कृषि निर्यात में अब तक के उच्च स्तर पर बढ़ोतरी कैसे देखी जा रही है?

कृषि निर्यात में अब तक के उच्च स्तर पर बढ़ोतरी कैसे देखी जा रही है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के कृषि निर्यात (Agriculture Export) में उच्च स्तर पर बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय देखी जा रही है, जब पूरा देश कोरोना महामारी (Covid pandemic) के कारण विभिन्न चुनौतियों से लड़ रहा था और पूरा देश बंद था, तब भी हमारी कृषि उत्पादों में वृद्धि पाई गई। इस उपलब्धि पर वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि ‘वाणिज्य विभाग द्वारा भारत को दुनिया के लिए खाद्य टोकरी में बदलने के लिए उठाए गए कई कदमों के माध्यम से कृषि निर्यात के 50 अरब अमरीकी डालर के उच्चतम अंक तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल की गई।’

वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पिछला उच्चतम चिह्न 2013-14 में 43 बिलियन अमरीकी डालर था, जिसके बाद निर्यात में एक प्रकार की गिरावट देखी गई और 2016-17 तक इस आंकड़े में 10 बिलियन अमरीकी डालर की कमी आई, जिसके बाद विभाग वाणिज्य विभाग ने कृषि निर्यात में कमी के चार मुख्य कारणों की पहचान की।

बुनियादी ढांचे में किया गया सुधार

अधिकारियों ने कहा, ‘पहले, कृषि उपज के उत्पादन और निर्यात के बीच एक डिस्कनेक्ट था। दूसरा, राज्य सरकार और किसान निर्यातोन्‍मुख उत्पादन की अवधारणा से अच्छी तरह परिचित नहीं थे।’ पीयूष गोयल के नेतृत्व वाले मंत्रालय ने यह भी पाया कि राज्य केवल केंद्र सरकार के डोमेन के रूप में निर्यात ले रहे थे और राज्य सरकारों के साथ कृषि निर्यात बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता की कमी भी थी। वाणिज्य विभाग ने इन मुद्दों को हल करने के लिए एक योजना तैयार की और पहली बार न केवल राज्यों बल्कि जिला और ग्राम स्तर के किसानों तक भी पहुंचा।

किसानों को किया जागरूक

अधिकारियों ने कहा, ‘हमारे अधिकारियों ने जागरूकता फैलाई और किसानों को सूचित किया कि अगर अतिरिक्त कृषि उपज होगी, तो भारत सरकार इसका निर्यात करेगी क्योंकि सरकार कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की मदद करना चाहती है क्योंकि वे भारत में आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत प्रदान करते हैं।’ अधिकारियों ने कहा कि कृषि क्षेत्र में निर्यात कोविड वैश्विक महामारी के बावजूद बढ़ा है, जहां वैश्विक स्तर पर भोजन की मांग बढ़ गई थी, लेकिन तालाबंदी के मुद्दों ने कार्यालयों और सड़कों को बंद कर दिया था।

वाणिज्य विभाग ने निभाया अहम रोल

अधिकारियों ने कहा, ‘लेकिन वाणिज्य विभाग ने विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से और वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकों के माध्यम से बातचीत की, कई बाधाओं को दूर किया, बंदरगाह या सीमा शुल्क या राज्य या जिला अधिकारियों आदि के साथ समन्वय किया, ताकि बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके।’

अधिकारियों ने कहा कि वाणिज्य विभाग ने संबंधित बुनियादी ढांचे की बाधाओं, रसद बाधाओं, कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं आदि की पहचान करने में राज्यों का समर्थन किया।

इसके अलावा नए बाजारों की पहचान करने, मौजूदा बाजारों में पदचिह्न बढ़ाने, नए बाजारों की आवश्यकताओं और टैरिफ संरचना का विश्लेषण करने आदि के लिए कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि भले ही देश कृषि निर्यात में 50 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया हो लेकिन देश अभी तक भी कृषि उत्पादों के निर्यात में अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाया है।

सरकार के प्रयासों के कारण 2021-22 में भारत ने चावल में लगभग 10 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात किया, जिसमें दुनिया के चावल निर्यात में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही थी। समुद्री उत्पादों (8 बिलियन अमरीकी डॉलर), चीनी (4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर), गेहूं (2 बिलियन अमरीकी डालर) और काफ़ी (एक बिलियन अमरीकी डॉलर) का अब तक का सबसे अधिक निर्यात हुई, 4 बिलियन अमरीकी डालर मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद निर्यात, 4 बिलियन अमरीकी डालर मसाले निर्यात और 3 बिलियन अमरीकी डालर कपास निर्यात हुआ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!