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कुत्तों ने स्वास्थ्य विभाग को कैसे लगाई 87 लाख रुपये की चपत?

कुत्तों ने स्वास्थ्य विभाग को कैसे लगाई 87 लाख रुपये की चपत?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गोपालगंज में शहर से लेकर गांवों के गली मोहल्लों में घूम रहे आवारा कुत्ते बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। आवारा कुत्ते जिले में प्रतिदिन औसतन 50 से 52 लोगों को काट कर जख्मी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बीते एक साल में आवारा कुत्तों के काटने से जख्मी हुए 20 हजार लोगों ने सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाया।

जख्मी हुए लोगों को 58 हजार ऐंटी रेबिज इंजेक्शन की डोज लगाई गई। एक डोज एंटी रैबिज की कीमत 150 रुपये पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग को 58 हजार एंटी रैबिज इंजेक्शन की डोज के लिए करीब 87 लाख रुपये खर्च कराने पड़े। केवल सड़कों के आवारा कुत्तों ने स्वास्थ्य विभाग को 87 लाख रुपये की चपत लगाई। सबसे अधिक आवारा कुत्तों ने भोरे, कटेया व बैकुंठपुर तथा कुचायकोट प्रखंड में लोगों को अपना शिकार बनाया है।

स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक हर माह करीब पांच हजार डोज रेबीज वैक्सीन की सप्लाई पूरे जिले में किया जाता है। इस अनुसार पूरे साल में करीब 58 हजार एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज सदर अस्पताल, बरौली पीएचसी, मांझा पीएचसी, सिधवलिया पीएचसी, बैकुंठपुर सीएचसी, थावे, उचकागांव, कुचायकोट, भोरे, पंचदेवरी, कटेया, विजयीपुर सहित सभी पीएचसी को सप्लाई की जाती है।

जिला स्टोर रूप से रेबीज वैक्सीन की सप्लाई करने वाले कर्मियों के अनुसार एक मरीज को करीब तीन एंटी डोज रेबीज वैक्सीन का लगाया जाता है। इस अनुसार करीब 58 हजार डोज में करीब बीस हजार लोगों को एंटी रेबीज की वैक्सीन हर साल पूरे जिले में लगाए जा रहे है। इस दौरान करीब पूरे साल में करीब 87 लाख रुपये की चपत सरकार को आवारा कुत्ते लगा चुके हैं।

रात में राहगीरों को अपना निशाना बनाते हैं आवारा कुत्ते

जिले के हाट बाजारों में रात के अंधेरे में आवारा कुत्ते राहगीरों को अपना निशाना बनाते हैं। इस दौरान अधिक आवारा कुत्ते शहर के राजेंद्र बस स्टैंड, सदर अस्पताल व कचहरी रोड में हैं। ऐसे में रात के अंधेेरे में आवारा कुत्तों के आतंक के कारण राहगीर पैदल आने जाने से भी कतराते हैं। इसके साथ ही शहर के हजियापुर, पुरानी चौक व सरेया मोहल्ले में भी आवारा कुत्तों का भय से राहगीर बाइक व साइकिल से जाने से बचते हैं।

आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर परिषद नहीं करता कार्य

शहरी इलाके में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर परिषद की ओर से लाखों की लागत से कई वाहन भी खरीदे गए है। इसके बाद भी नगर परिषद के कर्मियों की मनमानी के कारण आवारा कुत्तों की संख्या बाजार में बढ़ती जा रही है। शहरवासियों की मानें तो रात के अंधेरे में शहर के सभी चौक चौराहों पर आवारा कुत्ते तैनात हो जाते हैं। शहर के ब्लाक मोड़ से लेकर हजियापुर मोड़ तक आवारा कुत्ते राहगीरों का पीछा कर उनके काट लेते हैं। लेकिन नगर परिषद को इससे कोई लेना देना नहीं है।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जिले में रेबीज वैक्सीन काफी संख्या में मौजूद है। साथ ही जिले के सभी सरकारी अस्पताल में खपत के अनुसार वैक्सीन मुहैया कराने का कार्य भी जिला स्टोर रूम से किया जा रहा है।

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