होली रंग,अबीर,गुलाल तथा हंसी खुशी का त्योहार है- प्रवीण किशोर
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रवीण किशोर हरनाथपुर निवासी के तरफ से सभी पाठकों को सीवान होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)
मित्रों आज होलिका दहन और कल रंगों का महापर्व होली है.होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है। जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह,मस्ती,खुशियों व बड़ो का आशीर्वाद लेकर मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म संप्रदाय जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं। और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होलिका को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।
भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह भगवान विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, उन्होंने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोका, जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, प्रह्लाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई, होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।
यह कथा इस बात का संकेत करती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं।
इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं।
सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। तथा अपने से बड़ों को चरण स्पर्श करते हैं। घरों में औरतें मिठाई, गुझिया, पुआ, पूड़ी, पानी पूरी, दही बड़ा, पनीर, तरह-तरह के पकवान और मिष्ठान बनाती हैं। व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं।
ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए, और अश्लील गाना तो कदापि नही बजाए.और परंपरिक गाना बजा कर या अपने हाथों ढोल-झाल बजाकर माहौल को आनंदमय करना चाहिए, बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से रंग वाला गुब्बारे फेंकने से आंखों में पड़ेगा तो जख्म भी हो सकता है। रंगों को आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।
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