ओमिक्रोन वैरिएंट कैसे बना चिंता का सबब?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दक्षिण अफ्रीका में मिले खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। ओमिक्रोन की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई, लेकिन अब कोरोना वायरस का ये खतरनाक वैरिएंट यूरोप और एशिया में अपना पांव पसार चुका है। इसके बाद इस वैरिएंट से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। यह नया वैरिएंट तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है और परेशान करने वाली बात ये है कि ये उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले से ही संक्रमित हो चुके हैं। इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 24 नवंबर को ओमिकोन वैरिएंट के पहले केस की पुष्टि के बाद 3 दिसंबर तक यानी सिर्फ 10 दिनों में ही नया स्ट्रेन 38 देशों तक फैल चुका है।

1- यह कोरोना का नया वैरिएंट है। इसे ओमिक्रोन (B.1.1.529) नाम दिया गया है। इस वैरिएंट के कुल 50 तरह के म्‍यूटेशन है। इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन है। वैरिएंट की यह खासियत उसको अधिक संक्रामक और खतरनाक बनाती है। चिंता की बात वैरिएंट के 50 म्‍यूटेशन है। विश्‍व स्‍थ्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इसे डेल्‍टा वैरिएंट से ज्‍यादा खतरनाक बताया है।

2- दरअसल, म्‍यूटेशन एक गुच्‍छे की तरह है और यह पहले फैलने वाले वैरिएंट से पूरी तरह से अलग है। इसके साथ इसमें 30 स्‍पाइक प्रोटीन हैं। वायरस के आंतरिक सरंचना में स्‍पाइक प्रोटीन ही वह हिस्‍सा होता है, जहां वैक्‍सीन असर करती है। अगर स्‍पाइक प्रोटीन अलग-अलग होगा तो इस पर वैक्‍सीन के असरदार नहीं होने की आशंका है।

3- विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने तमाम जांच के बाद ओमिक्रोन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न कैटेगरी में रखा है। इसके मायने हैं कि यह वैरिएंट काफी तेजी से फैलता है। ओमिक्रोन वैरिएंट का म्यूटेशन और संक्रामक होने की गति की क्षमता को देखकर इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न कैटेगरी में रखा गया है।

4- भारत में कहर मचाने वाले डेल्‍टा वैरिएंट के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में दो म्‍यूटेशन थे, जबकि इस वैरिएंट में 10 तरह के म्‍यूटेशन है। यह वायरस का वह हिस्‍सा होता है, जो हमारे शरीर के सेल्‍स के संपर्क में आता है। इसलिए यह वैरिएंट ज्‍यादा संक्रामक माना जा रहा है। हालांकि, अभी इस वायरस के बारे में बहुत कुछ जानकारी आना बाकी है। लेकिन इसने जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के मामलों वृद्धि की है उससे इसके चरित्र को समझा जा सकता है।

5- ओमिक्रोन के भी पिछले वैरिएंट जैसे लक्षण ही दिख रहे हैं। बुखार, खांसी, गंध या स्वाद का खो जाना, गले में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में समस्या, सीने में दर्द आदि सामान्‍य लक्ष्‍ण हो सकते है। ओमिक्रोन के कारण कुछ मरीज असिंप्टोमेटिक भी हो सकते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार ओमिक्रोन की जांच करने के लिए पहले से इस्तेमाल किए जा रहे पीसीआर टेस्ट की ही मदद ली जा रही है। हालांकि, कई लैब ने संकेत दिया है कि इस पीसीआर टेस्ट में तीन टारगेट जीन्स में से एक डिटेक्ट नहीं किया जा रहा है।

6- ओमिक्रोन के खिलाफ कोराना वैक्‍सीन कितनी असरदार है इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, वैक्‍सीन निर्माता कंपनियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यह एक सकारात्‍मक कदम है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रोन ने वैक्‍सीन या बूस्‍टर डोज लगवा चुके कई लोगों को संक्रमित किया है, लेकिन यह अभी शोध का विषय है। आने वाले समय में चीजें और स्‍पष्‍ट हो सकेंगी। फ‍िलहाल, वैक्‍सीनेशन पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए।

7- वैक्सीनेशन प्रक्रिया और टेस्ट की प्रक्रिया को और तेज करके इस वैरिएंट को बढ़ने से रोका जा सकता है। अच्छी तरह मास्क पहनने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना और घर-आफिस में अच्छी तरह वेंटिलेशन बनाए रखना इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका है। कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर का पालन करना जरूरी है।

8-ओमिक्रोन को लेकर भारत सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इस गाइडलाइन के मुताबिक ओमिक्रोन से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के लिए आरटीपीसीआर की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यही नहीं यात्रियों को एयरपोर्ट छोड़ने की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक दिए गए सैंपल की जांच का रिजल्ट नहीं आ जाता। पाजिटिव पाए गए यात्रियों को क्वारंटाइन किया जाएगा और प्रोटोकाल के मुताबिक उनका इलाज होगा। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर पैसेंजर एयरपोर्ट से जा पाएंगे लेकिन कम से कम सात दिनों के लिए उन्हें घर पर आइसोलेशन में रहना होगा। इसी के साथ भारत लौटने के आठवें दिन उन्हें दोबारा अपना कोरोना की जांच कराना होगा। केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई इन तमाम गाइडलाइंस का पालन करना अनिवार्य होगा।

9- हाई रिस्क मरीजों जिनमें ट्रांसप्लांट वाले मरीज, ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट डिजीज, लिवर समेत गंभीर रोगों से जूझ रहे लोगों को ज्यादा सावधान और सचेत रहने की जरूरत है। इन सभी को CAB यानी कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करना अनिवार्य है। मास्क का इस्तेमाल और दो गज की दूरी का ध्यान रखना जरूर रखना होगा। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर के जरिए ही इससे निपटा जा सकता है। इसमें मास्क पहनना, फिजिकल डिस्टेंसिंग, पब्लिक गैदरिंग को बंद करना या सीमित करना जैसे अहम एहतियात हैं।

10- सावधानी, सजगता और सचेत रहकर हम किसी भी खतरनाक संक्रामक बीमारी से बच सकते हैं। फ‍िर वह चाहे डेल्‍टा वैरिएंट रहा हो या फ‍िर ओमिक्रोन हो। तथ्‍यों की जानकारी रखकर और जरूरी सावधानी अपनाकर आप खुद को और अपने निकट के लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन अपने स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की ओर से दी गई सलाह को पूरी तरह से फालो करें। इसे कतई नजरअंदाज नहीं करें। जब भी हम गाइडलाइन से दूर जाएंगे संक्रमित होने का खतरा बढ़ता जाएगा।

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