आशा देंगी दस्त से सुरक्षित रखने के उपाय व ओआरएस की जानकारी
सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा 29 जूलाई तक, सिविल सर्जन को निर्देश
श्रीनारद मीडिया‚ गया‚ (बिहार):
गया जिला में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन कर अभियान चलाया जायेगा| दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से वृहस्पतिवार से प्रारंभ इस पखवाड़े का आयोजन 29 जूलाई तक होगा| पखवाड़े के दौरान डायरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के काम के साथ बच्चों को ओआरएस तथा जिंक टैबलेट जैसी आवश्यक दवाई मुहैया करायी जायेंगी| इस दिशा में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सिविल सर्जन सहित चिकित्सा महाविद्यालय के अधीक्षक को आवश्यक निर्देश दिये हैं|
पत्र के माध्यम से भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से प्रति वर्ष सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा आयोजन किया जाता है| इस वर्ष भी कोविड 19 महामारी के सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन करते हुए सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन 15 जूलाई से 29 जूलाई तक किया जाना है| निर्देश में कहा गया है कि ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाले मृत्यु को टाला जा सकता है| सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित कर
दस्त के रोकथाम के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस, जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जाये|
पांच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चे होंगे शामिल:
सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम के लाभार्थियों के रूप में सभी पांच साल के कम उम्र के बच्चों को शामिल किया गया है| वहीं पांच वर्ष की उम्र तक के सभी बच्चे जो पखवाड़े के दौरान दस्तरोग से ग्रसित हों, उन्हें भी आवश्यक चिकित्सीय सुविधा प्रदान होगी| ऐसे उपकेंद्रों जहां पर एएनएम न हो अथवा लंबी छुट्टी पर हों, वहां प्राथमिकता देते हुए पखवाड़ा कार्यक्रम संचालित किया जायेगा|
शहरी स्लम व ग्रामीण बस्ती अतिसंवदेनशील क्षेत्र चिह्नित
अतिसंवेदनशील क्षेत्र शहरी झुग्गी झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले, बाढ़ प्रभावित तथा ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, नोमैडिक निमार्ण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, आदि स्थानों को विशेष रूप से चिह्नित कर सघन दस्त नियंत्रण अभियान चलाना है| इसके अलावा छोटे गांव, टोला व बस्ती, छोटे कस्बे जहां साफ—सफाई, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो आदि पर भी पखवाड़ा का संचालन किया जायेगा|
आशा को गतिविधियों के आयोजन की मिली जिम्मेदारी:
निर्देश में कहा गया है कि ग्रामीण, तथा शहरी आशा द्वारा सामुदायिक तथा गांव स्तरीय गतिविधि के आयोजन करना तथा भ्रमण के लिए सूक्ष्म कार्ययोजना तैयार करना है|. इसमें पांच वर्ष उम्र तक के बच्चों की सूची बनाना है तथा पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक एक ओआरएस पैकेट का वितरण करना है|. कंटेंमेंट जोन में कोविड प्रोटोकॉल के सामने ओआरएस के घोल बनाने और इसके उपयोग के तरीकों और इससे होने वाले लाभ, साफ—सफाई, हाथ धोने के तरीके आदि की जानकारी देनी है|
परिवार के साथ इन बिंदुओं पर चर्चा कर देना है परामर्श:
आशा परिवार के सदस्यों के साथ जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाने, दस्त बंद हो जाने के बाद भी जिंक की खुराक दो माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखने, जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक नहीं होने पर बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने तथा दस्त के दौरान और दस्त के बाद आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार तथा भोजन जारी रखने आदि की सलाह देंगी| लोगों को पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पेयजल का उपयोग करने, बच्चों के मल निस्तारण सुरक्षित और जल्द करने, खुले में शौच नहीं जाने की सलाह देने के लिए कहा गया है|
इन लक्षणों के दिखने पर चिकित्सा की जरूरत पर बल:
• बच्चा ज्यादा बीमाार लग रहा हो
• सुस्त तथा बेहोश हो जाना
• पानी जैसा लगातार दस्त का होना
• बार बार उल्टी होना
• अत्यधिक प्यास लगना
• पानी न पी पाना
• बुखार होना
• मल में खून आना
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