रेलवे सुरक्षा आयोग कैसे काम करता है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ओडिशा में हुई दुखद ट्रेन दुर्घटना की जाँच दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के रेलवे सुरक्षा आयोग द्वारा की जा रही है।

रेलवे सुरक्षा आयोग (Commission of Railway Safety- CRS):

  • परिचय:
    • यह एक सरकारी निकाय है जो देश में रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
    • यह रेलवे अधिनियम, 1989 में निर्दिष्ट निरीक्षणात्मक, जाँच और सलाहकारी कार्यों के साथ-साथ रेल यात्रा एवं संचालन जैसे सुरक्षा मामलों से संबंधित है
    • इसका मुख्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश में है।
  • मंत्रालय:
    • यह रेल मंत्रालय के बजाय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ( Ministry of Civil Aviation- MoCA) के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
      • इसका कारण CRS को देश के रेलवे प्रतिष्ठान के प्रभाव से अलग रखना और हितों के टकराव को रोकना है।

CRS का इतिहास:

  • भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905:
    • भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 एवं तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, रेलवे बोर्ड को रेलवे अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सरकार की शक्तियाँ तथा कार्य सौंपे गए थे व भारत में रेलवे संचालन हेतु नियम बनाने के लिये भी अधिकृत किया गया था।
    • इसने प्रभावी रूप से रेलवे बोर्ड को भारत में रेलवे के लिये सुरक्षा नियंत्रण प्राधिकरण बना दिया।
  • 1935 का भारत सरकार अधिनियम:
    • 1935 के भारत सरकार अधिनियम की धारा 181 (3) में कहा गया है कि यात्रियों और रेलवे कर्मियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक अलग प्राधिकरण होना चाहिये।
    • यह प्राधिकरण दुर्घटनाओं की जाँच करेगा और उनके कारणों का निर्धारण करेगा। वर्ष 1939 में ब्रिटिश रेलवे के तत्कालीन मुख्य निरीक्षण अधिकारी ए.एच.एल. माउंट की अध्यक्षता में एक पैनल ने नोट किया कि रेलवे बोर्ड पृथक्करण के तर्क की सराहना करता है तथा “परिवर्तन का स्वागत करेगा” (Would Welcome the Change)।
  • निरीक्षणालय को अलग करना:
    • मई 1941 में रेलवे निरीक्षणालय को रेलवे बोर्ड से अलग कर दिया गया था तथा उस समय डाक और वायु विभाग के नियंत्रण में रखा गया था।
    • वर्ष 1961 में निरीक्षणालय का नाम बदलकर CRS (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) कर दिया गया। तब से यह केंद्रीय मंत्रालय के अधिकार में है तथा भारत में नागरिक उड्डयन हेतु  ज़िम्मेदार है।

लखनऊ स्थित आयोग का अध्यक्ष मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (मु.रे.सं.आ.) होता है जो रेल संरक्षा से सम्बंधित सभी मामलों मे केन्द्र सरकार के प्रधान तकनीकी सलाहकार के रूप मे कार्य करता हैं। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन नौ रेल संरक्षा आयुक्त (रे,सं.आ.) कार्यरत हैं और प्रत्येक रेल संरक्षा आयुक्त अपने क्षेत्राधिकार मे आने वाले जोनल रेलवे मे कार्य करते है। इसके अलावा कुछ आयुक्तों के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत जोनल रेलवे के अतिरिक्त रेलवे के अन्य प्रतिष्ठान भी आते है जैसे-

  1. मेट्रो रेलवे, कोलकाता
  2. डी.एम.आर.सी., दिल्ली
  3. एम.आर.टी.पी., चेन्नई
  4. कोंकण रेलवे
  5. डी.एम.आर.सी.एल., बैंगलोर

मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त की आवश्यकतानुसार सहायता के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय में 5 उप मुख्य संरक्षा आयुक्त पदास्थापित है। इसके अतिरिक्त प्रत्येंक परिमण्डल में सिगनलिंग, दूरसंचार, सिविल इंजीनियरिंग एवं विधुतकर्षण के क्षेत्र मे रेल संरक्षा आयुक्तों की सहायता करने के लिए फील्ड उप रेल संरक्षा आयुक्त कार्यरत हैं।

आयोग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि यात्री यातायात के लिए आरंभ होने वाली कोई नई लाइन यात्री यातायात के वहन के हर दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य कार्यों पर भी लागू है जैसे आमान परिवर्तन, लाइन दोहरीकरण तथा मोजूदा लाइनों का विद्युतीकरण। आयोग भरतीय रेलों में हुई गंभीर रेल दुर्घटनाओं की सांविधिक जांच भी करता है और भारत में रेल की सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिशें भी करता है।

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