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शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिहाज से गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम महत्वपूर्ण - श्रीनारद मीडिया

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिहाज से गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम महत्वपूर्ण

शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिहाज से गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम महत्वपूर्ण:

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नवजात शिशुओं के लिए शुरुआती 42 दिनों तक का समय बेहद महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
प्रसव उपरांत बच्चों की गृह आधारित देखभाल महत्वपूर्ण: डीपीएम
नवजात शिशुओं में होने वाली बीमारियों की जांच के लिए एचबीएनसी किट कारगर: डीसीएम

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

नवजात शिशुओं को बेहतर चिकित्सीय उपचार एवं देखभाल की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी नियंत्रण के लिए इसको महत्वपूर्ण माना गया है। इस क्रम में गृह आधारित देखभाल प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को एचबीएनसी किट दिया गया है। जिले की सभी आशा कार्यकर्ताओं के बीच किट का वितरण किया जा चुका है। नवजात शिशुओं की गृह आधारित देखभाल करने में आशा कार्यकर्ता एवं आशा फैसिलिटेटर पहले से ज़्यादा सशक्त हो गई है।

 

नवजात शिशुओं के लिए शुरुआती 42 दिनों तक का समय बेहद महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा का कहना है कि संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव के लिए  शुरुआती दो दिनों तक जच्चा एवं बच्चा को अस्पताल में ही रहने की सलाह दी जाती है। गृह प्रसव के मामले में नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल बेहद जरूरी हो जाता है। नवजात शिशुओं के लिए शुरुआती 42 दिनों तक का समय बेहद महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान में रखते हुए जिले में होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर एचबीएनसी यानी गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों ही स्थितियों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर 42 दिनों तक नवजात शिशुओं की विशेष रूप से देखभाल की जाती है।

 

प्रसव उपरांत बच्चों की गृह आधारित देखभाल महत्वपूर्ण: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि गृह आधारित नवजात देखभाल (एचएनबीसी) कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव की स्थिति में आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 दिनों के अंतराल पर कम से कम 06 बार गृह भ्रमण करना पड़ता हैं। वहीं गृह प्रसव के मामले में 1, 3, 7, 14, 21, 28 व 42 वें दिन कुल 07 बार गृह भ्रमण करती हैं। सभी नवजात शिशुओं को आवश्यक देखभाल और सुविधाएं उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना एचएनबीसी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। समय पूर्व जन्म एवं कम वजन वाले बच्चों की पहचान व उसका विशेष रूप से देखभाल करना होता है। किसी भी प्रकार की बीमारी की जानकारी यथाशीघ्र करने के बाद उपचार सुनिश्चित कराना हैं। साथ ही संबंधित परिवारों को आर्दश स्वास्थ्य व्यवहार के लिए प्रेरित करना भी एचएनबीसी कार्यक्रम का उद्देश्य है।

 

नवजात शिशुओं में होने वाली बीमारियों की जांच के लिए एचबीएनसी किट कारगर: डीसीएम
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक संजय कुमार दिनकर ने बताया कि की जिले  के सभी आशा कार्यकर्ताओं के बीच एचबीएनसी (गृह आधारित नवजात देखभाल) किट का वितरण आशा दिवस के अवसर पर किया गया है। सभी प्रखंडों में किट उपलब्ध करायी गयी है । इस किट में डिजिटल घड़ी एवं थर्मामीटर, बैट्री सहित एलईडी टॉर्च, बेबी ब्लैंकेट, बेबी फीडिंग स्पून, किट बैग एवं वेटिंग स्केल जैसी सात प्रकार की सामग्रियों को शामिल किया गया है। जिसकी मदद से गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नवजात शिशुओं में होने वाली बीमारियों को गहनता पूर्वक जांच कर उसकी पहचान कर सकती है। आवश्यकता अनुसार नवजात शिशुओं को उचित चिकित्सीय परामर्श एवं इलाज के लिए किसी बेहतर स्वास्थ्य संस्थानों के पास भेज सकती है।

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