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शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंधित,क्या कहते हैं पुराने मामले? - श्रीनारद मीडिया

शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंधित,क्या कहते हैं पुराने मामले?

शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंधित,क्या कहते हैं पुराने मामले?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा 133 (2) के तहत प्राप्त अधिकार का प्रयोग करते हुए कर्नाटक सरकार ने पांच फरवरी को आदेश जारी किया है। इस धारा में राज्य सरकार को सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार है। इसके तहत 2013 में शिक्षण संस्थानों में यूनिफार्म अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया था। अब इसी प्रविधान का उल्लेख करते हुए नए निर्देश में राज्य सरकार ने कहा है कि हिजाब यूनिफार्म का हिस्सा नहीं है।

इसमें कहा गया है कि हिजाब पहनना मुस्लिमों के लिए ऐसी मजहबी व्यवस्था नहीं है जिसे संविधान के तहत संरक्षण प्राप्त हो। इसमें राज्य सरकार ने तीन अन्य हाई कोर्ट के फैसलों का भी उल्लेख किया है, जिनमें कहा गया था कि हिजाब प्रतिबंधित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पिछले तीनों मामले अलग हैं। इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट भी पहले यह निर्धारित करेगा कि हिजाब पहनना अनिवार्य मजहबी व्यवस्था है या नहीं?

केरल हाई कोर्ट

2018 फातिमा तसनीम बनाम केरल मामला

12 और आठ साल की बच्चियों के पिता मुहम्मद सुनीर ने एक रिट याचिका दायर की थी। बच्चियां एक क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में पढ़ती थीं। स्कूल ने ड्रेस कोड का उल्लंघन मानते हुए बच्चियों को पूरी बांह की शर्ट और हिजाब पहनने से रोका था। केरल हाई कोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने स्कूल के पक्ष में फैसला दिया था। अदालत ने कहा कि स्कूल के सामूहिक अधिकार को छात्रों के व्यक्तिगत अधिकार पर वरीयता दी जानी चाहिए।

मौजूदा मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केरल का मामला अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान से जुड़ा है, न कि किसी सरकारी शिक्षण संस्थान से। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को संविधान में अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।

बांबे हाई कोर्ट

2003 फातिमा हुसैन सैयद बनाम भारत एजुकेशन सोसायटी

अवयस्क छात्रा ने स्कूल के ड्रेस कोड के विरोध में याचिका दायर की थी। स्कूल ने हिजाब की अनुमति नहीं दी थी। वह केवल छात्राओं का स्कूल था। सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि हिजाब को इस्लाम में अनिवार्य माना गया है। इस पर अदालत ने कहा कि कुरान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि एक महिला को दूसरी

महिला के सामने भी हिजाब पहनना चाहिए। इस आधार पर फैसला स्कूल के पक्ष में दिया गया।

मौजूदा मामले में दलील दी जा रही है कि बांबे हाई कोर्ट का फैसला कन्या विद्यालय के मामले में दिया गया है। कोर्ट ने हिजाब को गलत नहीं माना है। सह-शिक्षा वाले संस्थानों में छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति होनी चाहिए।

मद्रास हाई कोर्ट

2004 सर एम वेंकट सुब्बाराव, मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल बनाम स्कूल स्टाफ एसोसिएशन

स्टाफ एसोसिएशन ने अध्यापकों को लेकर स्कूल प्रबंधन की तरफ से बनाए गए ड्रेस कोड के विरोध में याचिका दी थी। अदालत ने माना था कि ड्रेस कोड लागू करने को वैधानिक नहीं कहा जा सकता है, लेकिन साथ ही कहा कि अध्यापकों को अनुशासन के मामले में छात्रों के लिए आदर्श बनना चाहिए।

कर्नाटक मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस मामले में इस बात पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है कि हिजाब पहनना संविधान के तहत संरक्षित धार्मिक अधिकार है या नहीं। लिहाजा यह फैसला आधार नहीं हो सकता है।

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