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पर्यटन शांति में किस प्रकार योगदान देता है?

पर्यटन शांति में किस प्रकार योगदान देता है?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: पर्यटन विविध संस्कृतियों के बीच समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है तथा साझा अनुभवों व संवाद के माध्यम से पूर्वाग्रह को कम करता है।
  • आर्थिक सशक्तीकरण: आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में (पर्यटन वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 10% का योगदान देता है, वैश्विक निर्यात का 7% है तथा पूरे विश्व में प्रत्येक 10 नौकरियों में से एक के लिये ज़िम्मेदार है), पर्यटन नौकरियों का सृजन करता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करता है, जिससे गरीबी और असमानता को कम किया जा सकता है, जो संघर्ष के मूल कारण हो सकते हैं।
  • स्थिरता: ज़िम्मेदार पर्यटन प्रथाएँ प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती हैं, सामुदायिक गौरव को बढ़ावा देती हैं तथा संसाधन-संबंधी तनाव को कम करती हैं।
  • सुशासन: एक समृद्ध पर्यटन क्षेत्र सरकार की स्थिरता बनाए रखने तथा शांति और कार्यक्षमता को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • लैंगिक समानता: पर्यटन उद्योग महिलाओं को सशक्त बनाता है और स्थानीय समुदायों को शामिल करता है। 
    • भारत के पर्यटन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित जनजातीय गृह प्रवास ( स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के तहत) का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता का दोहन करना और जनजातीय समुदाय को वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना है।
    • यह पहल सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है और असमानताओं को कम करती है।
  • महामारी से उबरना: पर्यटन अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण और संघर्ष के बाद के क्षेत्रों में उपचार को बढ़ावा देने में सहायता करता है, जैसा कि रवांडा जैसे देशों में देखा गया है।
    • वर्ष 2021 में 11% की वृद्धि के बाद, वर्ष 2022 की पहली तीन तिमाहियों में रवांडा की GDP 8.4% बढ़ी। यह वृद्धि सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से पर्यटन के पुनरुत्थान के कारण हुई, जिसने रोज़गार संकेतकों को कोविड-19 महामारी से पहले वर्ष 2020 की शुरुआत में देखे गए स्तरों पर बहाल कर दिया।
    • विश्व पर्यटन दिवस का महत्त्व क्या है?

      • इतिहास: विश्व पर्यटन दिवस पहली बार वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा मनाया गया था और इसका उद्देश्य पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाना था।
        • यह दिवस वर्ष 1975 में UNWTO के कानूनों के अनुमोदन की याद में मनाया जाता है, जिसके पाँच वर्ष बाद संगठन की आधिकारिक स्थापना हुई।
        • UNWTO आर्थिक वृद्धि, समावेशी विकास एवं पर्यावरणीय स्थिरता के चालक के रूप में पर्यटन का समर्थन करता है, साथ ही पूरे विश्व में ज्ञान और नीतियों को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र का समर्थन करता है।
          • UNWTO में 160 सदस्य देश (भारत सहित), 6 सहयोगी सदस्य, 2 पर्यवेक्षक और 500 से अधिक संबद्ध सदस्य शामिल हैं।
          • इसका मुख्यालय मैड्रिड, स्पेन में है। 
      • वार्षिक थीम: प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यटन दिवस एक विशिष्ट थीम और मेज़बान देश के साथ मनाया जाता है, जो पूरे विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन की अद्वितीय भूमिका पर प्रकाश डालता है।
        • वर्ष 2024 में जॉर्जिया को इस महत्त्वपूर्ण आयोजन की मेज़बानी करने का सम्मान मिला। विश्व पर्यटन दिवस 2024 की थीम विशेष रूप से प्रेरणादायक है: “पर्यटन और शांति (Tourism and Peace)”।
      • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये एक उपकरण के रूप में पर्यटन की क्षमता पर ज़ोर देता है, विशेष रूप से गरीबी उन्मूलन और सतत् संसाधन प्रबंधन में। यह जलवायु कार्रवाई पर SDG 13 का समर्थन करने में इको-टूरिज्म के महत्त्व पर भी प्रकाश डालता है।
      • भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

        • सुरक्षा एवं संरक्षा संबंधी मुद्दे: चोरी और हमले सहित अपराध की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे विशेष रूप से महिला यात्रियों के लिये भय का माहौल पैदा हो रहा है।
        • ऐसे सुरक्षा मुद्दे पर्यटकों को कुछ क्षेत्रों में जाने से रोक सकते हैं, जिससे भारत की पर्यटक-अनुकूल देश के रूप में समग्र धारणा प्रभावित हो सकती है।
        • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कई पर्यटन स्थलों, विशेषकर पूर्वोत्तर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में, विश्वसनीय हवाई, रेल और सड़क संपर्क जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी है। इससे खूबसूरत लेकिन अनदेखे क्षेत्रों तक पहुँच सीमित हो जाती है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रभावित होती है।
        • अकुशल मानव संसाधन: पर्यटन क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी है, जिसमें बहुभाषी गाइड भी शामिल हैं। यह कमी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के समग्र अनुभव में बाधा डाल सकती है और सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। 
        • असंवहनीय पर्यटन प्रथाएँ: हिमालय जैसे पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटन की असंवहनीय प्रथाएँ संसाधनों की कमी, मृदा अपरदन और आवास विनाश का कारण बनती हैं। संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर दबाव पड़ता है।
        • प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: ताजमहल सहित प्रमुख पर्यटक स्थल प्रदूषण से प्रभावित हैं। जलवायु परिवर्तनसे और भी खतरे उत्पन्न होते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, जिनका असर पर्यटन के बुनियादी ढाँचे तथा विरासत संरक्षण पर पड़ता है। 
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