चमकी बुखार पर प्रभावी रूप से रोग नियंत्रण को लेकर चिकित्सा पदाधिकारी सहित एचएम और बीएचएम को किया गया प्रशिक्षित:
जिलाधिकारी के दिशा निर्देश में चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान: सिविल सर्जन
चमकी बुखार को लेकर बनाया गया जिला नियंत्रण कक्ष, जारी किया गया हेल्प लाइन नंबर: डीवीबीडीसीओ
श्रीनारद मीडिया, छपरा,(बिहार):
तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार पर प्रभावी रूप से रोग नियंत्रण को लेकर सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम स्कूल के सभागार में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, बीएचएम, वीबीडीएस और बीसीएम को मुख्य प्रशिक्षक डॉ इशिका सिन्हा और डॉ आशुतोष रंजन के अलावा सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीवीबीडीसीओ डॉ दिलीप कुमार, डीपीएम अरविंद कुमार और जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार सुधीर कुमार सिंह के द्वारा प्रशिक्षित किया गया। ताकि चमकी की धमकी को आसानी से परास्त किया जा सके। प्रशिक्षकों द्वारा बताया गया कि एईएस व जेई एक प्राणघातक बीमारी है। लेकिन सही समय पर रोग का उचित प्रबंधन नहीं होने से बीमार बच्चों की मौत हो सकती है। क्योंकि बच्चों में ज्ञात और अज्ञात कारणों से भी चमकी बुखार जैसे लक्षण हो सकता हैं। हालांकि जापानी इंसेफेलाइटिस (मस्तिस्क ज्वर) सक्रमित मच्छर के काटने से होता है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी के अलावा जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर सिंह, जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ भूपेंद्र कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, वीडीसीओ अनुज कुमार, सुमन कुमारी, मीनाक्षी सिंह, पंकज तिवारी और शशि कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।
जिलाधिकारी के दिशा निर्देश में चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा निर्देश में जिला मुख्यालय सहित जिले के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के अलावा शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, जीविका, विकास मित्र और पंचायती राज विभाग के द्वारा अपने कार्यक्रमों में चमकी बुखार से निपटने के लिए विभिन्न उपायों को शामिल किया जा रहा है। जिसको लेकर विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। विभागीय स्तर पर गठित टीम के द्वारा क्षेत्र भ्रमण कर आमलोगों में इससे बचाव संबंधी जानकारियां और सावधानियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण शिविर में उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों को रोग से जुड़े तमाम तरह की तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया है।
चमकी बुखार को लेकर बनाया गया जिला नियंत्रण कक्ष, जारी किया गया हेल्प लाइन नंबर: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन और जिलाधिकारी अमन समीर के मार्गदर्शन में जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में चमकी बुखार को लेकर जिला नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। जिसका हेल्प लाइन नंबर 06152_235061 जारी किया गया है। क्योंकि जिले के किसी भी व्यक्ति को चमकी बुखार से संबंधित जानकारी होने की स्थिति में इस नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। जिले के सभी संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश गया है कि मस्जिदों से नमाज के उपरांत चमकी बुखार को लेकर बचाव और सुरक्षित रहने के लिए नियमित रूप से तकरीर करने अनुरोध किया गया है।
मस्तिष्क ज्वर के मरीजों की पहचान और इसके लक्षण:
– सर दर्द, तेज़ बुखार आना जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
– अर्द्ध चेतना के अलावा मरीजों में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना/ बच्चें का बेहोश हो जाना।
– शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
– पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर में अकड़ जाना।
– बच्चें का शारीरिक और मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
मस्तिष्क ज्वर के बच्चों की पहचान होने पर क्या करना चाहिए:
– तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे और पंखे से हवा करे ताकि बुखार 1oo डिग्री F से कम हो सके।
– पारासीटामोल की 500mg की गोली अथवा 125mg/5ml की सीरप मरीज़ को उम्र के हिसाब से देना चाहिए।
– यदि बच्चा बेहोश नहीं हैं तब साफ़ पानी में ORS का घोल बनाकर पिलाए।
– बेहोशी या मिर्गी की अवस्था में बच्चें को हवादार स्थान पर रखें।
– बच्चें के शरीर से कपड़ा हटा लें और छायादार जगह में लिटाते समय गर्दन सीधा रखें।
– यदि मरीज़ के मुंह से झाग या लार बार- बार ज्यादा निकल रहा हैं तो साफ़ कपड़े से मरीज़ का मुंह साफ़ करते रहें।
– मरीज़ को यदि झटके आ रहे हो तो उसके दांतो के बीच साफ़ कपड़ो का एक गोला बनाकर रखें, जिससे जीभ कटने से बच सके।
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