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गुजरात टाइटन्स ने आईपीएल 2022 के साथ डेब्यू किया और पहले ही सीजन में खिताब जीत लिया। टीम के कप्तान हार्दिक पांड्या थे, जिन्होंने कभी आईपीएल में कप्तानी नहीं की थी। वे 6 महीने के ब्रेक के बाद प्रोफेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे थे। वे टीम की ओर से टूर्नामेंट में हाईएस्ट स्कोरर रहे। हालांकि, वे शुरुआत में आईपीएल की दूसरी नई टीम लखनऊ सुपर जाएंट्स के साथ जुड़ना चाहते थे, क्योंकि वहां केएल राहुल थे, जो उनके खास दोस्त हैं, लेकिन पूर्व क्रिकेटर आशीष नेहरा की वजह से उन्होंने गुजरात का दामन था। इस पर उन्होंने खुलकर बात की है।
गुजरात टाइटन्स के पॉडकास्ट में गौरव कपूर से बात करते हुए हार्दिक पांड्या ने बताया, “मुझे दूसरी फ्रेंचाइजी (लखनऊ सुपर जायंट्स) से भी फोन आया, जो आईपीएल में एक नई फ्रेंचाइजी थी। कोई जिसे मैं जानता था (केएल राहुल) टीम का नेतृत्व कर रहा था। मेरे लिए, यह बहुत महत्वपूर्ण था, जिस मंच पर मैं था, जहां मैं वास्तव में उस व्यक्ति के साथ खेलना चाहता था जो मुझे जानता है। मैंने हमेशा पाया है कि जो लोग मुझे जानते हैं उनका नजरिया उन लोगों से अलग होता है जो कभी मेरे सामने नहीं आए या मेरे करीब नहीं आए। जब मुझे अपने किसी जानने वाले के साथ काम करने का मौका मिला, तो मैं उस तरफ जाने के लिए बहुत उत्सुक था।”
मुंबई इंडियंस के लिए लंबे समय तक खेले इस दिग्गज ऑलराउंडर ने आगे बताया कि कैसे गुजरात टाइटन्स के हेड कोच बने आशीष नेहरा के एक कॉल ने उनका माइंड बदला। नेहरा ने हार्दिक को टीम में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश की और यह भी उल्लेख किया कि वह टीम का नेतृत्व करेंगे। हार्दिक बताया, “आशु पा (आशीष नेगहरा) ने मुझे फोन किया। उस समय टीम को आईपीएल का हिस्सा बनने की अनुमति भी नहीं थी। यह बहुत गड़बड़ थी, चीजें तय भी नहीं हुई थीं। उन्होंने कहा, ‘मैं कोच बनने जा रहा हूं। यह अभी तय नहीं है, लेकिन मैं कोच बनूंगा’। मैं ऐसा था, ‘आशु पा, अगर आप वहां नहीं होते, तो मैं इस पर विचार भी नहीं करता, क्योंकि आप ऐसा कह रहे हैं। मुझे हमेशा लगा है कि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो समझ गए हैं कि मैं क्या हूं।'”
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हार्दिक ने आगे बताया, “मेरे साथ काम करना सरल है, जो मुझे जानता है, जानता है कि मैं क्या हूं। मुझे लगता है कि वह (नेहरा) उन श्रेणियों में आते हैं, जिन्होंने मेरा सही पक्ष समझा है। मैं पूरी तरह से खेल से दूर था, क्योंकि मैंने रेस्ट लिया हुआ था। मैंने किसी भी चीज के लिए उपलब्ध नहीं होने का फैसला किया था। मैंने उनसे कहा, ‘आशु पा, मेरे लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आप क्या देख रहे हैं’। हमारे बीच अच्छी बातचीत हुई। मैं ऐसा था, ‘ठीक है मुझे इसके बारे में सोचने दो’। कॉल डिसकनेक्ट करने के कुछ देर बाद उन्होंने मुझे एक मैसेज छोड़ा, ‘अगर तुम तैयार हो, तो मैं चाहूंगा कि तुम कप्तानी संभालो’। यह मेरे लिए आश्चर्य की बात थी। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। मैं कभी ऐसा व्यक्ति नहीं रहा जो कभी किसी चीज के पीछे भागा हो। कोई आता है तो आता है। जब मुझे पता चला तो मैं दूसरे जोन में था।”