उद्घाटन को लेकर विवाद का इतिहास?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विपक्षी दलों का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। लेकिन भारतीय इतिहास में यह पहली पर नहीं है, जब कई विपक्षी व गैर भाजपा दलों की सरकारों के पीएम, सीएम और नेताओं ने संसद या विधानसभा के भवनों का उद्घाटन और शिलान्यास किया है।

इतना ही नहीं कई बार तो उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति या राज्यपाल को आमंत्रित तक नहीं किया गया। ऐसे मामलों पर पहले कभी इतना बवाल नहीं मचा या इस तरह के मुद्दे को तवज्जो नहीं दी गई। आइए जानते हैं इस तरह के मामले कब-कब सुर्खियों में आए।

नई दिल्ली: अमर जवान ज्योति

नई दिल्ली में स्थित अमर जवान ज्योति की स्थापना दिसंबर 1971 में कि गई थी। 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसक उद्घाटन किया था। तब विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी से करवाना चाहिए, लेकिन मामला दबा दिया गया था।

राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

16 मार्च 2005 को जीएमआर द्वारा निर्माण शुरू किया गया जब सोनिया गांधी ने इसकी आधारशिला रखी थी। जबकि उस समय के आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी थे।

मणिपुर: नया विधानसभा परिसर

दिसंबर 2011 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मणिपुर की राजधानी इंफाल में नए विधानसभा परिसर और सिटी कन्वेंशन सेंटर समेत कई भवनों का शुभारंभ किया था।

बिहार: विधानसभा का सेंट्रल हाल

फरवरी 2019 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब प्रदेश विधानसभा के नए केंद्रीय कक्ष का उद्घाटन किया था। तब तत्कालीन राज्यपाल को इस उपलक्ष्य में हुए समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था।

तमिलनाडु: नया विधानसभा परिसर

मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और तमिलनाडु के सीएम एम करुणानिधि ने वर्ष 2010 के मार्च माह में नए विधानसभा परिसर का उद्घाटन किया जिसमें राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया था।

संसद भवन: एनेक्सी

24 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने नई दिल्ली में संसद की एनेक्सी यानी उपभवन का उद्घाटन किया था। देश में उस समय आपातकाल चल रहा था और राष्ट्रपति इस समारोह में आमंत्रित नहीं थे।

संसद भवन: नया पुस्तकालय खुला

15 अगस्त 1987 को तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने संसद भवन में नए पुस्तकालय का उद्घाटन किया था। कांग्रेस सरकार में हुए इस समारोह में भी राष्ट्रपति को आमंत्रण नहीं दिया गया था।

असम: नया विधानसभा भवन

वर्ष 2009 में असम में मुख्यमंत्री ने विधानसभा के नये भवन का शिलान्यास किया था। उस समारोह में भी राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया था।

आंध्र प्रदेश: नए विधानसभा भवन का शुभारंभ

सीएम द्वारा विधानसभा के नए भवन का शुभारंभ करने का एक उदाहरण आंध्र प्रदेश का भी है। वहां 2018 में सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू ने विस भवन का शुभारंभ किया था।

तेलंगाना: नए सचिवालय भवन का उद्घाटन

वर्ष 2023 में तेलंगाना के सचिवालय भवन का शुभारंभ सीएम केसी राव ने किया, लेकिन राज्यपाल को नहीं बुलाया गया।

छत्तीसगढ़: नए विधानसभा भवन का शिलान्यास

वर्ष 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ में नए विस भवन का शिलान्यास किया था। जिसमें राज्यपाल को आमंत्रण नहीं दिया गया था।

विपक्षी पार्टियों का फैसला जनतांत्रिक मूल्यों का अपमान

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले के लिए विपक्षी दलों पर तीखा पलटवार करते हुए उनके रुख को “लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान बताया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के 14 दलों के नेताओं ने विपक्षी दलों से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए भी कहा। साथ ही कहा कि यदि विपक्षी दल अपने रुख पर अड़े रहते हैं तो देश के लोग “लोकतंत्र और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के अपमान” को कभी नहीं भूलेंगे।

बयान में याद दिलाया गया कि विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मु का विरोध किया था। बयान से जुड़े पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के पीएम एकनाथ शिंदे, एनपीपी नेता और मेघालय के सीएम कानराड संगमा, नगालैंड के सीएम और एनडीपीपी के नेफू रियो, सिक्किम के सीएम और एसकेएम नेता प्रेम सिंह तमांग, हरियाणा के डिप्टी सीएम और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला, आरएलजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस, रिपब्लिकन पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल आदि शामिल हैं।

सात महीने पहले इलाहाबाद से नई दिल्ली संग्रहालय भेजा गया था सेंगोल

नए संसद भवन में स्थापित होने वाली ऐतिहासिक छड़ी सेंगोल को सात माह पहले यानी चार नवंबर, 2022 को ही इलाबादाद संग्रहालय से नेशनल म्यूजियम दिल्ली भेज दिया गया। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से उनकी व्यक्तिगत संग्रहीत वस्तुओं के साथ इलाहाबाद संग्रहालय को प्राप्त हुआ था। संग्रहालय की नेहरू वीथिका में दशकों तक यह सेंगोल पर्यटकों को आकर्षित करता रहा। वर्ष 1942 में इलाहाबाद संग्रहालय के प्रथम क्यूरेटर के रूप में तैनात किए गए डा. सतीश चंद्र काला के प्रयास को लोग आज भी याद करते हैं।

नेहरू वीथिका के क्यूरेटर डा. वामन वानखेड़े बताते हैं कि डा. काला ने ही पं. नेहरू के व्यक्तिगत संग्रहालय में रखे सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय लाने की कोशिश की और वह 1954 में सफल हुए। 15 सितंबर, 2022 को इलाहाबाद संग्रहालय की चेयरपर्सन और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने निर्देश दिया कि इस ऐतिहासिक छड़ी (सेंगोल) को दिल्ली संग्रहालय भेजने की व्यवस्था की जाए। चार नवंबर, 2022 को यह छड़ी दिल्ली भेज दी गई।

भारत के राजदंड की इलाहाबाद संग्रहालय ने कोई प्रतिकृति नहीं बनवाई, जिसे कि पर्यटकों के लिए शो केस में रखा जा सके। फिलहाल नेहरू वीथिका में जहां, इस राजदंड को शो केस में रखा गया था, वहां अब पं. नेहरू से प्राप्त दूसरी वस्तुएं धरोहर स्वरूप रखी गई हैं।

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