बिहार में पिट्ठा बनाने की परंपरा कैसे प्रारंभ हुई?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सर्दियों के मौसम में पिट्ठा स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसलिए आज भी महत्वपूर्ण व्यंजनों में भारतीय संस्कृति में भी लोगों में पिट्ठा खाने की परंपरा जीवित है। विदेशी व्यंजनों के बावजूद लोग पिट्ठा खाने में काफी दिलचस्पी रखते हैं। यही कारण है कि पिट्ठा ठंड के मौसम में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के बीच बड़े ही चाव से उनके भोजन में शामिल हो रहा है। वहीं नई पीढ़ी इसे बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया का खूब इस्तेमाल कर रही है।

पिट्ठा बनाने के लिए महिलाएं अब इंटरनेट मीडिया में वीडियो देखकर देसी मोमो बनाना सीख रही हैं। लेकिन पिट्ठा बनाने के तरीके चाहे जितना भी हो, यह पुरानी परंपरा हर वर्ष ठंड के मौसम में जीवंत हो जाती है। वहीं जागरण के इस अभियान ने लोगों को पिट्ठा युग में वापसी का अवसर दे दिया है। गृहिणी के घर सप्ताह में एक दिन अवश्य पिट्ठा बनता है। पिट्ठा बनाने का अलग अंदाज ही कुछ अलग पहचान बना दिया है। पिट्ठा का यदि सेवन बराबर किया जाए तो पेट संबंधित कई तरह की बीमारियों से निजात मिल सकती है। नई पीढ़ी इससे अनभिज्ञ है फिर भी हमारे घर सप्ताह में एक दिन पिट्ठा बनता है। सभी लोग इसे काफी पसंद के साथ खाते हैं। साथ ही धार्मिक कार्यों में पिट्ठा बनाने की परपंरा है।

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