गंगानगर का आम इंसान डेरे में आकर कैसे बन गया शैतान?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पंचकुला की सीबीआई अदालत ने 2002 में डेरा मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम समेत 5 लोगों को दोषी पाया है। सजा 12 अक्टूबर को सीबीआई की विषेष अदालत द्वारा सुनाई जाएगी। आज के इस विश्लेषण में बताएंगे कि राजस्थान के गंगानगर में रहने वाला एक आम इंसान सिरसा के डेरे में आकर कैसे बनता गया शैतान गया। खुद को मैसेंजर ऑफ गॉड कहने वाले बाबा ने संत के चोले में लाखों लोगों के भरोसे और विश्वास को तोड़ा। ये कहानी है इंसा कहे जाने वाले बाबा जिसकी काली दुनिया में इंसानियत के लिए कोई जगह ही नहीं थी। वो चोला पहनता था संत का लेकिन उसके डेरे में सच का मतलब ही कुछ और था। बाबा के काले सच की सुहबुगाहट तो कई वर्षों से मिल रही थी लेकिन उसकी खास धमक ऐसी की उसे कुरेदने वाला खुद इस दुनिया से ही गायब हो जाता। ऐसी कोई एकलौती कहानी नहीं है बल्कि एक लंबी फेहरिस्त है।

ऐसे चला 2002 से लेकर 2017 तक राम रहीम पर केस..

अप्रैल 2002: राम रहीम की साथी साध्वी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक शिकायत भेजी थी। जिसमें उसने सीधे तौर पर राम रहीम पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था।

मई 2002: साध्‍वी की तरफ से दिए गए पत्र को आधार मानते हुए उसकी सत्‍यता प्रमाणित करने के लिए सिरसा के सेशन जज को जिम्‍मेदारी सौंपी गई।

दिसंबर 2002: सेशन जज ने अपनी रिपोर्ट में शिकायत को सही पाया और इसके बाद राम रहीम पर धारा 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया गया।

दिसंबर 2003: मामले की गंभीरता को देखते हुए राम रहीम पर लगे यौन शोषण के आरोप की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। जांच का जिम्‍मा सतीश डागर पर था। उन्‍होंने भरसक प्रयास के बाद लगभग दो साल बाद उस साध्‍वी को तलाशने में सफलता प्राप्‍त कर ली, जिसका यौन शोषण हुआ था।

जुलाई 2007: सीबीआई ने शिकायत मिलने के लगभग चार साल बाद सीबीआई की अदालत में मामले की चार्जशीट दाखिल की। फिर अंबाला से यह केस पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में भेज दिया गया। चार्जशीट में साध्‍वियों के साथ ही अन्‍य के साथ भी यौन शोषण होने का पता चला। हालांकि उनकी पूरी जानकारी हासिल नहीं की जा सकी। ये मामले 1999 और 2001 के बताए गए।

अगस्त 2008: चार्ज शीट फाइल करने के एक साल बाद केस का ट्रायल शुरू हुआ और डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए।

साल 2011: तीन साल बाद इस केस में ट्रायल शुरू हुआ, जिसमें वकीलों की बड़ी फौज ने राम रहीम का बचाव करने की कोशिश की. यह ट्रायल 2016 में जाकर पूरा हुआ।

जुलाई 2016: मामले की सुनवाई के दौरान 52 गवाह पेश किए गए, इनमें 15 वादी थे और 37 प्रतिवादी थे।

जून 2017: एक साल बाद अदालत ने डेरा प्रमुख के विदेश जाने पर रोक लगा दी।

25 जुलाई 2017: सीबीआई अदालत ने मामले में प्रतिदिन सुनवाई करने के निर्देश दिए. साथ ही जल्‍द फैसला सुनाने की बात कही।

17 अगस्त 2017: 15 साल पुराने मामले में दोनों ओर से चल रही जिरह खत्म हो गई और फैसले के लिए 25 अगस्त की तारीख मुकर्रर की गई।

25 अगस्त 2017: सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को दोषी पाया और स्‍पेशल जेल भेजना का आदेश दिया। इस मामले में सजा का ऐलान 28 अगस्‍त को किया जाएगा।

 28 अगस्त, 2017: दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई।

11 जनवरी 2018: रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद हुई।

8 अक्टूबर 2021: राम रहीम पूर्व प्रबंधक की हत्या के दोषी क़रार दिया गया।

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