देश के सबसे बड़े पुल का हिस्सा कैसे गिरा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारतमाला परियोजना के तहत बिहार में कोसी नदी पर 1200 करोड़ की लागत से बनाये जा रहे पुल का सिगमेंट सुपौल में शुक्रवार की सुबह धाराशायी हो गया. इस घटना में 10 मजदूर जख्मी हो गये. एक मजदूर की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार घटना के बाद निर्माण कंपनी के सभी अभियंता व मजदूर भाग खड़े हुए. लेकिन स्थानीय लोगों ने मानवता का परिचय देते सभी जख्मी मजदूर को बाइक के सहारे अस्पताल पहुंचाया.
भूकंप जैसा हुआ एहसास..
पुल के सिगमेंट के धराशायी होते ही धरती में इतनी कंपन पैदा हो गयी कि आसपास के लोगों को लगा कि भूकंप आ गया है. लोग अपने-अपने घरों से बाहर भागने लगे. इसी बीच पुल निर्माण स्थल से मजदूरों की चीखने- चिल्लाने की आवाज सुनाई दी. लोग किसी अनहोनी की आशंका का अंदेशा लगाते कार्य स्थल की ओर दौड़ पड़े. जहां लोगों ने देखा कि कई मजदूर चोट की वजह से बालू की रेत पर कराह रहे हैं. इसके बाद लोग जख्मी मजदूरों को बाइक के सहारे स्थानीय अस्पताल पहुंचाने लगे. इसकी खबर आसपास के इलाके में आग की तरह फैल गयी. भारी संख्या में लोग निर्माण स्थल पर पहुंचने लगे. घटना घटित होने के बाद डर के मारे निर्माण में लगे कंपनी के सभी अभियंता, साइड इंचार्ज सहित बगल के टेंट में आराम कर रहे मजदूर मौके से भाग खड़े हुए. लेकिन स्थानीय लोगों ने मोर्चा संभाले रखा.
सुबह क्या हुआ..
यह घटना सदर थाना क्षेत्र के मरीचा गांव के समीप हुई. बताया गया कि शुक्रवार की सुबह पिलर संख्या 153-154 के बीच सिगमेंट बैठाया जा रहा था. इसी दौरान बॉक्स सेगमेंट को ट्रक से ट्रांसपोर्ट कर लाया गया था. जिसे क्रेन से खींचा जा रहा था. इसी दौरान किसी एक कोने का क्लिप ढीला पड़ गया. जिस कारण सिगमेंट बॉक्स ट्रक पर गिर गया. ट्रक पहले से एक सिगमेंट बॉक्स पर खड़ा था, इस वजह से दूसरा सिगमेंट बॉक्स भी धाराशायी हो गया. देखते-देखते करीब 12 बॉक्स गिर गया. यह सिगमेंट बॉक्स दो पिलर के बीच थे.
जानकार बताते है कि क्रेन का पिन टूट जाने के कारण बॉक्स सिगमेंट गिर गया. इसके बाद टूटे मलबे को हटाने के लिए क्रेन का इंतजार किया जाने लगा. भारी भरकम क्रेन रहने के कारण काफी देर तक मौके पर नहीं पहुंच सकी. लोग अंदेशा जता रहे थे कि इस मलबे में और भी मजदूर फंसे हो सकते हैं.
दो एजेंसियां कर रही है काम
मालूम हो कि बकौर की तरफ से ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कार्य करवा रही है. जबकि मधुबनी जिले के भेजा की ओर से गैमन इंजीनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड पुल का निर्माण करा रहा. इस पुल की एप्रोच रोड मिलाकर पुल की लंबाई 13.3 किलोमीटर होगी. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत मधुबनी के उमगांव से महिषी तारापीठ (सहरसा) के बीच बन रहे फोरलेन सड़क के एलाइनमेंट में यह पुल बन रहा है. यह निर्माण कार्य दो एजेंसी मिलकर कर रही है. इसमें गैमन इंडिया एवं ट्रांस रेल लाइटिंग प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत 5 पैकेजों में पुल बन रहा है. इन्हीं में से एक पैकेज में इस पुल का निर्माण हो रहा है. यह पुल सामरिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह पुल नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के साथ उत्तर-पूर्व के राज्यों को जोड़ेगा.
पुल के लिए बनना है 171 पिलर
इस पुल में कुल 171 पिलर बन रहे हैं. इनमें 166 पिलर का निर्माण पूरा हो चुका है. बकौर की ओर से 36 पिलर और भेजा की ओर से 87 पिलर होंगे. इसमें बकौर की ओर से 2.1 किलोमीटर और भेजा की तरफ से 01 किलोमीटर एप्रोच पथ का निर्माण किया जाना है.
इसी साल पूरा होना है काम
कोसी पर सुपौल जिले के बकौर से मधुबनी जिले के भेजा के बीच बन रहे इस महासेतु के सिरे के दोनों तरफ बने तटबंध (पूर्वी और पश्चिमी) से सीधे जोड़ा जा रहा है. इस कारण से यह महासेतु देश में सबसे लंबा हो जाएगा. इस पुल का कार्य इसी साल पूरा होना है. इसका उद्घाटन वर्ष 2023 में होना था, लेकिन कोरोना के कारण विलंब हुआ और अब दिसंबर 2024 में संभावित है, लेकिन हादसे के बाद निर्माण कार्य में विलंब हो सकता है.
90 टन का होता है एक सिगमेंट
प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप कश्यप ने बताया कि घटना में कुल 14 सिगमेंट बॉक्स क्षतिग्रस्त्र हुआ है. एक सिगमेंट बॉक्स का वजन 90 टन होता है. इस प्रकार अगर देखा जाये तो 1260 टन सिगमेंट गिरा. बताया कि 12 फरवरी 2020 को कार्य प्रारंभ किया गया था. जो दिसंबर में पूरा होना था.
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