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होली स्वादानुसार 25 मार्च को और शास्त्र अनुसार 26 मार्च को! - श्रीनारद मीडिया

होली स्वादानुसार 25 मार्च को और शास्त्र अनुसार 26 मार्च को!

होली स्वादानुसार 25 मार्च को और शास्त्र अनुसार 26 मार्च को!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

होली का त्योहार अब जबकि सब लोग सुनिश्चित कर चुके हैं कि कब मनाना है? कुछ लोग 25 मार्च की तारीख सुनिश्चित कर चुके हैं, कुछ लोग 26 मार्च की तारीख सुनिश्चित कर चुके हैं।

सभी लोगों ने अपना अपना स्वाद अनुसार शास्त्र अनुसार अपनी सुविधाजनक तिथि को होली मनाने का मन बना चुके हैं तो मैं बिना इस विवाद में पड़े की कब होली मनाया जाए और कब होली नहीं मनाया जाए ,अपना सिर्फ यह मंतव्य बताना चाहता हूं कि वास्तव में भारत जो है त्योहारों का देश है और हम लोग शुरू से ही उत्सव जीवी रहे हैं और इस भारत में 365 दिनों में कम से कम 760 त्यौहार मनाया जाता है।

होली के त्योहार को उत्साह पूर्ण सबसे खास बना देता है उसका रंगों का त्योहार होना ।जब हम मन के विषाद और दुख को निकाल के बाहर फेंक देते हैं और इस जीवन को उल्लासित करने के लिए, सुभाषित करने के लिए अपने को रंग से सरोवर कर लेते हैं। यह प्रेम का त्यौहार है। औरजहां तक काशी की बात की जाती है जहां पर एक दिन पहले होली मनाई जाती है ।उस बनारस का मेरा अपना अनुभव है कि बसंत पंचमी के दिन से ही होली का आगाज हो जाता है।

लगभग पूरे भारत में बसंत पंचमी को मां सरस्वती को गुलाल का अर्पण किया जाता है और उसके बाद रंग गुलाल का पदार्पण हो जाता है ।अब इसके बाद कोई हित नात रिश्तेदार जो कहीं किसी के यहां अतिथि बनकर जाता है तो उसे कुछ और मिले न मिले रंग जरूर मिल जाता है ।बाजार में सड़क पर अचानक कोई व्यक्ति पूरे रंग में सरोवर रंग-बिरंगे दिख जाते हैं। सीधे अगर रंगों की आगाज की बात करें तो रंग भरी एकादशी से जबरदस्त होली मनाने का परंपरा रही है ।बनारस में तो खास तौर पर मसान की होली बहुत ही प्रसिद्ध है।

हाल के दिनों में होली खेले मसाने में गाने के बाद और प्रसिद्धि मिल गई है। तो यह रंगभरी एकादशी से शुरू होती है और होली के बाद रंग पंचमी तक होली मनाई जाती है ।अगर 2024 की बात करें तो बीस मार्च से लेकर जब रंग भरी एकादशी थी और 30 मार्च जब रंग पंचमी है इस बीच कई इलाके भारत के रंग से सरोवर रहते हैं ।लोग रंग में डूबे रहते हैं ।

खास तौर पर मैं यहां मालवांचल का चर्चा करना चाहूंगा महाराष्ट्र का चर्चा करना चाहूंगा मध्यप्रदेश के बाकी हिस्सों में भी रंग का जो विशेष रूप से रंग पंचमी जो गैर कहा जाता है वह बहुत ही प्रसिद्ध है और माना जाता है कि आसमान में जब अबीर गुलाल उड़ाया जाता है तो उसके आपके शरीर पर पड़ने मात्र से आपके दुख और दर्द को दूर कर देते हैं ।तो भारत रंगों का त्यौहार मनाने के लिए जाना जाता है और यह त्योहार भारत के अलावा बाहर में भी जहां भारतवंशी गए हैं उसी उत्साह और रंग और तरंग के साथ मनाया जाता है।

तो वर्तमान में जो यह विवाद है वह अप्रासंगिक हो जाता है ।क्योंकि हो सकता है आप होली 25 को मनाएं हो सकता है होली 26 को मनाया जाय। हो सकता है मालवा क्षेत्र अभी रंगपंचमी तक रंग मे डूबा रहे। पर हमे आपस का प्रेम और सौहार्द को बनाए रखना है क्योंकि होली का असली उद्देश्य यही है वह चाहे स्वादानुसार 25 मार्च को मने या शास्त्रानुसार 26 मार्च को। आप सभी को होली की शुभकामनाएं.

 

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