होलिका दहन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 24 मार्च को होगा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

24 मार्च रविवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा। दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान मथुरा के निदेशक ज्योतिष आचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी में बताया कि भद्रा के चलते रात्रि 11:12 बजे भद्रा व्यतीत होने पर ही होलिका दहन किया जा सकेगा कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित समय में भक्त प्रहलाद जी का पूजन एवं होलिका दहन पर्व मनाया जाता है, जो इस वर्ष 24 मार्च को होगा।

होलिका दहन दिन में, चतुर्दशी में, प्रतिपदा में एवं भद्रा में नहीं होता है। साहित्याचार्य शरद चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्णिमा तिथि रविवार सुबह 9:55 बजे लग जाएगी। पूर्णिमा के साथ-साथ पूर्णिमा के पूर्वार्ध में भद्रा भी लग जाएंगी जो रात्रि 11:12 बजे तक रहेंगी। भद्रा में होलिका दहन करने से अग्निकांड की घटना अधिक होती हैं एवं राष्ट्र के लिए अशुभ संकेत रहता है। इसलिए 11:12 बजे के बाद होलिका दहन होगा। 25 मार्च को रंगों की होली का पर्व धुलेंडी मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि वैदिक काल में होली का पर्व नवान्नेष्टि यज्ञ नाम से जाना जाता था। इस दिन मनु महाराज का जन्म हुआ था। इस दिन होलाष्टक भी समाप्त हो जाते हैं।

होलिका दहन के लिए महज सवा घंटे का मुहूर्त

रंगों से भरा त्योहार होली इस बार 24 मार्च को पड़ेगी। 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। होलिका दहन के दिन 24 मार्च को भद्राकाल सुबह 9.55 से शुरू होकर रात 11.13 बजे तक रहेगा। ऐसे में भद्रा के बाद रात 11.13 बजे होली जलेगी। इसके चलते लोगों को देर रात तक होलिका दहन के लिए इंतजार करना पड़ेगा। दहन के लिए महज 1.20 घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है।  ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली पर सौ साल बाद चंद्रग्रहण का योग बन रहा है। हालांकि भारत में दृश्यमान नहीं होने से इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को होलिका का पूजन होगा। फाल्गुन पूर्णिमा की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 8.13 बजे से होगी। अगले दिन 25 मार्च को सुबह 11.44 बजे तक रहेगी।

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलिका दहन भद्रा के बाद रात 11.13 से मध्य रात्रि 12.33 के मध्य होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7.34 बजे से अगले दिन सुबह 6.19 बजे तक है। रवि योग सुबह 6.20 बजे से सुबह 7.34 बजे तक रहेगा। होलिका की राख को मस्तक पर लगाने का भी विधान है। ऐसा करने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।

होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा ढाल व खिलौनों की कम से कम चार मालाएं अलग से घर से लाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमान जी की, तीसरी शीतला माता की तथा चौथी अपने परिवार के नाम की होती है। कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए। फिर लोटे का शुद्ध जल और पूजन की अन्य सभी वस्तुओं को प्रसन्नचित्त होकर एक-एक करके होलिका को समर्पित करें।

रोली, अक्षत व फूल आदि को भी पूजन में लगातार प्रयोग करें। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें। होलिका दहन होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित करें। होली की पवित्र भस्म को घर में रखें। रात में गुड़ के बने पकवान प्रसाद गणेश जी को भेंट कर खाने चाहिए।

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