कैसे लोगों को बर्बाद कर रहा है किसान आंदोलन,500 से अधिक परिवार हैं संकट में.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (टीकरी, शाहजहांपर, सिंघु और गाजीपुर) पर किसानों का धरना प्रदर्शन 9 महीने बाद भी जारी है। उधर, दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर दुकानदार दो वर्ष से बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। पहले कोरोना संक्रमण की वजह से दुकानें बंद रहीं और अब सिंघु बार्डर पर कब्जा करके बैठे पंजाब के कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों की वजह से। अड़ियल रवैया अपनाकर नौ माह से लोगों के रास्ते में बाधक बनकर बैठे प्रदर्शनकारियों की वजह से दुकानदारों व उनके परिवार के सामने खाने के भी लाले पड़ने लगे हैं।
सिंघु बार्डर पर 90 में से 85 दुकानें अस्थायी रूप से बंद हो चुकी हैं। इनमें से सात दुकानदार यहां से दुकान खाली करके जा चुके हैं। यहां पर काम करने वाले या दुकानदारों पर आश्रित 500 से ज्यादा लोगों की जीविका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां पर रेहड़ी लगाकर परिवार का गुजारा करने वाले भी यहां से जा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों की वजह से केवल दुकानदारों पर नहीं, बल्कि उनके परिवार व कर्मचारियों पर भी असर पड़ रहा है। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले दुकानदारों के बच्चे अब नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में जाने लगे हैं।
बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को हुए मजबूर
तीन बच्चों का निजी स्कूल से नाम कटवाकर सरकारी स्कूल में भेजने को मजबूर हुए दुकानदार बिट्टू ने बताया कि दुकान का 15 हजार रुपये किराया है। नौ माह से कुछ काम नहीं हो पाया है। पैसों की वजह से घर में भी रोज झगड़े होते हैं। पहले बच्चों के लिए रोज खाने का सामान लेकर जाता था, लेकिन नौ माह से मुश्किल से पांच बार ही कुछ खाने का सामान ले जा पाया हूं।
उन्होंने बताया कि जमीन लेने के लिए कुछ रुपये एडवांस दिए थे, लेकिन अब वहां भी रुपये फंस गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यहां पर कब्जा जमा लिया है। जब वह सुबह घर से अपनी दुकान पर जाते हैं तो भी प्रदर्शनकारी उन्हें रोक लेते हैं। उन्हें दुकान पर जाने के लिए प्रदर्शनकारियों की अनुमति लेनी पड़ती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सम्बद्ध ‘भारतीय किसान संघ‘ (Bhartiya Kisan Sangh) ने किसानों (Farmers) को उपज का लाभकारी मूल्य देने की मांग को लेकर अल्टीमेटम के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार (BJP Government) द्वारा कोई आश्वासन नहीं दिये जाने के विरोध में आगामी आठ सितम्बर को देश के हर जिला मुख्यालय पर प्रतीकात्मक धरना देने का निर्णय लिया है. मोदी सरकार को 31 अगस्त तक निर्णय करने का अल्टीमेटम दिया था, मगर सरकार ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिए.
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष युगल किशोर मिश्र ने बुधवार रात बलिया जिले के नगरा कस्बे में भारतीय किसान संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी व प्रांतीय प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि संगठन ने किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिये जाने की मांग को लेकर मोदी सरकार को 31 अगस्त तक निर्णय करने का अल्टीमेटम दिया था, मगर सरकार ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिए.
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष युगल किशोर मिश्र ने बुधवार रात बलिया जिले के नगरा कस्बे में भारतीय किसान संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी व प्रांतीय प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि संगठन ने किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिये जाने की मांग को लेकर मोदी सरकार को 31 अगस्त तक निर्णय करने का अल्टीमेटम दिया था, मगर सरकार ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिए.
उन्होंने बताया कि भारतीय किसान संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी व प्रांतीय प्रतिनिधियों की वर्चुअल बैठक में तय किया गया है कि केन्द्र सरकार के उदासीन रुख को देखते हुए उस पर दबाव बढ़ाने के लिए आगामी आठ सितंबर को देश के हर जिला मुख्यालय पर प्रतीकात्मक धरना दिया जाएगा.
मिश्र ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया है कि इस कार्यक्रम के पूर्व संघ के पदाधिकारी देश की राजधानी से लेकर हर प्रदेश की राजधानी व प्रत्येक जिला मुख्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों के मसले पर देश को वस्तुस्थिति की जानकारी देंगे.
उन्होंने बताया कि आठ सितंबर को प्रतीकात्मक धरना देने के बाद इसी दिन राष्ट्रीय महामंत्री बद्री नारायण चैधरी आगे के कदम की घोषणा करेंगे.
- यह भी पढ़े…….
- जिलाधिकारी से 9 सितंबर को आयोजित मतदान प्रशिक्षण को बदलने का किया मांग
- सीवान में अपराधियों ने जीजा-साला पर तबातोड़ फायरिंग कर बाइक लूटा
- सत्य न्याय के पाठ पर चलना,जीवन संघर्षों से लड़ना, शिक्षक हमें सिखाते हैं.
- हर साल क्यों 5 सितंबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस?
- ट्रेनी एयर होस्टेस से इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने किया ‘रेप’