कैसे शुरू हुआ चीन-ताइवान के बीच झगड़ा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कूटनीति का एक मशहूर फॉर्मूला है साम, दाम, दंड, भेद। ताइवान को हासिल करने के लिए चीन यही कॉम्बिनेशन इस्तेमाल कर रहा है। चीन के लड़ाकू विमान बीते कई दिनों से ताइवान की सीमा में घुसकर स्टंट दिखा रहे हैं। इस शक्ति प्रदर्शन में दोनों देशों के बीच समुंदर में खींची एक संवेदनशील लकीर को भी लांघा। ये लकीर चीन और ताइवान के बीच का अनाधिकारिक बॉर्डर है। ताइवान ने चीन की हरकत पर ऐतराज जताया।
इस पर चीन ने जवाब दिया कैसी सीमा, कौन सी सीमा ये क्या मामला है? चीन और ताइवान के बीच का ये झगड़ा क्या है? हमारे पड़ोस का देश अब किस मोर्चे पर गुंडागर्दी कर रहा है। आज आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। साथ ही बताते हैं चीन और ताइवान के बीच क्या है पुराना झगड़ा और इसकी पृष्ठभूमि।
सबसे पहले शुरुआत करते हैं कि क्यों चीन ताइवान विवाद इन दिनों चर्चा में है। दरअसल, ताइवान और चीन के बीच दशकों से तनाव है। चीन जबरन तरीके से ताइवान पर कब्जा करना चाहता है, ये हकीकत भी पूरी दुनिया को पता है। जिस तरीके से एक छोटे से मुल्क को चीन डराने धमकाने में लगा है वो हैरान करने वाला है। पिछले एक साल से ड्रैगन की सेना ताइवान के इलाके में घुसपैठ कर रही है।
चाहो वो जमीन पर हो समुंदर में हो या आसमान में लगातार तीनों फ्रंट से ड्रैगन की उकसावे वाली हरकतें सामने आई है। लेकिन अब ताइवान के आसमान में ऐसा हुआ जिसकी वजह से पूरे मुल्क में खलबली मच गई है। एक साथ 39 लड़ाकू विमान ताइवान के एयर स्पेस में दाखिल हुए। वो भी बम, गोला-बारूद और मिसाइलों के साथ। चीनी फाइटर पायलट्स ने पीएलए ईस्टर्न थियेटक कमांड से मिले ऑर्डर के बाद घुसपैठ में अपने सबसे विस्फोटक घातकआसमानी लड़ाकों के साथ घुसपैठ की।
जिन चीनी विमानों ने ताइवान में एंट्री ली थी उनमें से ज्यादातर की पहचान जे-17 और सू-30 फाइटर जेट के रूप में की गई। चीनी सरकार के प्रोपोगेंडा चलाने वाली पेईचिंग न्यूज वेवसाइट के अनुसार चीन का मकसद 2025 तक ताइवान पर कब्जा कर लेना है।
यूएन ने शुरुआत में चीन को मान्यता ही नहीं दी
1945 में जब UN बना, तब मेनलैंड चीन ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ हुआ करता था। वो UN के शुरुआती सदस्यों में था। शुरुआत में च्यांग काई-शेक वाले चीन यानी ताइवान को मान्यता मिली थी। 10 अक्टूबर को ताइवान ‘राष्ट्रीय दिवस’ के तौर पर सेलिब्रेट करता है। 25 अक्टूबर, 1971 को UN ने ताइवान को निकालकर कम्युनिस्ट चीन को अपना लिया। अमेरिका को लगा कि अगर चीन हमारे साथ रहा तो बेनिफ़िट हो सकता है. यही सोचकर 1978 में उसने भी चीन को मान्यता दे दी।
वन चाइना पॉलिसी
1992 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर सहमति बनी थी। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि ताइवान और चीन एक ही है. हालांकि, दोनों पक्षों को इस बात की आज़ादी थी कि वे ताइवान वाले रिपब्लिक ऑफ़ चाइना को मानें या कम्युनिस्ट चाइना को। साल 2005 में चीन ने एंटी-सेशेसन लॉ लागू किया। इस कानून में था कि अगर ताइवान ने अलग होने की कोशिश की तो चीन के पास हिंसक तरीके अपनाने का पूरा अख़्तियार होगा। मतलब ये कि चीन, ताइवान को रोकने के लिए ताक़त का इस्तेमाल कर सकता है।
2016 के चुनाव में बड़ा मोड़ आया। इस साल के राष्ट्रपति चुनाव में कुओमितांग की ज़बरदस्त हार हुई। साइ इंग-वेन के नेतृत्व में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने सरकार बनाई। डीपीपी की पॉलिसी साफ़ है। वे ताइवान को संप्रभु देश मानते हैं। वे चीन के साथ एकीकरण की संभावनाओं से इनकार करते हैं। वहीं अमेरिका की तरफ से भी ताइवान को हर संभव मदद का भरोसा दिया जाता है। ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीता तो उसके बाद साई की तरफ से उन्हें फोन करके बधाई दी गई थी। 2020 में फिर से डीपीपी ने जीत दर्ज की और इधर 2021 में जो बाइडन सत्ता में आए। उन्होंने भी ट्रंप की ताइवान पॉलिसी को ही आगे बढ़ाया है।
चीन और ताइवान के बीच संबंध
इस साल की शुरुआत में चीन ने ‘हानिकारक जीवों’ से अपनी फसलों के नुकसान की आशंका को देखते हुए ताइवान से अनानासों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। ताइवान ने इन दावों को खारिज कर दिया और कहा कि यह चीन के लिए ताइवान पर दबाव बनाने का एक तरीका है। ताइवान के राष्ट्रपति, त्साई इंग-वेन ने उस समय एक ट्वीट में कहा, “ऑस्ट्रेलियाई शराब के बाद, अनुचित चीनी व्यापार प्रथाएं अब ताइवान अनानास को लक्षित कर रही हैं। लेकिन यह हमें नहीं रोकेगा। चाहे स्मूदी में हो, केक में, या प्लेट में ताजा कटा हुआ हो, हमारे अनानास हर मौके पर आते हैं।
हमारे किसानों का समर्थन करें और स्वादिष्ट ताइवानी फलों का आनंद लें! चीन ने पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया से नाराजगी बढ़ाते हुए उसके यहां से आयातित वाइन (मदिरा) पर दो सौ प्रतिशत से भी अधिक तक का दंडात्मक शुल्क लगा दिया था। लगभग उसी समय जब चीन ने शराब के आयात पर शुल्क लगाने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया से गोमांस के आयात पर भी कर लगाया था। इस कदम की काफी आलोचना भी की गई थी।
अमेरिका की चेतावनी
चीन के उकसावे वाली हवाई प्लानिंग पर अमेरिका भी भड़क गया है और उसने चीन को चेतावनी दे दी है। अमेरिका ने इस मामले पर चीन से उसकी उकसाने वाली सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए कहा है। अमेरिका ने अपने बयान में कहा कि हम बीजिंग से अपील करते हैं कि वह ताइवान पर सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक दबाव और दंडात्मक कार्रवाई रोके।
चीन के हालिया ताइवान के एयरस्पेस में उकसावे वाली हरकत के बीच सबसे बड़ा सवाल कि क्या चीन ताइवान पर आक्रमण करेगा? भविष्य में चाहे जो हो, एक आक्रमण की लागत बहुत अधिक है- न केवल वित्तीय बल्कि डिप्लोमैटिक भी। ताइवान पर आक्रमण चीन को दुनिया का सार्वजनिक दुश्मन नंबर एक बना देगा।
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