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कृषि कानून से कैसे पीछे हटी सरकार? - श्रीनारद मीडिया

कृषि कानून से कैसे पीछे हटी सरकार?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को रद किए जाने पर मुहर लगा दी। पीएम मोदी ने कहा कि वे किसानों को समझा नहीं सके। उन्होंने लगभग पिछले एक साल से जारी तीनों कृषि कानूनों के कारण हो रहे विरोध प्रदर्शन को खत्म करने का आह्वान किया और सभी से घर जाने को कहा। प्रकाश पर्व के मौके पर उन्होंने देश को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने यह बड़ा एलान किया।

17 सितंबर 2020 को भारी हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू कर दिया गया। वे तीन कानून हैं- किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020; आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020; और किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर समझौता। ऐसे में किसानों को डर सताया कि कानून चुनिंदा फसलों पर सरकार द्वारा गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को समाप्त कर देगा और उन्हें बड़े कारपोरेट्स के तहत छोड़ दिया जाएगा।

विरोध प्रदर्शन पिछले साल 25 नवंबर को शुरू हुआ, जब हजारों किसानों -मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा से- ‘दिल्ली चलो’ अभियान के रूप में, कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की ओर निकल पड़े।

अब नीचे, शुरुआत से लेकर अब तक, आखिर कैसे झुकी सरकार और किसानों का कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन सब जानें…

  • 5 जून, 2020: भारत सरकार ने तीन कृषि विधेयकों को सामने रखा। आरोप लगा कि ये तीन विधेयक भारत में कृषि क्षेत्र को सरकार द्वारा संचालित क्षेत्र से निजी क्षेत्र में धकेलते हैं।
  • 14 सितंबर, 2020: अध्यादेश संसद में लाया गया।
  • 17 सितंबर, 2020: लोकसभा में अध्यादेश पारित हुआ।
  • 20 सितंबर, 2020: राज्यसभा में ध्वनिमत से अध्यादेश पारित हुआ।
  • 24 सितंबर, 2020: पंजाब में किसानों ने तीन दिवसीय रेल रोको अभियान की घोषणा की।
  • 25 सितंबर, 2020: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के आह्वान पर पूरे भारत के किसान सड़कों पर उतरे।
  • 27 सितंबर, 2020: कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति की सहमति मिल गई और भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया और कृषि कानून बना दिए गए।
  • 25 नवंबर, 2020: 3 नवंबर को देशव्यापी सड़क बंद करना सहित नए कृषि कानूनों के खिलाफ छिटपुट विरोध के बाद, पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का आह्वान किया। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कोविड -19 प्रोटोकाल का हवाला देते हुए राजधानी शहर तक मार्च करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
  • 26 नवंबर, 2020: दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों को हरियाणा के अंबाला जिले में पुलिस द्वारा तितर-बितर करने की कोशिश के दौरान पानी की बौछारों, आंसू गैस के गोले का सामना करना पड़ा। बाद में, पुलिस ने उन्हें उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी।
  • 28 नवंबर, 2020: गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत करने की पेशकश की। लेकिन तब जब वे दिल्ली की सीमाएं खाली कर देते हैं और बुराड़ी में निर्दिष्ट विरोध स्थल पर चले जाते हैं। हालांकि, जंतर-मंतर पर धरना देने की मांग को लेकर किसानों ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
  • 29 नवंबर, 2020: अपने मन की बात कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी राजनीतिक दल किसानों से वादे करते रहे हैं, लेकिन यह उनकी सरकार थी जिसने अपने वादे पूरे किए।
  • 3 दिसंबर, 2020: सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले दौर की बातचीत की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही।
  • 5 दिसंबर, 2020: किसानों और केंद्र के बीच दूसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही।

 

