हिंदी आरंभ से ही एकीकरण की भाषा रही है- डॉ.अंजनी कुमार श्रीवास्तव।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार में राजभाषा प्रकोष्ठ एवं हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी पखवाड़-2024 के अन्तर्गत भाषण प्रतियोगिता का आयोजन बनकट स्थित नारायणी कक्ष में 25 सितम्बर 2024 को हुआ।

कार्यक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव सर के संरक्षण में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजभाषा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने की। इस कार्यक्रम की संयोजक राजभाषा प्रकोष्ठ की सदस्य एवं हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ. गरिमा तिवारी रहीं।

कार्यक्रम में निर्णायक समिति के सदस्य के रूप में डॉ.नरेंद्र सिंह सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, डॉ. मनीषा रानी सहायक आचार्य, शैक्षिक विभाग एवं डॉ. गोविंद प्रसाद वर्मा सहायक आचार्य, हिंदी विभाग उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त डॉ. श्यामनंदन एवं डॉ. आशा मीणा सहायक आचार्य, हिंदी विभाग की भी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी किसी एक क्षेत्र की भाषा नहीं है। हिंदी आरंभ से ही एकीकरण की भाषा रही है। संस्कृत के बाद हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो भारत के एकीकरण में समर्थ है। स्वतंत्रता संग्राम में भी हिंदी एकमात्र एकीकरण की भाषा थी। निर्णायक समिति की सदस्य डॉ. मनीषा रानी ने कहा कि एकीकरण का मतलब समन्वय की भावना है। हिंदी की शैली और बोधगम्यता अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ है। भारत के समग्र विकास में सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने पर ही नई शिक्षा नीति के लक्ष्य को हम प्राप्त कर सकेंगे।

निर्णायक समिति के सदस्य डॉ. नरेंद्र सिंह ने पुरस्कारों की घोषणा की। इस प्रतियोगिता में कुल पन्द्रह प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें प्रथम पुरस्कार रश्मि सिंह, शोधार्थी, हिंदी विभाग, द्वितीय पुरस्कार लोकेश पाण्डेय, शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग, तृतीय पुरस्कार निखिल पाण्डेय, शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग एवं सांत्वना पुरस्कार कुलदीप कुमार स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष, हिंदी विभाग को प्राप्त हुआ।

हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ.श्यामनंदन ने अपने वक्तव्य में कहा कि रीतिकाल तक राष्ट्रीयता की अवधारणा संकुचित थी। छोटे-छोटे प्रान्तों की अपनी भाषा थी, जिसका समेकित रूप हिंदी है। हिंदी समावेशीकरण की भाषा है। हिंदी के समर्थक जब सत्ता में आते हैं तो उसकी स्थिति और मजबूत हो जाती है किंतु अन्य भाषा के लोग सत्ता में आते हैं तो वह शिथिल पड़ जाती है। रोजगार के क्षेत्र में हिंदी सर्वोपरी है। हिंदी भाषा को बोलने में परहेज न करें। भारत के सभी भाषाओं को ससम्मानित मंच पर ले आएं तभी हिंदी एकीकरण की भाषा होगी।

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गरिमा तिवारी सहायक आचार्य, हिंदी विभाग ने किया वहीं कार्यक्रम का संचालन राजेश पाण्डेय, मीडिया सचिव, हिंदी साहित्य सभा ने किया। इस कार्यक्रम की आयोजन सचिव हिंदी साहित्य सभा की अध्यक्ष सुनंदा गराईं रहीं। सह संयोजक राजेश पांडेय,सुप्रिया कुमारी एवं अस्मिता पटेल शोधार्थी, हिंदी विभाग थीं।

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