षष्‍ठम का निधन हुआ था तब ‘हाइड पार्क कॉर्नर’ नाम के कोडनेम का इस्‍तेमाल किया गया था। फोर्ब्‍स के अनुसार साल 2017 में ‘द गार्जियन’ ने एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें चार्ल्स को कैसे नया राजा घोषित किया जाएगा, इस बारे में योजना का जिक्र है।

 

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