बिहार में पिट्ठा बनाने की परंपरा कैसे प्रारंभ हुई?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार की अपनी खासियत है. यहां का इतिहास काफी पुराना रहा है. कई ऐसी चीजें है, जो काफी प्रसिद्ध भी है. पटना का लिट्टी- चोखा तो फेमस है. लेकिन, बिहार का पिट्ठा भी काफी पॉपुलर डिश है. पूस के महीने की शुरुआत हो गई है. इसमें राज्य में पिट्ठा बनाने की परंपरा है. यह डिश काफी स्वादिष्ट होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे कई तरह से बनाया जाता है. इसमें दाल, खोया, तीसी समेत कई चीजों का प्रयोग किया जाता है. इसे अलग- अलग प्रकार से बनाया जाता है. यह मीठा भी होता है. इसके अलावा नमकीन भी होता है. यहां के लोग इसे काफी पसंद करते हैं. पिट्ठा का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है.
पिट्ठा खाने के है कई फायदे
पिट्ठा को अलग- अलग नामों से जाना जाता है. इसे बगिया व गोझा आदि के नामों से जाना जाता है. पूस के महीने में पिट्ठा को खास तौर पर खाया जाता है. इसमें गुड़, तीसी, खाया, आलू के नमकीन और बगीया का प्रयोग किया जाता है. कई लोग ऐसे है जो पूस के महीने का सिर्फ और सिर्फ पिट्ठा खाने के लिए इंतजार करते हैं. यह लोगों का पसंदीदा व्यंजन है. इसे खाने के फायदे भी होते है. पूस के महीने में पिट्ठा खाने का कारण है कि इस महीने में ठंड अधिक होती है और पिट्ठा गर्म होता है. यह लोगों को ठंड से बचाता है.
उबालकर बनाया जाता है पिट्ठा
पिट्ठा को बनाना भी काफी आसान होता है. यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है. क्योंकि इसे उबालकर बनाया जाता है. यह डिश हमें ठंड से तो बचाती ही है. साथ ही स्वाद से भी भरपूर होती है. आम तौर पर यहां पूस के महीने में पिट्ठा को बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए छोटी- छोटी लोई बनाई जाती है. इसमें नमकीन या मीठा भरा जाता है. गोल या लंबे आकार में इसे बनाया जाता है. इसके बाद पिट्ठा को पानी में उबाला जाता है. कई लोग इसे खोया या दुध में डालकर व उबालकर खाना खूब पसंद करते हैं.
सर्दियों के मौसम में पिट्ठा स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसलिए आज भी महत्वपूर्ण व्यंजनों में भारतीय संस्कृति में भी लोगों में पिट्ठा खाने की परंपरा जीवित है। विदेशी व्यंजनों के बावजूद लोग पिट्ठा खाने में काफी दिलचस्पी रखते हैं। यही कारण है कि पिट्ठा ठंड के मौसम में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के बीच बड़े ही चाव से उनके भोजन में शामिल हो रहा है। वहीं नई पीढ़ी इसे बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया का खूब इस्तेमाल कर रही है।
पिट्ठा बनाने के लिए महिलाएं अब इंटरनेट मीडिया में वीडियो देखकर देसी मोमो बनाना सीख रही हैं। लेकिन पिट्ठा बनाने के तरीके चाहे जितना भी हो, यह पुरानी परंपरा हर वर्ष ठंड के मौसम में जीवंत हो जाती है। वहीं जागरण के इस अभियान ने लोगों को पिट्ठा युग में वापसी का अवसर दे दिया है। गृहिणी के घर सप्ताह में एक दिन अवश्य पिट्ठा बनता है। पिट्ठा बनाने का अलग अंदाज ही कुछ अलग पहचान बना दिया है। पिट्ठा का यदि सेवन बराबर किया जाए तो पेट संबंधित कई तरह की बीमारियों से निजात मिल सकती है। नई पीढ़ी इससे अनभिज्ञ है फिर भी हमारे घर सप्ताह में एक दिन पिट्ठा बनता है। सभी लोग इसे काफी पसंद के साथ खाते हैं। साथ ही धार्मिक कार्यों में पिट्ठा बनाने की परपंरा है।
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