  • 8 दिसंबर, 2020: किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। अन्य राज्यों के किसानों ने भी इस आह्वान का समर्थन किया।
  • 9 दिसंबर, 2020: किसान नेताओं ने तीन विवादास्पद कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कानूनों को निरस्त किए जाने तक अपने आंदोलन को और तेज करने की कसम खाई।
  • 11 दिसंबर, 2020: भारतीय किसान संघ ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
  • 13 दिसंबर, 2020: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसानों के विरोध प्रदर्शन में ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह का हाथ होने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है।
  • 16 दिसंबर, 2020: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विवादास्पद कृषि कानूनों पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक पैनल का गठन कर सकता है।
  • 21 दिसंबर, 2020: किसानों ने सभी विरोध स्थलों पर एक दिवसीय भूख हड़ताल की।
  • 30 दिसंबर, 2020: सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत में कुछ प्रगति हुई। केंद्र ने किसानों को पराली जलाने के जुर्माने से छूट देने और बिजली संशोधन विधेयक, 2020 में बदलाव को छोड़ने पर सहमति व्यक्त की।
  • 4 जनवरी, 2021: सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही क्योंकि केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत नहीं था।
  • 7 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को नए कानूनों और विरोध के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ। जब अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत ही काम कर सकती है।
  • 11 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के विरोध से निपटने के लिए केंद्र को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह गतिरोध को हल करने के लिए भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करेगी।
  • 12 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और सभी हितधारकों को सुनने के बाद कानूनों पर सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
  • 26 जनवरी, 2021: गणतंत्र दिवस पर, कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संघों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। सिंघू और गाजीपुर के कई प्रदर्शनकारियों द्वारा अपना मार्ग बदलने के बाद, उन्होंने मध्य दिल्ली के आईटीओ और लाल किले की ओर मार्च किया, जहां पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जबकि कुछ किसानों ने सार्वजनिक संपत्ति पर तोड़फोड़ की और पुलिस कर्मियों पर हमला किया। लाल किले पर, प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग खंभों और दीवारों पर चढ़ गया और निशान साहिब का झंडा फहराया। हंगामे में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
  • 28 जनवरी, 2021: दिल्ली के गाजीपुर सीमा पर तनाव तब बढ़ गया जब पड़ोसी यूपी के गाजियाबाद जिले में प्रशासन ने किसानों को रात में साइट खाली न करने पर कार्रवाई की बात कही। शाम तक, जैसे ही दंगा विरोधी पुलिस ने घटनास्थल पर आना शुरू किया, प्रदर्शनकारियों ने भी वहां डेरा डाल दिया और बीकेयू के राकेश टिकैत सहित उनके नेताओं ने कहा कि वे नहीं जाएंगे।
  • 6 फरवरी, 2021: विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम’, सड़क नाकाबंदी की। उस दौरान पंजाब और हरियाणा में कई सड़कों को बंद कर दिया गया था, अन्य जगहों पर ‘चक्का जाम’ विरोध ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी।
  • 9 फरवरी, 2021: गणतंत्र दिवस हिंसा मामले में आरोपी पंजाबी अभिनेता से कार्यकर्ता बने दीप सिंधु को मंगलवार सुबह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया। शाम को उसे सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
  • 18 फरवरी, 2021: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), जो पिछले सप्ताह आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान संघों की संस्था है, ने देशव्यापी ‘रेल रोको’ विरोध का आह्वान किया। देश भर के स्थानों पर ट्रेनों को रोक दिया गया, बंद करवा दिया गया और उनका मार्ग बदल दिया गया। हालांकि, राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘रेल रोको’ आंदोलन के कारण रेल सेवाओं पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि अधिकांश जोनल रेलवे ने विरोध के कारण किसी प्रकार की कोई घटना की सूचना नहीं दी।
  • 02 मार्च, 2021: शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और पार्टी के अन्य नेताओं को चंडीगढ़ पुलिस ने सेक्टर 25 से हिरासत में लिया। वे पंजाब विधानसभा का घेराव करने के लिए मार्च निकाल रहे थे।
  • 05 मार्च, 2021: पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर किसानों और पंजाब के हित में कृषि कानूनों को बिना शर्त वापस लेने और खाद्यान्नों की एमएसपी आधारित सरकारी खरीद की मौजूदा प्रणाली को जारी रखने के लिए कहा।
  • 06 मार्च, 2021: दिल्ली की सीमा पर किसानों के100 दिन पूरे हुए।
  • 4 अप्रैल, 2021: सिंघू सीमा से कुछ ट्रैक्टर ट्रालियां कटाई के मौसम से पहले पंजाब लौट गईं। किसानों ने फिर वहां बांस व शेड लगाए।
  • 26 अप्रैल, 2021 : दीप सिद्धू को जमानत मिली।
  • 27 मई, 2021: किसानों ने छह महीने के आंदोलन को याद करने के लिए ‘काला दिवस’ मनाया और सरकार का पुतला जलाया। हालांकि तीनों सीमाओं पर भीड़ कम हो गई है, लेकिन किसान नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 2024 तक आंदोलन जारी रहेगा। भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत ने एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान यह भी दोहराया कि किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद ही अपना विरोध प्रदर्शन बंद करेंगे।
  • 5 जून, 2021: प्रदर्शनकारी किसानों ने कृषि कानूनों की घोषणा के पहले वर्ष को चिह्नित करने के लिए संपूर्ण क्रांतिकारी दिवस मनाया।
  • 26 जून, 2021: किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ सात महीने के विरोध को चिह्नित करने के लिए दिल्ली तक मार्च निकाला। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दावा किया कि विरोध के दौरान हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में किसानों को हिरासत में लिया गया।
  • जुलाई अगस्त के दौरान संसद का सत्र चालू था, इस दौरान खूब हंगामा हुआ।
  • 5 सितंबर, 2021: यूपी चुनाव नजदीक है और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनौती देते हुए, केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले किसान नेताओं ने हजारों किसानों के सामने अपनी योजना की घोषणा करते हुए, मुजफ्फरनगर में ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन किया। राज्य में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ प्रचार किया।
  • सितंबर महीने में करनाल एसडीएम रह चुके आयुष सिन्हा भी चर्चा में रहे। उन्होंने किसानों पर हमला का आदेश दिया था, जिसकी वीडिया वायरल हो गई थी। और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर उनका बचाव करते हुए भी नजर आए थे।
  • आक्टूबर की शुरुआत में लखीमपुर खीरी में एक बड़ी घटना हुई, जहां किसानों को सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे के काफिले ने रौंद दिया। इस घटना में चार किसान मारे गए और एक पत्रकार की भी मौत हुई। इसपर खूब बवाल मचा और आज भी मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उत्तर प्रदेश सरकार अपनी खराब कार्रवाई के कारण सवालों के घेरे में है।
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