हीरा बाबू जीरादेई क्षेत्र के शिक्षा के जनक थे – डॉ आशुतोष दिनेन्द्र

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हीरा बाबू के जयंती के उपलक्ष्य में कृष्ण मोहन उषा फाउंडेशन ने लगाया स्वास्थ्य शिविर

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वैसे तो जीरादेई की धरती किसी परिचय की मुमताज नहीं इस धरती ने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति का जन्म स्थान है। इसी धरती ने एक और महान विभूति को भी जन्म दिया हम बात कर रहे है हीरा सिंह उर्फ हीरा बाबू इनका जन्म स्थान जीरादेई के पड़ोसी गांव जामापुर में एक संभ्रांत किसान परिवार में हुआ हीरा बाबू महान व्यक्तित्व के मालिक थे शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने ऐसा दीपक जलाया जिसका प्रकाश दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही गया और वहां से पढ़कर लोग आगे की पढ़ाई करने के उपरांत देश के कोने कोने में अपनी योगदान दे रहे हैं और राष्ट्र की उन्नति में अपनी सहभागिता दे रहे हैं।

जी हां जब जीरादेई क्षेत्र में हाईस्कूल नहीं हुआ करता था मैट्रिक के पढ़ाई के लिए वहां के लोग हथुआ स्टेट गोपालगंज जाया करते थे। स्वयं देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद हथुआ से ही मैट्रिक किए। शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हीरा बाबू हमेशा तत्पर रहते थे हीरा बाबू हमेशा कहते थे “The School is my life desire “Heera Babu.
उस समय स्कूल के अभाव में शिक्षा का स्तर जीरादेई का काफी नीचे था तब हीरा बाबू ने डॉ राजेंद्र प्रसाद के भाई महेंद्र बाबू के नाम पर महेंद्र उच्च विद्यालय जिरादेई की 7 जुलाई 1947 में नींव रखी और कमेटी बनाकर उच्च विद्यालय का निर्माण करवाया एवं शिक्षण कार्य सुचारु रुप से चालू करवाएं। उस समय 10-12 किलोमीटर से लोग वहां पढ़ने आते थे। खुद डॉ आशुतोष दिनेंद्र उसी विद्यालय से मैट्रिक तक की पढ़ाई किए और आज मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद के साथ-साथ चिकित्सकीय सेवा प्रदान करते हैं।

उन्हीं की जयंती के उपलक्ष में समाज सेवी संस्था कृष्ण मोहन उषा फाउंडेशन ने जिला के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आशुतोष दिनेंद्र के नेतृत्व में स्पायरोमेट्री एवं यूरिक एसिड जांच शिविर का आयोजन कर पहले खुद डॉ आशुतोष ने अपना जांच करा कर फिर सैकड़ों लोगों का जांच कराकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया और उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उस महान शख्सियत को श्रद्धासुमन अर्पित किए ‌। हीरा बाबू अमर रहे।

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